मोहम्मद नासिरी ने लैंगिक समानता के लिए, धन की उपलब्धता के वास्ते, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की ज़िम्मेदारी विषय पर, यूएन मुख्यालय में बुधवार को एक विचार गोष्ठि में कहा कि भारत ने इन प्रयासों में यह पहचान स्थापित की है कि महिलाएँ, किसी भी अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा हैं.
“महिलाओं को निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं और समाधान तलाश में शामिल करने से, अर्थव्यवस्थाएँ प्रगति करती हैं और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.”
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने, यूएन महिला संस्था – UN Women के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन किया.
महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) की 68वाँ वार्षिक सत्र 11 से 22 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें महिला मज़बूती और लैंगिक समानता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हो रही है.
भारतीय मिशन ने भी इस विचार गोष्ठि का आयोजन इसी थीम के तहत किया, जिसमें लैंगिक अनुकूल और सामाजिक रूप से समावेशी वित्त उपलब्धता के लिए, सरकारी और निजी क्षेत्र के प्रयासों पर विस्तृत चर्चा हुई.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने इस विचार गोष्ठि को सम्बोधित करते हुए कहा कि तमाम प्रयासों के बावजूद, दुनिया भर में लैंगिक समानता और महिला मज़बूती से सम्बन्धित टिकाऊ विकास लक्ष्य -5 की प्राप्ति की रफ़्तार धीमी है.
इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग यहाँ देखी जा सकती है:
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