आरम्भिक चेतावनी प्रणाली एवं समय पूर्व तैयारी को मज़बूती देने के उद्देश्य से आयोजित इस बैठक में, नेपाल, केनया, मंगोलिया सहित कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2050 तक चरम मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण विश्व भर में, एक अरब से अधिक लोग विस्थापित हो सकते हैं. इस वजह से, इन जोखिमों से निपटने के लिए समय पूर्व तैयारी, चेतावनी व कार्रवाई को अहम माना गया है.
इन्हीं चुनौतियों के मद्देनज़र, भारत में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय पिछले दो वर्षों से रिलायंस फ़ाउंडेशन के साथ मिलकर, आपदाओं से बचाव के लिए आरम्भिक चेतावनी व समय-पूर्व तैयारियों पर काम कर रहा है, ताकि आपदा जोखिम प्रबन्धन को मज़बूती दी जा सके.
गुजरात के स्मृतिवन भूकम्प संग्रहालय में आयोजित इस बैठक में विविध प्रकार की आपदाओं के जोखिमों से निपटने, विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के अनुभवों, सबक़ व ज्ञान का आदान-प्रदान किया गया.
गुजरात राज्य के कच्छ क्षेत्र ने विनाशकारी भूकम्प, चक्रवाती तूफ़ान से लेकर बाढ़ समेत कई आपदाओं का सामना किया है.
भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेन्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि ये बातचीत गुजरात में हो रही है. एक ऐसा राज्य, संयुक्त राष्ट्र जिसका एक दृढ़ साझेदार है. इस राज्य के समक्ष कई आपदा जोखिम हैं, लेकिन उसने तैयारी और जवाबी कार्रवाई में बढ़िया प्रदर्शन किया है.
“हमें उम्मीद है कि यह बैठक, भारत के अनुभवों और सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों को वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ साझा करने तथा अन्य देशों के अनुभवों से सीखने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा.”

आपदा न्यूनीकरण बैठक में शामिल अन्तरराष्ट्रीय प्रतिनिधि, भारत में यूएन के रैज़िडेन्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प के साथ.
ज्ञान का आदान-प्रदान
बैठक में कई देशों से अन्तरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भी शामिल हुए, जिन्होंने भावी आपदाओं से रक्षा के लिए, जोखिम प्रबन्धन प्रणालियों में साहसिक बदलाव लाने पर बल दिया.
केनया, मंगोलिया और नेपाल के प्रतिभागियों ने गुजरात में आपदा-पूर्व तैयारियों में हुई प्रगति का जायज़ा लिया और अपने देशों से उत्कृष्ट उदाहरण पेश किए.
इस आयोजन में गुजरात सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (NDMA), यूएन विकास कार्यक्रम, यूएन बाल कोष, समेत अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय व क्षेत्रीय समाधानों पर चर्चा की.
वैश्विक दक्षिण में स्थित देशों के साथ ज्ञान व समाधान साझा करने के लिए, गुजरात के आपदा प्रभावित इलाक़ों का दौरा भी आयोजित किया गया, जहाँ प्रतिनिधियों ने रापरगढ़ गाँव और जखाऊ में समय-पूर्व सामुदायिक कार्रवाई का जायज़ा लिया.
पूर्वानुमान से जुड़ी रणनीतियों, सूखे जैसी आपदाओं एवं मवेशियों की सुरक्षा पर भी चर्चा हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने सामुदायिक कार्रवाई क्षमता और विकलांगता समावेशन में निवेश करने पर ज़ोर दिया.
यूएन इंडिया द्वारा, समय-पूर्व चेतावनी और नवाचारी समाधानों को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली यह दूसरी बैठक थी. इससे पहले, यूएन इंडिया व रिलायंस फ़ाउंडेशन की इस साझेदारी के तहत, नवम्बर 2024 में ओडिशा के भुवनेश्वर शहर में पहली बैठक आयोजित की गई थी.
