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भारत: आन्ध्र प्रदेश में ‘सखी पहल’ से, किशोर स्वास्थ्य व सशक्तिकरण को नई गति

भारत: आन्ध्र प्रदेश में ‘सखी पहल’ से, किशोर स्वास्थ्य व सशक्तिकरण को नई गति

सोलह वर्षीय छात्रा और प्रदेश स्तर की एथलीट, नीलापु अनुराधा को अपना बाल विवाह होने की आशंका थी. नीलापु के परिवार ने कम उम्र में ही उनकी शादी तय कर दी थी. जुलाई 2024 में, सखी पहल के तहत स्थानीय प्रशासन को इस सम्भावित विवाह के बारे में जानकारी मिली. उन्होंने तुरन्त हस्तक्षेप किया, और परिवार को बाल विवाह के क़ानूनी व सामाजिक दुष्परिणामों के बारे में जागरूक बनाकर, उन्हें यह विवाह रद्द करने के लिए मना लिया.

अनुराधा ने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, “सखी पहल के तहत की गई इस मदद ने मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखने और खेल के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाने का मौक़ा दिया. मेरी माँ, रेवती, मेरी शिक्षा और कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने के मेरे सफ़र में, अब गर्व से मेरा साथ दे रही हैं.”

समावेशी विकास की पहल

2022 में शुरू की गई सखी पहल, एक समग्र किशोर स्वास्थ्य एवं विकास कार्यक्रम है जिसे यूनीसेफ़ के तकनीकी सहयोग से, आन्ध्र प्रदेश के विजयनगरम ज़िले में PEPFAR-CDC परियोजना के तहत संचालित किया जा रहा है.

इसका उद्देश्य समुदाय, स्कूल और कॉलेज स्तर पर किशोरों के समावेशी विकास को बढ़ावा देना है. यह कार्यक्रम स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्रवाई करता है.

सखी पहल की सामुदायिक स्तर पर आधारशिला हैं – सखी समूह. प्रत्येक समूह में 9 से 21 वर्ष की आयु के 60 सदस्य होते हैं. ये समूह हर महीने अपनी बैठक करते हैं और स्वास्थ्य, पोषण, स्कूल छोड़ने की समस्या, साइबर अपराध, बाल विवाह, किशोरावस्था में गर्भधारण, कौशल विकास और महिलाओं की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते हैं.

इन समूहों को स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्कूल शिक्षकों मार्गदर्शन मिलता है, और इसमें महिला पुलिस व स्वास्थ्यकर्मियों जैसे सरकारी अधिकारियों से मदद मिलती है. इन समूहों के सदस्यों को विशेष प्रशिक्षण के ज़रिए, सुरक्षा एवं आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए उपयोगी ज्ञान और उपकरणों से सशक्त किया जाता है.

विजयनगरम की महिला पुलिस अधिकारी पी लिखिता कहती हैं, “आत्मरक्षा लड़कियों के लिए एक महत्वपूर्ण कौशल है, जिससे वो आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना कर सकती हैं. सखी कार्यक्रम के माध्यम से हमने स्कूलों में आत्मरक्षा प्रशिक्षण को प्राथमिकता दी है, ताकि लड़कियाँ स्कूल से घर लौटते समय उत्पीड़न जैसी स्थितियों से निपटने में सक्षम बन सकें.”

एक लड़की, परीक्षा के तनाव से बचने के लिए परामर्श ले रही है.

एक लड़की, परीक्षा के तनाव से बचने के लिए परामर्श ले रही है.

किशोर स्वास्थ्य के लिए समग्र सहायता

आन्ध्र प्रदेश में गुंटूर की निवासी एक सोलह वर्षीय लड़की (पहचान गोपनीय रखी गई है) ने बताया कि उन्हें लगातार सिरदर्द हो रहा था और परीक्षा के दौरान ध्यान केन्द्रित करने में मुश्किल हो रही थी. इसलिए उन्होंने एम्स प्रदेश किशोर संसाधन केन्द्र से मदद लेने का फ़ैसला किया. 

“वहाँ मुझे परीक्षा के तनाव और चिन्ता के बारे में जानकारी मिली. परामर्श एवं तनाव प्रबन्धन तकनीकों से मुझे राहत मिली. मैं अब ख़ुशी से कह सकती हूँ कि दो सप्ताहों के भीतर ही, मैं फिर से सामान्य महसूस कर रही हूँ.”

सखी कार्यक्रम में स्वास्थ्य पर ख़ासतौर पर ध्यान दिया गया है. इसके लिए आन्ध्र प्रदेश के मंगलगिरी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के प्रदेश किशोर स्वास्थ्य संसाधन केन्द्र की मदद ली गई है. यह केन्द्र यूनीसेफ़ के समर्थन से, परामर्श, स्वास्थ्य जाँच, टैलीमैडिसिन, शारीरिक बढ़त की निगरानी, टीकाकरण तथा विशेष चिकित्सा देखभाल जैसी महत्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करता है.

सखी की समावेशी कार्यप्रणाली के अन्तर्गत स्कूल भी शामिल हैं. स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम के तहत, प्रशिक्षित ‘स्वास्थ्य एवं कल्याण दूत,’ कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए संवादात्मक सत्र आयोजित करते हैं. इन सत्रों में 11 महत्वपूर्ण विषयों पर स्वास्थ्य संवर्धन तथा रोग निवारण के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है.

सखी कोना: किशोरों के लिए संसाधन केन्द्र

14 नवम्बर 2024, राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर विजयनगरम में सखी कोना (Corner) शुरू किया गया. यह प्रदेश में अपनी तरह का पहला किशोर केन्द्रित संसाधन केन्द्र है.

इस केन्द्र में किशोर, स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं, जिसमें एचआईवी की रोकथाम भी शामिल है. साथ ही, यहाँ स्वास्थ्य एवं अन्य व्यक्तिगत मुद्दों पर परामर्श भी उपलब्ध है.

स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम वेबसाइट के ज़रिए, छात्रों को स्वास्थ्य ज्ञान एवं संसाधन उपलब्ध करवाया जाता है.

स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम वेबसाइट के ज़रिए, छात्रों को स्वास्थ्य ज्ञान एवं संसाधन उपलब्ध करवाया जाता है.

स्वास्थ्य और सशक्तिकरण की डिजिटल राह

कुमारम ज़िला परिषद हाई स्कूल की नौवीं कक्षा की छात्रा ए चैत्राली कहती हैं, “बाल विवाह, माँ और बच्चे, दोनों के स्वास्थ्य और भविष्य पर बुरा असर डालता है. हम स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम की वेबसाइट के ज़रिए, ऐसी समस्याओं के बारे में सीखते हैं, दूसरों को शिक्षित करते हैं, और स्वयं को जागरूक व सशक्त बनाते हैं.”

चैत्राली, कुछ ही क्लिक में वेबसाइट पर पहुँचने, पंजीकरण करने और एचआईवी जागरूकता प्रश्नोत्तरी पूरी करके प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया सभी को समझाती हैं, और अपने साथियों को शिक्षा व बदलाव के लिए इस मंच का उपयोग करने हेतु प्रेरित करती हैं.

इस डिजिटल मंच के ज़रिए आन्ध्र प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों के किशोरों व शिक्षकों को एचआईवी रोकथाम, मानसिक स्वास्थ्य, नशा मुक्ति एवं जीवन कौशल जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों तक पहुँच हासिल होती है.

इस नवीन और प्रभावी डिजिटल मंच को साढ़े 17 हज़ार से अधिक सक्रिय युवाओं ने अपनाया है, जिनमें से तीन-चौथाई से अधिक किशोरियाँ हैं. यह अपनी तरह की पहली वेबसाइट है, जो सीखने को एक रोचक और पुरस्कृत अनुभव में बदल रही है.

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