ब्रोकरेज फर्म जेफरीज (Jefferies) में इक्विटी स्ट्रटैजी के ग्लोबल हेड क्रिस्टोफर वुड का कहना है कि मार्केट वेट में बढ़ोतरी के बावजूद विदेशी निवेशक जल्द भारतीय कंपनियों के स्टॉक खरीदने को मजबूर हो जाएंगे। जेफरीज के नोट में क्रिस ने भारतीय इक्विटी मार्केट की मजबूत अर्निंग ग्रोथ प्रोफाइल के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। उनका कहना था कि इंडियन मार्केट वेट में बढ़ोतरी से देश में विदेशी पूंजी को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
भारत मार्केट कैपिटल के लिहाज से 5वां सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट है। इसके अलावा, ब्लूमबर्ग वर्ल्ड इंडेक्स में भारत का वेट 2 पर्सेंट हैं और यह आठवें रैंक पर मौजूद है। वुड ने कहा कि इन आंकड़ों के मद्देनजर इस बात की प्रबल संभावना बनती है कि दुनिया की सबसे तेजी बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के मामले में विदेशी निवेशक अपना निवेश बढ़ाएंगे।
उनके मुताबिक, MSCI EM में भारत के वेट में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन विदेशी निवेशकों ने उस अनुपात में भारतीय शेयरों में पैसा नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि हालांकि आने वाले समय में स्थिति बदलेगी।
इमर्जिंग मार्केट सूचकांकों में भारत के वेटेज में 20202 से बढ़ोतरी देखने को मिली है। जेफरीज (Jefferies) का कहना है कि MSCI EM इंडेक्स में भारत का वेटेज बढ़कर 17.9 पर्सेंट हो गया है, जो जून 202 में 8 पर्सेंट था। उनका कहना था कि ग्लोबल फंड में भारत के वेटेज में बढ़ोतरी की वजह से भारतीय स्टॉक्स फॉरेन इनवेस्टर्स के लिए जरूरी हो जाएंगे।
नोट में यह भी बताया गया है कि 2023 में भारतीय बाजारों में 20 अरब डॉलर का इक्विटी फ्लो देखने को मिला, जो पिछले लेवल के मुकाबले ज्यादा हाई नहीं था। वुड का यह भी कहना था कि भारतीय बाजारों में डोमेस्टिक फंडों की पहुंच ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुकाबले कम है। वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय परिवारों की बचत का महज 5 पर्सेंट हिस्सा इक्विटी में लगा हुआ है।