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बेंगलुरु के कोर्ट ने जतिन दलाल के खिलाफ Wipro के मुकदमे को आर्बिट्रशन में भेजा

बेंगलुरु के कोर्ट ने जतिन दलाल के खिलाफ Wipro के मुकदमे को आर्बिट्रशन में भेजा

विप्रो के पूर्व चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) जतिन दलाल (Jatin Dalal) के खिलाफ कंपनी द्वारा दायर मुकदमे को आर्बिट्रेशन में भेज दिया गया है। बेंगलुरु के सिविल कोर्ट ने 3 जनवरी को सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। कोर्ट के इस फैसले से दलाल को भी इस मामले में अब अपनी ओर से याचिका दायर करने की अनुमति होगी।

विप्रो ने दलाल पर नॉन-कंपीट क्लॉज के उल्लंघन का आरोप लगाया है। कंपनी के मुताबिक, दलाल ने विप्रो से इस्तीफा देने के 12 महीनों के भीतर उसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी कॉग्निजेंट (Cognizant) ज्वाइन कर लिया था। दलाल ने अपने आवेदन में अदालत से इस मामले को आर्बिट्रेशन में भेजने का अनुरोध किया था।

दलाल के खिलाफ दायर मुकदमे में, कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट के उल्लंघन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 18 पर्सेंट की दर से ब्याज के साथ 25.15 करोड़ रुपये के मुआवजे की भी मांग की गई है। आर्बिट्रेशन ऐसा सिस्टम होता है, जहां दोनों पक्ष अदालत में गए बिना विवादों का निपटारा करते हैं। इसके तहत विवाद के निपटारे के लिए एक आर्बिट्रेटर नियुक्त किया जाता है और इसका फैसला कानूनी तौर पर मान्य होता है।

आर्बिट्रेशन के जरिये विवादों को निपटाने के लिए संबंधित पक्षों के बीच आर्बिट्रेशन को लेकर सहमति होनी चाहिए। आर्बिट्रेशन जल्द विवाद निपटाने का एक तरीका है, जिसका इस्तेमाल आम तौर पर बड़े बिजनेस हाउस करते हैं। अगर एक बार विवाद को आर्बिट्रेशन के हवाले कर दिया जाए, तो यह सिर्फ तब अदालत में आता है, जब आर्बिट्रेटर के फैसले को चुनौती दी गई हो या पक्षों में इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पाई हो किआर्बिट्रेटर कौन होगा।

दलाल के मामले में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके एंप्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में आर्बिट्रेशन का क्लॉज था, लिहाजा मामले को आर्बिट्रेशन में भेजा गया। यह मुकदमा 28 नवंबर को दायर किया गया था, जबकि 30 नवंबर को दलाल का विप्रो में अंतिम दिन था। कॉग्निजेंट से चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर का पद ऑफर होने के बाद दलाल ने सितंबर में अपने इस्तीफे का ऐलान किया था।

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