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बांग्लादेश में भयानक हिंसा तुरन्त बन्द हो, वोल्कर टर्क

मीडिया ख़बरों के अनुसार, इस सप्ताहान्त के दौरान सरकार विरोध प्रदर्शनों के दौरान, सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के दरम्यान टकराव में, कम से कम 80 लोग मारे गए हैं, जिनमें 13 पुलिसकर्मी भी हैं.

सरकार ने करफ़्यू लगा दिया और इंटरनैट उपलब्धता भी प्रतिबन्धित कर दी है.

राजधानी ढाका से पश्चिमोत्तर में क़रीब 100 किलोमीटर दूर सिराजगंज ज़िले में एक पुलिस थाने पर भी हमला किया गया है.

हिंसा का यह दौर, जुलाई में शुरू हुए प्रदर्शनों का हिस्सा है, जो विश्वविद्यालयों के छात्रों ने, सरकारी रोज़गार पदों में आरक्षण कोटा को ख़त्म किए जाने के विरोध में जुलाई में शुरू किए थे. इन प्रदर्शनों में अभी तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

जुलाई में मारे गए लोगों में कम से कम 32 बच्चे भी थे.

सोमवार को जुलूस की योजना

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने बांग्लादेश में इस स्थिति पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है.

ऐसी ख़बरें हैं कि राजधानी ढाका में सोमवार को बड़े पैमाने पर एक जुलूस निकाले जाने की योजना है और सत्तारूढ़ आवामी लीग गठबन्धन की युवा शाखा ने, प्रदर्शनों के ख़िलाफ़ नारे दिए हैं.

वोल्कर टर्क ने एक वक्तव्य में कहा है कि वो स्थिति की गम्भीरता पर बहुत चिन्तित हैं जिसमें जीवन व सम्पत्ति की और अधिक हानि होने की आशंका है.

उन्होंने राजनैतिक नेतृत्व और सुरक्षा बलों से, जीवन के अधिकार की हिफ़ाज़त करने, और शान्तिपूर्ण ढंग से सभाएँ करने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए, अपनी ज़िम्मेदारियों का पालने करने की अपील की है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने मानवाधिकार हनन के लिए जवाबदेही निर्धारित किए जाने की महत्ता को रेखांकित किया.

वोल्कर टर्क ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से भी यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि इस सम्बन्ध में किसी को भी दंड मुक्ति नहीं दी जाएगी.

असहमति का दमन रोका जाए

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने बांग्लादेश सरकार से प्रदर्शन आन्दोलन में शान्तिपूर्ण ढंग से शिरकत करने वाले लोगों को निशाना बनाना रोकने का भी आहवान किया है. साथ ही मनमाने तरीक़े से हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किए जाने की भी पुकार लगाई है.

इसके साथ, इंटरनैट की उपलब्धता को पूरी तरह बहाल करने और सार्थक बातचीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार किए जाने का भी आग्रह किया है.

वोल्कर टर्क ने कहा, “लोक असहमति को दबाने, अत्यधिक बल प्रयोग, दुस्सूचना के प्रसार व हिंसा भड़काव को उकसावा देने के प्रयासों को तुरन्त रोका जाना होगा.”

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