बांग्लादेश सरकार ने मंगलवार को इन प्रदर्शनों के हिंसक हो जाने के बाद, तमाम सार्वजनिक व निजी विश्वविद्यालय बन्द कर दिए हैं.
मीडिया ख़बरों के अनुसार, इस हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और अनेक अन्य घायल हो गए.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने सोशल मीडिया पर अपने सन्देश में लिखा है कि हिंसा के सभी कृत्यों व गतिविधियों और बल प्रयोग की जाँच होनी चाहिए और ज़िम्मेदारों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
उन्होंने लिखा है कि इसमें ख़ासतौर से वो हिंसा शामिल है जिसके कारण जीवन की हानि हुई है.
वोल्कर टर्क ने कहा है, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शान्तिपूर्ण ढंग से सभाएँ करना, बुनियादी मानवाधिकार हैं.”
ये छात्र उस आरक्षण कोटा का विरोध कर रहे हैं जिसके तहत सरकारी रोज़गारों की एक तिहाई संख्या, 1971 के युद्ध में शहीद हुए लोगों के बच्चों के लिए आरक्षित हैं.
उसे पाकिस्तान से आज़ादी हासिल करने के लिए लड़ा गया युद्ध क़रार दिया जाता है.
वो आरक्षण कोटा वर्ष 2018 में ख़त्म कर दिया गया था, मगर जुलाई 2024 में फिर से लागू कर दिया गया था, जिसके विरोध में ये छात्र प्रदर्शन भड़क उठे हैं.