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बांग्लादेश: कॉक्सेस बाज़ार में रोहिंज्या आबादी के लिए खाद्य सहायता में वृद्धि

बांग्लादेश: कॉक्सेस बाज़ार में रोहिंज्या आबादी के लिए खाद्य सहायता में वृद्धि

यूएन एजेंसी के अनुसार, 1 जनवरी 2024 से रोहिंज्या समुदाय के लिए मासिक खाद्य सहायता को प्रति व्यक्ति 8 डॉलर से बढ़ाकर 10 डॉलर कर दिया जाएगा. 

एक अनुमान के अनुसार, साढ़े नौ लाख से अधिक रोहिंज्या शरणार्थी, दक्षिणी बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में रहते हैं. 

इनमें से अधिकाँश ने, अगस्त 2017 में उत्तरी म्याँमार में सैन्य कार्रवाई के दौरान अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश में शरण ली थी, जब कथित रूप से उनके घरों पर व्यवस्थागत ढंग से हमले किए गए. 

वर्ष 2023 के शुरुआती दिनों में शरणार्थी आबादी के लिए मासिक खाद्य सहायता प्रति व्यक्ति 12 डॉलर थी, मगर वित्त पोषण की कमी के कारण इसे मार्च में घटाकर 10 डॉलर कर दिया गया. 

इसके बाद, जून 2023 में इसे और घटाकर प्रति व्यक्ति आठ डॉलर करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. 

पिछले साल नवम्बर के महीने तक, 90 प्रतिशत शरणार्थियों को पर्याप्त मात्रा में आहार के लिए जूझना पड़ रहा था.  

बांग्लादेश में यूएन एजेंसी के देशीय निदेशक डोम स्केलपेली ने बताया कि 2023, बांग्लादेश में रोहिंज्या आबादी के लिए उथलपुथल भरा वर्ष साबित हुआ है.

शरणार्थी समुदाय को अनेक बार शिविरों में आग लगने, चक्रवाती तूफ़ानों और रसद सहायता में कटौती का सामना करना पड़ा.

दानदाताओं का आभार

यूएन एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार शरणार्थी शिविरों में खाद्य और पोषण स्थिति तेज़ी से बिगड़ रही है. 

इसके मद्देनज़र, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने समर्थन के लिए दानदाताओं का आभार प्रकट किया है और कहा है कि रोहिंज्या आबादी के लिए चरणबद्ध ढंग से खाद्य सहायता वितरण सुनिश्चित किया जाएगा. 

“इन हालात में, दानदाता समुदाय, रोहिंज्या के साथ खड़ा हुआ है, यह उनके ही उदार योगदान का परिणाम है कि अब हम वाउचर के मूल्य को बढ़ा सकते हैं और WFP के खाद्य सहायता पैकेज में स्थानीय रूप से तैयार पोषक चावल को शामिल कर सकते हैं.”

आरम्भ में यह सहायता एक या दो शिविरों तक यह राहत पहुँचाई जाएगी, जिसके बाद इसे बढ़ाकर कॉक्सेस बाज़ार और भाषण चार द्वीप पर पूरी शरणार्थी आबादी के लिए सुनिश्चित किया जाएगा.  

यूएन एजेंसी को खाद्य रसद को फिर से प्रति व्यक्ति 12.5 डॉलर के पूर्ण स्तर पर ले जाने के लिए छह करोड़ डॉलर की धनराशि की अब भी दरकार है. 

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