बांग्लादेश में UNFPA की स्थानीय प्रतिनिधि और फ़िलहाल यूएन कार्यालय में रैज़िडेन्ट कोऑर्डिनेटर a.i. का कार्यभार सम्भाल रहीं, क्रिल्टीन ब्लोकस ने बाढ़ की ताज़ा स्थिति पर यूएन न्यूज़ के साथ एक ख़ास बातचीत में बताया कि चूँकि यह बाढ़, उत्तरी बांग्लादेश में पहले आई बाढ़ व मई में चक्रवात रीमल के तुरन्त बाद आई है, तो ऐसे में हालात और भी ख़राब हो गए हैं. तीन आपातकालीन स्थितियों ने बांग्लादेश भर में 1.3 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया है, जिसमें 50 लाख बच्चे शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में चक्रवातों, बाढ़ और अन्य चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति, गम्भीरता और अप्रत्याशितता बढ़ने की एक बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है.
यूएन न्यूज़: बांग्लादेश के कई पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में भारी बारिश के कारण बाढ़ आई है. सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र कौन से हैं और वहाँ की ज़मीनी स्थिति क्या है?
क्रिस्टीन ब्लोकस: बांग्लादेश एक डेल्टा क्षेत्र में स्थित है, इसलिए यह अक्सर बाढ़ से प्रभावित रहता है. हालाँकि, इस बार की बाढ़ असाधारण और अभूतपूर्व है. यह एक प्रलय से कम नहीं है. हमने पिछले 30 वर्षों में ऐसी बाढ़ कभी नहीं देखी. इस समय 11 ज़िलों के लगभग 58 लाख लोग इस बाढ़ से प्रभावित हैं. ये लोग उन ज़िलों से हैं, जो आमतौर पर बाढ़ से प्रभावित नहीं होते. लगभग 60 लाख के क़रीब लोग प्रभावित हो चुके हैं जो अभी तक अपने पैरों पर वापस खड़े नहीं हो पाए हैं.
फ़िलहाल हम लगभग 2 करोड़ लोगों की मदद कर रहे हैं. बांग्लादेश का लगभग 45% हिस्सा पानी में डूबा हुआ है. प्रभावित जनसंख्या में अधिकतर महिलाएँ व बच्चे शामिल हैं, जिनमें लगभग 6 लाख शिशु और 78 हज़ार गर्भवती महिलाएँ हैं, इनमें से 10 हज़ार महिलाएँ, इसी महीने बच्चों को जन्म देने वाली हैं. और बहुत से प्रभावित लोग ऐसे भी हैं जो ज़रूरी सेवाओं से कटे हुए हैं.
हमने ऐसे विस्थापित लोग भी देखे हैं, जिनके पास कई दिनों से खाने के लिए भी कुछ नहीं है. अतः अभी हमारी उच्चतम प्राथमिकता उन्हें आपातकालीन आपूर्ति जैसे उच्च ऊर्जा वाले बिस्कुट उपलब्ध कराना है. इसके अलावा, साफ़ पानी और स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच एक बड़ी चिन्ता है, ख़ासतौर पर जलजनित बीमारियों के ख़तरे के कारण.
यह स्पष्ट है कि बहुत सारे लोग स्वास्थ्य सेवाओं से कट गए हैं, और जो स्वास्थ्य सेवाएँ चालू हैं, वे बाढ़ से सम्बन्धित चोटों व अन्य प्रभावों के कारण अपनी क्षमता से कहीं अधिक दबाव झेल रही हैं. लगभग ढाई लाख लोग बाढ़ आश्रयों में शरण ले चुके हैं. परिणामस्वरूप, इन शरणस्थलों पर अत्यंत भीड़भाड़ हो गई है. हालाँकि, कुछ शरणार्थी अपने घर वापस भी लौट रहे हैं.
इसके अलावा, पूरे देश में कुल 7 हज़ार स्कूल प्रभावित हुए हैं, और लगभग 15 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. और इन सभी प्रभावों के परे, आजीविका और कृषि पर दीर्घकालिक असर एक बहुत गम्भीर व चिन्ताजनक समस्या है. कृषि क्षेत्र पर भारी असर पड़ा है. लोगों की फ़सलें तबाह हो गई हैं, उनकी खेती की ज़मीन बाढ़ में डूब गई है. मछुआरे भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, लगभग 60 लाख पशुधन पर भी गम्भीर असर पड़ा है. हमारा अनुमान है कि लगभग 30 लाख पशु इन बाढ़ों में मारे गए हैं, जिसका सीधा असर लोगों की आजीविका पर पड़ा है. हमारे एक मूल्यांकन के अनुसार, इन प्रभावित लोगों का जीवन पटरी पर लाने के लिए बहुत अधिक समय, प्रयास एवं अनुदान की आवश्यकता होगी.
यूएन न्यूज़: बाढ़ और भूस्खलन ने रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों को भी प्रभावित किया है. वहाँ की स्थिति क्या है और उनकी मदद कैसे की जा रही है?
क्रिस्टीन ब्लोकस: शिविरों में ज़्यादातर ढाँचे अस्थाई हैं, वे बाँस व ऐसी अन्य सामग्री से बने हैं जो आसानी से नष्ट हो जाते हैं. लगभग 20 हज़ार आश्रय पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. अतः ऐसी स्थिति में हमें पुनःनिर्माण की सख़्त आवश्यकता है. हमें 4 हज़ार से अधिक परिवारों को शिविरों से स्थानान्तरित करना पड़ा है.
इन 33 शिविरों में लगभग 10 लाख लोग रहते हैं, और निश्चित रूप से ऐसी घटना का प्रभाव बहुत भयावह है. UNHCR के नेतृत्व में, रोहिंज्या शिविरों में कार्रवाई पहले से ही चल रही है. शिविरों में पहले से तैयारी भी की गई है क्योंकि दुर्भाग्यवश इस तरह की घटनाएँ समय-समय पर होती रहती हैं. शरणार्थी समुदाय के भीतर प्रशिक्षित स्वयंसेवक हैं, जो तैयारी व सहायता प्रदान करने में एक-दूसरे की मदद करते हैं.
2017 में रोहिंज्या लोगों के आगमन के बाद से, वहाँ बहुत से प्रयास किए गए हैं. इनमें से वनों को फिर से बहाल करने के प्रयास, ताकि भूस्खलन को रोका जा सके, उल्लेखनीय हैं. हम इसका कुछ सकारात्मक प्रभाव देख रहे हैं. रोहिंज्या लोगों के लिए एक मानवीय कार्यकर्ताओं की संयुक्त प्रतिक्रिया योजना भी बनाई गई है, जिसका लक्ष्य रोहिंज्या शिविरों और आसपास के बांग्लादेशी समुदायों के 13 लाख लोगों तक पहुँचने का है. इस साल के लिए 80 करोड़ डॉलर से अधिक राशि की सहायता की माँग की गई है, और हमें अन्दाज़ा है कि जितना असर नज़र आ रहा है, उससे ज़रूरतें और भी बढ़ सकती हैं.
यूएन न्यूज़: इस बाढ़ के कारण कितने लोगों को तत्काल मदद की आवश्यकता है और विभिन्न UN एजेंसियाँ किस प्रकार से मदद कर रही हैं?
क्रिस्टीन ब्लोकस: हम, संयुक्त राष्ट्र और हमारे मानवीय साझीदारों के साथ मिलकर, सरकार के समर्थन और समन्वय में उन प्राथमिकताओं पर ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं जिन्हें हमने सरकार के समर्थन और समन्वय से निर्धारित किया है. बहुत सारा काम पहले से ही किया जा रहा है, जैसे आपातकालीन खाद्य सहायता प्रदान करना, साफ़ पानी उपलब्ध कराना, गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी में मदद करना, आदि. यह कार्य सीधे तौर पर और नक़द सहायता प्रदान करके भी किया जा रहा है, ताकि लोग अपनी सबसे ज़रूरी आवश्यकताओं को प्राथमिकता दे सकें.
हमने मानवीय साझेदारों के संग समन्वय कर अपनी आपूर्ति बढ़ाई है, और जो भी धन हम जुटा सकते थे, उसे एकत्र कर रहे हैं, जिसमें CERF (मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय) से प्राप्त 40 लाख डॉलर भी शामिल हैं.
लेकिन याद रखें कि हम मई से अब तक चार प्रमुख आपदाओं का सामना कर रहे हैं. मई में एक चक्रवात आया था और उसके बाद से तीन बड़ी बाढ़ की घटनाएँ हो चुकी हैं. हमने पहले ही 7 करोड़ 90 करोड़ की एक बाढ़ आपातकालीन योजना बनाई थी, लेकिन इसे 20% भी धनराशि नहीं मिली थी. अब इस नवीनतम अभूतपूर्व घटना के साथ, हमें उस योजना को संशोधित करना पड़ रहा है ताकि हम यहाँ देखे जा रहे सभी नुक़सान को शामिल कर सकें.
यूएन न्यूज़: क्या आपदा की पूर्व-तैयारी के लिए भी कुछ उपाय किए गए थे? विशेष रूप से, क्या संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों के पास ऐसी आपदाओं के लिए पूर्व-योजना होती है, और क्या वो घटना घटने से पहले, उसका सामना करने के लिए तैयार रहते हैं?
क्रिस्टीन ब्लोकस: निश्चित रूप से हम तैयारी के लिए बहुत काम करते हैं. हम जानते हैं कि चक्रवात और मानसून हर साल बांग्लादेश को प्रभावित करते हैं, और बाढ़ जैसी घटनाएँ का होना आश्चर्यजनक नहीं है. इसलिए हम पहले से ही आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं और अपनी समन्वय संरचनाओं को तैयार करते हैं. हम सरकार के साथ बहुत निकट सम्पर्क के साथ काम करते हैं.
हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम यह रेखांकित करें कि बांग्लादेश के इस पूर्वी क्षेत्र में बाढ़ के ये हालात अभूतपूर्व हैं. यह ऐसा कुछ है जो हमने पहले कभी इस पैमाने पर नहीं देखा. यह एक ऐसा क्षेत्र है जो आमतौर पर बड़े पैमाने पर बाढ़ से प्रभावित नहीं होता, और इसलिए पूर्व-तैयारी के उपाय उसी तरह से लागू नहीं किए गए जैसे अन्य अधिक प्रभावित, तटीय और मुख्य नदियों के निकट, क्षेत्रों में किए जाते हैं. हम मौसम पूर्वानुमान पर नियमित रूप से नज़र रखते हैं, लेकिन यह घटना आकस्मिक बाढ़ (flash floods) की थी, जिसका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल था.
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन इन बदलते मौसम रुझान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे इस तरह की आकस्मिक आपदाएँ घटती हैं. और यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि हम बांग्लादेश और अन्य स्थानों पर काम करने के तरीक़े में इसका ध्यान रखें.
ये घटनाएँ समय के साथ और भी अधिक गम्भीर होती चली जाएँगी, अतः हमें काम करने के ऐसे उपाय अपनाने की आवश्यकता है जो समुदायों को इन नियमित घटनाओं के झटकों का बेहतर सामना करने में मदद करें.
यूएन न्यूज़: जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से अगर हम दीर्घकालिक बात करें, तो संयुक्त राष्ट्र सरकार के साथ मिलकर देश में आपदा प्रबंधन उपायों को कैसे बढ़ावा दे रहा है? पिछले कुछ वर्षों में जीवन और सम्पत्ति का न्यूनतम नुक़सान सुनिश्चित करने के लिए क्या बदलाव किए गए हैं?
क्रिस्टीन ब्लोकस: इसे ‘पूर्वानुमानात्मक कार्रवाई’ कहा जाता है और बांग्लादेश इस क्षेत्र में अग्रणी है. हम कुछ हद तक भविष्यवाणी कर सकते हैं कि चक्रवात या बाढ़ कब आएगी, जिसके फलस्वरूप, हम पहले से आपूर्ति तैयार कर सकते हैं और प्रभावित होने वाले किसानों और परिवारों को नक़दी सहायता प्रदान कर सकते हैं ताकि वे अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं बेहतर तैयारी कर सकें.
बांग्लादेश सरकार के पास आपात स्थितियों से निपटने के लिए अच्छी संरचनाएँ हैं और संयुक्त राष्ट्र एवं मानवीय साझीदारों के साथ हमारा काम हमेशा सरकार के समर्थन में, तथा उसके साथ मिलकर होता है. हम सुनिश्चित करते हैं कि हम साथ मिलकर तैयार रहें.
यूएन न्यूज़: क्या बांग्लादेश में हाल ही के राजनैतिक संकट के कारण, राहत और पुनर्वास प्रयासों में कोई बाधा आई है?
क्रिस्टीन ब्लोकस: जुलाई में बांग्लादेश में सरकार का परिवर्तन हुआ. ये राजनैतिक बदलाव छात्रों के विरोध और नागरिक अशान्ति के कारण हुआ और अब यहाँ एक अन्तरिम सरकार काम कर रही है. इस अन्तरिम सरकार को बहुत जल्दी इन अभूतपूर्व बाढ़ों से निपटने की चुनौती मिली है. अभी हम अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हमसे जितना सम्भव हो सके उतना समर्थन प्रदान करें. और हमने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर भी अधिकाधिक समर्थन देने की पेशकश की है.