जलवायु परिवर्तन से निपटने पर केन्द्रित पेरिस जलवायु समझौते में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने का लक्ष्य स्थापित किया गया है, और वर्ष 2023 में तापमान वृद्धि उसके बेहद नज़दीक है.
वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इस समझौते पर 193 देशों में सहमति बनी थी. जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए तापमान वृद्धि की इस सीमा को अहम माना गया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि यूएन प्रमुख का मानना है कि मानव गतिवधियों से पृथ्वी के लिए तापमान गहन होता जा रहा है.
उनके अनुसार, पिछला वर्ष एक बानगी मात्र है कि यदि अभी कार्रवाई नहीं की गई तो फिर किस तरह का विनाशकारी भविष्य हमारी प्रतीक्षा कर रहा है.
असाधारण कार्रवाई की दरकार
यूएन प्रमुख ने कहा कि वैश्विक तापमान में रिकॉर्ड ध्वस्त करने वाली बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र, असाधारण क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है.
इसके तहत, नेताओं को त्वरित ढंग से गम्भीरतापूर्वक नई राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं के लिए प्रतिबद्धता जतानी होगी.
साथ ही, जलवायु प्रभावों की दृष्टि से सम्वेदनशील परिस्थितियों का सामना करने वाले देशों को सहनसक्षमता समर्थन प्रदान करने के लिए निवेश किया जाना होगा.
महासचिव गुटेरेश के अनुसार, जलवायु आपदा के बदतरीन प्रभावों से अब भी बचा जा सकता है, मगर तभी यदि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5°C को तक सीमित रखने के लिए महत्वाकांक्षा के साथ कार्रवाई की जाए और जलवायु न्याय को सुनिश्चित किया जाए.