यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने सोमवार को जारी अपने एक वक्तव्य में कहा कि उन्हें प्राप्त जानकारी के अनुसार, फ़लस्तीनी महिलाओं व लड़कियों को, कथित तौर पर मनमाने ढंग से जान से मार दिए जाने की घटनाएँ हुई हैं.
यूएन विशेषज्ञों ने इसराइल सरकार को ध्यान दिलाया है कि फ़लस्तीनी महिलाओं व लड़कियों के जीवन, सुरक्षा, स्वास्थ्य व गरिमा के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना होगा.
साथ ही, यातना, बुरे व अमानवीय बर्ताव, यौन हिंसा समेत मानवाधिकार हनन के अन्य मामलों से उनकी रक्षा की जानी होगी.
विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, ऐसे मामलों में अक्सर, महिलाओं को उनके बच्चों समेत अन्य परिजनों के साथ मार दिया गया.
“हम फ़लस्तीनी महिलाओं व बच्चों को जानबूझकर निशाना बनाए जाने और उनकी न्यायेतर हत्याओं की रिपोर्टों पर स्तब्ध हैं, उन स्थानों पर जहाँ उन्होंने शरण ली हुई थी या वे जहाँ से भाग रहे थे.”
“इसराइली सेना या उससे सम्बद्ध बलों ने जब, इनमें से कुछ की हत्या की तो उस समय उन्होंने कथित रूप से सफ़ेद कपड़े का टुकड़ा हाथ में थामे हुए था.”
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सैकड़ों फ़लस्तीनी महिलाओं व लड़कियों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखे जाने की घटनाओं पर भी गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है.
इनमें 7 अक्टूबर के बाद से ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में हिरासत में लिए गए मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार और मानवतावादी समेत अन्य लोग हैं.
यूएन विशेषज्ञों ने बताया कि उन्हें प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें से कई महिलाओं व लड़कियों के साथ अमानवीय बर्ताव किए जाने के आरोप लगे हैं, उन्हें भोजन, दवा व सैनिट्री पैड नहीं दिए गए और बुरी तरह पिटाई की गई.
बताया गया है कि एक फ़लस्तीनी महिला को ग़ाज़ा में कथित रूप से एक पिंजरे में बारिश, ठंड के दौरान रखा गया और भोजन नहीं दिया गया.
हिरासत में यौन दुर्व्यवहार के आरोप
यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि इसराइली बलों द्वारा हिरासत में रखे जाने के दौरान, फ़लस्तीनी महिलाओं व लड़कियों के साथ अनेक प्रकार से यौन दुर्व्यवहार किया गया – उनके कपड़े उतरवाए गए और पुरुष इसराइली सैन्य अधिकारियों द्वारा तलाशी ली गई.
“कम से कम दो फ़लस्तीनी महिला बन्दियों का बलात्कार किए जाने की रिपोर्ट मिली है, जबकि अन्य को बलात्कार व यौन हिंसा की धमकियाँ दी गईं.”
कुछ महिला बन्दियों की अपमानजनक हालात में इसराइली सैन्यकर्मियों द्वारा तस्वीरें लिए जाने और उन्हें ऑनलाइन प्रकाशित किए जाने के भी आरोप सामने आए हैं.
मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों ने चिन्ता जताई है कि फ़लस्तीनी महिलाओं, लड़कियों व बच्चों के, इसराइली सेना के सम्पर्क में आने के बाद लापता हो जाने की ख़बरें भी मिली हैं.
जवाबदेही पर बल
विशेष रैपोर्टेयर के समूह ने इन सभी आरोपों की जाँच के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, कारगर जाँच पड़ताल की पुकार लगाई है और इसराइल से इस प्रक्रिया में सहयोग करने का आग्रह किया है.
उन्होंने आशंका जताई कि इन तथाकथित कृत्यों को अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार व मानवतावादी क़ानून के गम्भीर हनन मामलों की श्रेणी में रखा जा सकता है, और इनके दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी.
मानवाधिकार विशेषज्ञ
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं.
उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.
इस वक्तव्य पर दस्तख़त करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों के नाम यहाँ देखे जा सकते हैं.