यूएन प्रमुख ने कहा है कि वर्तमान में विश्व में व्याप्त अभूतपूर्व पर्यावरणीय आपातस्थिति के बारे में लोगों को “सूचित व शिक्षित करने में” पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, ख़ासतौर पर इसलिए क्योंकि इस संकट ने वर्तमान व आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व के लिए ख़तरा पैदा कर दिया है.
उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी के ज़रिए लोग, हमारे ग्रह की दुर्दशा को समझते हैं, और बदलाव लाने हेतु कार्रवाई के लिए संगठित व सशक्त होते हैं.
हालाँकि संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक व साँस्कृतिक संस्थान (UNESCO) द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पत्रकारों, ख़ासतौर पर पर्यावरण पत्रकारों को केवल अपना काम करने के लिए, हिंसक हमलों और यहाँ तक कि मौत का शिकार होना पड़ा है.
यूएन महासचिव ने कहा, “हाल के दशकों में अवैध खनन, कटाई, अवैध शिकार और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों को कवर करने वाले दर्जनों पत्रकार मारे गए हैं.” लेकिन, “इनमें से अधिकांश मामलों में, अभियुक्त पकड़े नहीं गए हैं.”
ख़तरे की चेतावनी
UNESCO की रिपोर्ट में पर्यावरण पत्रकारों के ख़िलाफ़ हुई हिंसक घटनाओं का विश्लेषण किया गया है.
महासचिव ने बताया कि इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पंद्रह वर्षों में, पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों और समाचार संस्थाओं पर, लगभग 750 हमले हुए हैं,.
यूएन न्यूज़ के साथ एक साक्षात्कार में, यूनेस्को में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा के प्रमुख गुइलहर्मे कैनेला ने बताया कि रिपोर्ट में पाया गया कि पर्यावरण रिपोर्टिंग करने वाले 70 प्रतिशत पत्रकारों ने, कम से कम किसी एक प्रकार की हिंसा का सामना किया है, और सर्वेक्षण में शामिल एक चौथाई पत्रकारों को क़ानूनी हमलों से निपटना पड़ा है.
गुइलहर्मे कैनेला ने कहा कि इसके अलावा, पिछले 50 वर्षों में, पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों की रिपोर्टिंग करने वाले 44 पत्रकार मारे गए हैं.
उन्होंने कहा कि यह याद रखना होगा कि संघर्षरत क्षेत्रों में पत्रकारों की भूमिका पर्यवेक्षकों की तरह होती है और वो संघर्ष प्रभावित नागरिक आबादी से जुड़ी जीवन रक्षक जानकारी पाने का अहम साधन होते हैं.
गुइलहर्मे कैनेला ने कहा, “यूनेस्को की चेतावनी है कि हमें पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों को कवर करने वाले पत्रकारों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा, क्योंकि पर्यावरण से जुड़ी जानकारी को लेकर जागरूकता बढ़ाना और शक्तिशाली पक्षों की जवाबदेही सुनिश्चित करना, वर्तमान में ग्रह के समक्ष मौजूद पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहद आवश्यक है.”
सभी पत्रकारों की सुरक्षा
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने विश्व प्रैस स्वतंत्रता दिवस पर जारी एक वक्तव्य में कहा कि एक पत्रकार को खोने का मतलब है, एक मानवाधिकार रक्षक को खोना.
उन्होंने कहा कि दुनिया को “स्वतंत्र, नैतिक और गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता की शायद अब पहले से कहीं अधिक ज़रूरत है.”
वोल्कर टर्क ने सभी पत्रकारों, ख़ासतौर पर पर्यावरण पत्रकारों को “सरकारों व नियोक्ताओं से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मज़बूत प्रतिबद्धता,” कामकाज का सुरक्षित माहौल तथा हमलों के ख़तरे के बिना काम करने का अधिकार चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने, जनता को मुद्दों के बारे में सूचित व शामिल करने के, पत्रकारों और मीडियाकर्मियों के अमूल्य काम की सराहना की, और दुनिया भर में प्रैस की स्वतंत्रता व पत्रकारों तथा मीडियाकर्मियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए, सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज से प्रतिबद्धता जताने का आहवान किया.
उन्होंने कहा, “प्रैस की स्वतंत्रता के बिना कोई भी आज़ादी बेमानी है. एक स्वतंत्र प्रैस कोई विकल्प भर नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता है.”