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पेपर लीक को रोकने के लिए केंद्र का कड़ा रुख, अगले सप्ताह संसद में पेश कर सकती है बिल

सांकेतिक  फोटो- India TV Hindi

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कॉम्पिटिटिव परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं से सख्ती से निपटने के लिए सरकार अगले वीक संसद में एक नया बिल पेश कर सकती है, जिसमें अधिकतम 10 साल की जेल की सजा और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान होगा। सूत्रों ने कहा कि सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 सोमवार को पेश किया जा सकता है लेकिन इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है। इस बिल को हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

‘गिरोहों, माफिया तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करेगा’

सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित कानून का निशाना छात्र नहीं होंगे। यह संगठित गिरोहों, माफिया तत्वों और कदाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा और उनके साथ मिलीभगत करने वाले सरकारी अधिकारियों को भी नहीं बख्शेगा। यह कदम राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा, हरियाणा में ग्रुप-डी पदों के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी), गुजरात में कनिष्ठ क्लर्कों के लिए भर्ती परीक्षा और बिहार में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा जैसी कई प्रतियोगी परीक्षाओं को रद्द करने की पृष्ठभूमि में आया है। 

‘एक हाई लेवल नेशनल टेक्निकल समिति का भी प्रस्ताव है’

सूत्रों के मुताबिक विधेयक में सार्वजनिक परीक्षाओं पर एक हाई लेवल नेशनल टेक्निकल समिति का भी प्रस्ताव है जो कम्प्यूटरीकृत परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिशें करेगी। समिति डिजिटल प्लेटफार्मों को इन्सुलेट करने के लिए प्रोटोकॉल विकसित करने, फुलप्रूफ आईटी सुरक्षा प्रणाली विकसित करने के तरीके और साधन तैयार करने, परीक्षा केंद्रों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सुनिश्चित करने और ऐसी परीक्षाओं के संचालन के लिए तैनात किए जाने वाले आईटी और भौतिक बुनियादी ढांचे दोनों के लिए राष्ट्रीय मानकों और सेवाओं को तैयार करने पर विचार करेगी।

‘विधेयक का उद्देश्य परीक्षा प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता लाना है’

सूत्रों ने कहा कि कई मामलों में, यह देखा गया है कि कदाचार में शामिल संगठित समूह और माफिया तत्व सॉल्वर गिरोह तैनात करते हैं, प्रतिरूपण विधियों का उपयोग करते हैं और पेपर लीक में लिप्त होते हैं। सूत्रों के मुताबिक विधेयक का मुख्य उद्देश्य ऐसे नापाक तत्वों को रोकना है। विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है और युवाओं को आश्वस्त करना है कि उनके ईमानदार और वास्तविक प्रयासों को उचित पुरस्कार मिलेगा और उनका भविष्य सुरक्षित है।

इससे पहले दिन में, बजट सत्र की शुरुआत में संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार परीक्षाओं में अनियमितताओं के संबंध में युवाओं की चिंताओं से अवगत है। उन्होंने कहा, “इसलिए, इस तरह की गड़बड़ियों से सख्ती से निपटने के लिए एक नया कानून बनाने का निर्णय लिया गया है।”

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