विश्व

पार-अटलांटिक दास व्यापार प्रथा के पीड़ितों को श्रृद्धांजलि

संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रमुख डेनिस फ़्रांसिस ने सोमवार, 25 मार्च, को ‘पार-अटलांटिक दास व्यापार व दासता के पीड़ितों के अन्तरराष्ट्रीय स्मरण दिवस’ (International Day of Remembrance of The Victims of Slavery and The Transatlantic Slave Trade) पर आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित किया.

उन्होंने क्षोभ व्यक्त किया कि लाखों लोगों ने बेहद कठिन परिस्थितियों में यात्राएँ की और उनकी पहचान व गरिमा को उनसे छीन लिया गया. 

महासभा अध्यक्ष ने कहा कि यह सोचा नहीं जा सकता है कि दासता के शिकार लोगों के साथ क्रूरतापूर्वक, केवल ख़रीद-फ़रोख्त और शोषण के लिए बुरा बर्ताव किया गया.

उनके बच्चों का जन्म भी दासता में हुआ, जिससे बंधुआ बने रहने और पीड़ा का कुचक्र जारी रहा और उनका दमन करने वाले व्यक्तियों के हाथों बयान नहीं किया जा सकने वाला ख़ौफ़ सहना पड़ा.

यूएन महासभा अध्यक्ष ने सैमुअल शार्पे, सजर्नर ट्रूथ और गैसपर यांगा समेत अन्य क्रान्तिकारी हस्तियों को श्रृद्धासुमन अर्पित किए, जिन्होंने स्वाधीनता के लिए निडर होकर लड़ाई लड़ी.

उनके अनुसार इससे दास प्रथा के उन्मूलन का मार्ग प्रशस्त हुआ और भावी पीढ़ियों को अन्याय से लड़ने की प्रेरणा मिली.

डेनिस फ़्रांसिस ने दासता की विरासत के असर को रेखांकित करते हुए जवाबदेही और मुआवज़े की पुकार लगाई और कहा कि अफ़्रीकी व्यक्तियों को जिस व्यवस्थागत नस्लवाद व भेदभाव का सामना करना पड़ता है, उससे निपटा जाना होगा.

अतीत की परछाई

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के शेफ़ दे कैबिने कर्टिने रैट्रे ने उनकी ओर से सन्देश पढ़ते हुए, पीड़ितों के लिए स्मरण और न्याय पर बल दिया.

महासचिव के सन्देश में दासता की बर्बर व्यवस्था के कारण पीड़ा से गुज़रने वाले लाखों व्यक्तियों को सम्मान दिया गया.

“400 वर्षों तक, दासता के शिकार अफ़्रीकियों ने अपनी आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी, जबकि औपनिवेशवादी शक्तियों और अन्य ने उनके विरुद्ध भयावह अपराध किए.”

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने संगठित ढंग से, पार-अटलांटिक दास व्यापार व्यवस्था का संचालन किया, उन्होंने विशाल सम्पदा जुटाई, जबकि दासता के पीड़ितों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, अवसरों व समृद्धि से वंचित कर दिया गया. 

“इससे एक हिंसक, भेदभावपूर्ण व्यवस्था की नींव तैयार की गई, जिस पर आधारित श्वेत वर्चस्ववाद की गूंज आज भी सुनाई देती है.”

इसके मद्देनज़र, यूएन महासचिव ने अपने सन्देश में मुआवज़ा आधारिन न्याय फ़्रेमवर्क की आवश्यकता को रेखांकित किया है, ताकि कई पीढ़ियों के साथ हुए भेदभाव व बहिष्करण से निपटा जा सके और नस्लवाद, कट्टरता व नफ़रत से मुक्त समाज को आकार दिया जा सके.

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