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पाकिस्तान हमलों की निन्दा, बांग्लादेश में बाढ़ राहत कार्य तेज़

पाकिस्तान हमलों की निन्दा, बांग्लादेश में बाढ़ राहत कार्य तेज़

पाकिस्तान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त में सोमवार, 26 अगस्त को हुए हमलों की कड़ी निन्दा की है, जिनमें कम से कम 39 लोगों के मारे जाने की ख़बरें हैं.

यूएन प्रमुख के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में नियमित प्रैस वार्ता में कहा कि महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर दिया है कि आम नागरिकों के ख़िलाफ़ इस तरह के हमले अस्वीकार्य हैं.

उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है और पाकिस्तान सरकार से जाँच कराने व ज़िम्मेदारों की जवाबदेही सुनिश्चित किए जाने का आहवान भी किया है.

बांग्लादेश

बांग्लादेश सहित अनेक देशों में, मानसूनी बारिश और बाढ़ों ने लाखों बच्चों व उनके परिवारों को प्रभावित किया है. (फ़ाइल फ़ोटो)

© UNICEF/Salahuddin Ahmed Paulash

यूएन प्रवक्ता ने बताया कि बांग्लादेश में एक बार फिर भारी बारिश और भारत की तरफ़ से तेज़ रफ़्तार पानी के कारण उत्पन्न भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है.

प्रभावित इलाक़ों में संयुक्त राष्ट्र की टीमें मुस्तैद हैं और जल शुद्धिकरण गोलियाँ, स्वच्छता किटें और भोजन मुहैया करा रही हैं.

यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि मानवीय सहायता एजेंसियों ने, बांग्लादेश में समुद्री तूफ़ान और मानसूनी बाढ़ का सामना करने की ख़ातिर, 8 करोड़ डॉलर की रक़म जुटाने के लिए, जुलाई में प्रथम मानवीय सहायता अपील जारी की थी जिसमें 12 लाख लोगों की मदद की जाएगी.

अभी तक लगभग 7 लाख लोगों तक सहायता पहुँच बनाई गई है, जबकि 8 करोड़ की सहायता अपील का केवल 20 प्रतिशत हिस्सा हासिल हुआ है.

अफ़ग़ानिस्तान

प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने बताया कि राजनैतिक व शान्तिनिर्माण मामलों की अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्तारूढ़ प्रशासन ने हाल ही में जो “नैतिकता क़ानून” लागू किया है, वो मानवाधिकारों और स्वतंत्रताओं पर और भी अधिक पाबन्दियाँ लगाता है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए.

रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि अतार्किक और अस्वीकार्य है, और यह क़ानून, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में, अफ़ग़ानिस्तान की वापसी के रास्ते में केवल रोड़े ही अटका सकता है.

साथ ही अफ़ग़ानिस्तान के लिए महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोज़ा औटुनबायेवा ने एक वक्तव्य में कहा है कि “नैतिकता क़ानून” अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों पर पहले से ही लगी पाबन्दियों का दायरा दीगर बढ़ाता ही है, जिसमें सम्भवतः घर से बाहर किसी महिला की आवाज़ सुने जाने को भी नैतिक उल्लंघन माना जा सकता है.

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