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पश्चिमी तट संकट: यूएन प्रमुख द्वारा तुरन्त इसराइली हमले रोकने का आहवान

पश्चिमी तट संकट: यूएन प्रमुख द्वारा तुरन्त इसराइली हमले रोकने का आहवान

फ़लस्तीनी मीडिया के मुताबिक़, देर बुधवार जारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव का यह बयान, पश्चिमी तट पर इसराइली सैन्य बलों (ISF) की कई सालों में की गई सबसे बड़ी कार्रवाई के बाद आया है. हालाँकि ISF ने इसे आतंकवादियों के ख़िलाफ़ हमला बताया है. इन छापों, ड्रोन व हवाई हमलों में गुरूवार तक 17 लोगों की जान जा चुकी है.

यूएन प्रमुख की ओर से जारी एक वक्तव्य में, उनके प्रवक्ता ने कहा कि महासचिव, तुलकारेम और तुबस गर्वनेट में हुए हवाई हमलों को लेकर बेहद चिन्तित हैं, जिसमें सार्वजनिक ढाँचों को नुक़सान पहुँचा है और कई लोग हताहत हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इन हमलों में बच्चों समेत कई लोगों की जान जाने की कड़ी निन्दा की.

फ़लस्तीनी प्रशासन दरकिनार

पश्चिमी तट में हिंसा को ख़त्म करने की अपील में, महासचिव ने कहा कि यह नवीनतम “ख़तरनाक घटनाक्रम,” क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट पर पहले से ही “विस्फोटक स्थिति को और बढ़ा रहे हैं” जिससे वहाँ मौजूद फ़लस्तीनी प्रधिकरण कमज़ोर हो रहा है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने येरूशलेम के पवित्र स्थलों में भी “यथास्थिति” बनाए रखने का आहवान किया. उन्होंने हाल ही में इसराइल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री की अल-अक्सा मस्जिद (जिसे यहूदियों के बीच टेम्पल माउंट के नाम से जाना जाता है) की यात्रा के बाद के “ख़तरनाक एवं उत्तेजक कृत्यों व बयानों” के बारे में गहरी चिन्ता व्यक्त की. 

यूएन के शीर्ष नेता ने बल देते हुए कहा कि इसराइली सेना को भी अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए. उन्होंने इसराइल से “नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अत्यधिक संयम बरतने का आग्रह करते हुए कहा कि घातक बल प्रयोग तभी किया जाए, जब और कोई चारा न रहे.” साथ ही, उन्होंने कहा कि इसराइली कार्रवाई में घायल हुए सभी लोगों को “मेडिकल सुविधा मुहैया करवाई जाए,” और राहत कर्मियों को सभी ज़रूरतमन्दों तक पहुँच प्रदान की जाए.”

सुरक्षा परिषद की बैठक

महासचिव की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब गुरूवार को न्यूयॉर्क में, इस संकट के बढ़ने पर शीघ्रता से सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई है. जहाँ संयुक्त राष्ट्र के इस सबसे बड़े फ़ोरम के सदस्यों का मक़सद है, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति एवं स्थिरता क़ायम रखना, वहीं वो एक ऐसी अस्थिर पृष्ठभूमि में मिल रहे हैं, जिसमें ग़ाज़ा युद्ध के अलावा दक्षिण लेबनान में उत्तरी इसराइल और हिज़बुल्ला लड़ाकों के बीच तनाव बढ़ा है और भारी गोलीबारी हुई है.  

बुधवार को, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालयOHCHR ने चेतावनी दी कि इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई के कारण, पहले से ही विस्फोटक स्थिति के और अधिक भड़कने का ख़तरा है. सोमवार रात तुलकारेम में नूर शम्स शरणार्थी शिविर में इसराइली सुरक्षा बलों ने कम से कम चार हवाई हमले किए, जिसमें पाँच लोगों की जान गई है. इनमें तीन फ़लस्तीनी पुरुष और दो लड़के हैं, जिनकी आयु 13 व 15 वर्ष है.

बस्तियों में हिंसा

OHCHR ने कई सूत्रों का हवाला देते बुए बताया,“ “दो लड़कों समेत तीन लोगों की मौत तब हुई जब वो उस घर के पास से गुज़र रहे थे, जिसपर निशाना लगाया गया था. यह घर, शिविर की छोटी व भीड़भाड़ वाली गलियों में से एक में स्थित था.”

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने अपने वक्तव्य में चेतावनी जारी की है कि यदि ग़ैरक़ानूनी ढंग से घातक बल प्रयोग को जारी रखा गया और इसराइली बस्तियों के निवासियों की हिंसा की उपेक्षा की गई तो क़ाबिज़ पश्चिमी तट में हालात नाटकीय ढंग से बिगड़ सकते हैं.

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