यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने निरस्त्रीकरण की पुकार लगाते हुए परमाणु हथियारों के जखीरों वाले देशों से इन प्रयासों की अगुवाई करने का आग्रह किया.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि परमाणु हथियार अब भी सबसे विध्वंसकारी शस्त्र हैं, और पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवन को ख़त्म कर देने में सक्षम हैं.
“आज, ये शस्त्र शक्ति, दूरी और छिपाव क्षमता में बढ़ रहे हैं. दुर्घटनावश इसे छोड़ा जाना, एक ग़लती, एक ग़लत आकलन और जल्दबाज़ी में उठाए गए एक क़दम जितना दूर है.”
परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार पर सुरक्षा परिषद की यह बैठक जापान ने बुलाई थी, जोकि मार्च महीने के लिए सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष देश है.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि जापान एकमात्र ऐसा देश है, जो परमाणु संहार की बर्बर क़ीमत को किसी अन्य की तुलना में कहीं बेहतर ढंग से पहचानता है.
उनके अनुसार, शिक्षाविद और पोप फ़्रांसिस, युवजन, और हिरोशिमा व नागासाकी में जीवित बच गए व्यक्तियों (हिबाकुशा) समेत नागरिक समाज समूह शान्ति की पुकार लगा रहे हैं और चाहते हैं कि अस्तित्व पर मंडराते इस ख़तरे का अन्त किया जाए.
दूसरी बार विनाश नहीं
यूएन प्रमुख ने कहा कि ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाली फ़िल्म ‘ओपेनहाइमर’ ने परमाणु विनाश दिवस की कटु वास्तविकता को दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए सिनेमा के पर्दे पर उकेरा था.
उन्होंने सचेत किया कि मानवता, इस विभीषिका की दूसरी कड़ी को नहीं झेल सकती है.
परमाणु हथियार सम्पन्न देशों से कगार से वापिस लौट आने की अपील की जा रही हैं. “परमाणु शक्ति सम्पन्न देश सम्वाद की मेज़ पर अनुपस्थित हैं.”
वहीं, युद्ध के औज़ारों में निवेश की गति, शान्ति स्थापना के उपायों में निवेश को कहीं पीछे छोड़ चुकी है. इसके मद्देनज़र, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि निरस्त्रीकरण ही एकमात्र ऐसा रास्ता है जिससे इस बेतुकी और आत्मघाती छाया को हमेशा के लिए दूर किया जा सके.
सम्वाद व भरोसा निर्माण
यूएन प्रमुख ने परमाणु शक्ति सम्पन्न सदस्य देशों से छह क्षेत्रों में आगे बढ़ने का आहवान किया. इसके तहत, सम्वाद का फिर से हिस्सा बनना होगा, और परमाणु हथियार के किसी भी इस्तेमाल को रोकने के लिए पारदर्शिता को विकसित करना होगा व भरोसा बढ़ने वाले क़दम उठाने होंगे.
दूसरा, परमाणु हथियार के इस्तेमाल की धमकियों को दिए जाने से बचना होगा. “किसी भी क्षमता में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अस्वीकार्य हैं.”
साथ ही, परमाणु हथियार सम्पन्न देशों को परमाणु परीक्षण पर लगाई गई स्वैच्छिक रोक को फिर से पुष्ट करना होगा, जिसमें व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि को कमज़ोर बनाने वाले क़दम उठाने का संकल्प भी है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस सन्धि को अमल में लाना एक प्राथमिकता है.
संकल्प से कार्रवाई तक
महासचिव गुटेरेश के अनुसार, निरस्त्रीकरण संकल्पों को परमाणु हथियार अप्रसार सन्धि (NPT) के तहत जवाबदेही के साथ कार्रवाई में तब्दील करना होगा.
इस समझौते पर 50 वर्ष पहले हस्ताक्षर किए गए थे, और आधिकारिक रूप से परमाणु हथियार सम्पन्न देशों के निरस्त्रीकरण लक्ष्य को हासिल करने के इरादे से यह एकमात्र, क़ानूनी रूप से बाध्यकारी संकल्प है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि इन हथियारों का पहले इस्तेमाल किए जाने के विषय में भी एक साझा समझौते की ज़रूरत है.
“परमाणु हथियार वाले देशों को जल्द से जल्द सहमत होना होगा कि उनमें से कोई भी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा. वैसे तो उनमें से किसी को भी यह किसी भी परिस्थिति में इस्तेमाल नहीं करना होगा.”
हथियारो के जखीरे में कमी लाना
इसके अलावा, उन्होंने परमाणु हथियारों की संख्या में कमी लाने पर बल दिया. उन्होंने अमेरिका और रूस से निरस्त्रीकरण प्रयासों की अगुवी करने का आग्रह किया, जोकि विश्व में सबसे अधिक संख्या में परमाणु हथियार रखने वाले देश हैं.
महासचिव के अनुसार, सुरक्षा परिषद की इसमें नेतृत्व भूमिका है और मौजूदा दरारों से दूर हटकर देखना होगा और यह स्पष्ट करना होगा कि मानवता के अस्तित्व पर मंडराते परमाणु हथियारों के इस ख़तरे के साथ रहना अस्वीकार्य है.
परीक्षण-प्रतिबन्ध सन्धि
व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) संगठन के प्रमुख रॉबर्ट फ़्लॉयड ने सुरक्षा परिषद को इस सन्धि की अहमियत से अवगत कराया और इन प्रयासों को मज़बूती देने की बात कही.
“पिछली बार, मैं यहाँ 2021 में आया था और तबसे बहुत कुछ बदल चुका है. मगर एक बात नहीं बदली है. CTBT को अमल में लाने के पक्ष मे दलील.”
इस सन्धि में 337 निगरानी केन्द्रों के एक वैश्विक नैटवर्क का सुझाव है ताकि पृथ्वी पर कहीं भी होने वाले विस्फोट का तत्काल पता लगाया जा सके. साथ ही, सत्यापन के लिए अन्य उपायों की व्यवस्था को अहम माना गया है.
इस सन्धि पर 197 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं और 178 द्वारा मुहर लगाई जा चुकी है. मगर, इसे अमल में लाने के लिए यह ज़रूरी है कि परमाणु टैक्नॉलॉजी वाले 44 देशों द्वारा भी इस पर हस्ताक्षर व मुहर लगाई जाए.
इनमें से आठ सदस्य देशों – चीन, भारत, मिस्र, ईरान, इसराइल, कोरिया लोकतांत्रिक जन गणराज्य, पाकिस्तान, और अमेरिका – ने अभी इसे अनुमोदित नहीं किया है.
इस सन्धि पर हस्ताक्षर व मुहर लगाने वाले देश रूस ने, पिछले वर्ष अपना अनुमोदन वापिस लेने की घोषणा की थी.