दिग्गज इनवेस्टर वॉरेन बफे (Warren Buffett) की स्टॉक मार्केट में सफलता में किस्मत की बड़ी भूमिका रही। यह बात दिवंगत डेनियल काह्नमैन (Daniel Kahneman ) ने कही थी। नोबेल पुरस्कार विजेता इस मनोवैज्ञानिक का 27 मार्च को निधन हो गया। मनीकंट्रोल से बातचीत में 2023 में काह्नमैन ने कहा था कि उन्हें बफे के मुकाबले जिम सिमोंस जैसे हेज फंड इनवेस्टर की सफलता ज्यादा दमदार दिखती है। उन्होंने यह भी कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से इन लोगों को नहीं जानते लेकिन ऐसा लगता है कि बफे की सफलता में किस्मत का बड़ा रोल रहा। बफे को दुनिया के सबसे सफल स्टॉक मार्केट इनवेस्टर्स में से एक माना जाता है। दुनियाभर के इनवेस्टर्स बफे को फॉलो करने की कोशिश करते हैं।
बफे का स्टॉक मार्केट पर बड़ा असर
स्टॉक मार्केट पर बफे के बड़े असर के बारे में काह्नमैन ने कहा था, “वह (बफे) कंपनियां खरीदते हैं और जब वह उन्हें खरीदते हैं और उनमें इनवेस्ट करते हैं तो इसका मार्केट पर असर पड़ता है। इसलिए बफे सौभाग्य से ऐसी स्थिति में हैं कि जब वह फैसले लेते हैं तो सिर्फ इस तथ्य से यह लोगों को सही लगता है कि यह बफे का फैसला है।” दिग्गज अर्थशास्त्री ने कहा था कि बफे के प्रदर्शन के मुकाबले उन्हें सिमोंस जैसे क्वांटिटेविट हेज फंड इनवेस्टर्स के ज्यादा सफल होने की संभावना दिखती है।
बफे के पास सही फैसले लेने की कला
उन्होंने कहा था, “लेकिन, बफे बहुत कामयाब रहे हैं। और यह साफ है कि वह मैनेजमेंट के अच्छे फैसले लेने वाले रहे हैं। उन्हें अलग-अलग विचारों की संभावनाओं का भी अंदाजा रहता है।” उन्होंने कहा कि जब आप बहुत ही अनिश्चित माहौल में काम कर रहे होते हैं तो लगातार सफल होने का मतलब है कि आपको किस्मत का साथ मिला है। जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो यह सब आपको स्किल जैसा लगता है। लेकिन आपको जानना चाहिए कि सफलता में आप जितना सोचते हैं उससे ज्यादा हाथ किस्मत का था। आम तौर पर हम किस्मत को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं।
काह्नमैन ने ‘थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो’ बुक लिखी थी
डेनियल काह्नमैन इजराइली-अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे। विहेबेरियल इकोनॉमिक्स पर उनकी थ्योरी के लिए उन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला था। 90 साल की उम्र में 27 मार्च को उनका निधन हो गया। वह प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। उन्होंने ‘थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो’ बुक लिखी थी। उनका जन्म 1934 में तेल अवीव में हुआ था। लेकिन, जब वह सिर्फ तीन महीने के थे तब उनके फ्रांसीसी माता-पिता पेरिस लौट गए थे।
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