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निर्धनता, संघर्ष व जलवायु परिवर्तन से मानव तस्करी में वृद्धि

निर्धनता, संघर्ष व जलवायु परिवर्तन से मानव तस्करी में वृद्धि

मानव तस्करी पर 2024 की वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 और 2019 के बीच, 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. इसकी बड़ी वजह ग़रीबी, संघर्ष एवं जलवायु संकट के चपेट में आने पर बढ़ती संवेदनशीलता है, जो बाल शोषण व जबरन श्रम के मामलों में बढ़ोत्तरी का कारण बनती है.

UNODC की कार्यकारी निदेशक ग़ादा वॉली ने कहा, “लोगों को जबरन मज़दूरी में धकेलने के लिए अपराधी मानव तस्करी का रास्ता अपना रहे हैं. इसमें उन्हें ऑनलाइन घोटालों व साइबर धोखाधड़ी जैसे अपराधों के लिए मजबूर करना भी शामिल है. वहीं महिलाएँ और लड़कियाँ, यौन शोषण व लिंग आधारित हिंसा के जोखिम में हैं.”

उन्होंने कहा, “हमें आपराधिक श्रृँखला में सबसे ऊपर मौजूद लोगों की जवाबदेही तय करने के लिए, अपराध के ख़िलाफ़ न्यायिक प्रतिक्रिया बढ़ानी होगी. इसके अलावा, पीड़ितों को बचाने के लिए सीमाओं के दोनों तरफ़ कार्रवाई करनी होगी. साथ ही, यह सुनिश्चित करना होगा कि बचे हुए लोगों को उचित मदद व समर्थन प्राप्त हो.”

अकेले बच्चों को ख़तरा 

रिपोर्ट के अनुसार, 2019 और 2022 के बीच दुनिया भर में जबरन श्रम के लिए मानव तस्करी पीड़ितों की संख्या में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.  2019 की तुलना में 2022 में बाल पीड़ितों की संख्या 31 प्रतिशत बढ़ी, वहीं लड़कियों के मामले में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में बच्चे अकेले रह गए हैं या अपने परिवार से अलग हो गए हैं, वहाँ पीड़ित लड़कों की संख्या अधिक रही. उच्च आय वाले देशों में भी बाल तस्करी में वृद्धि देखने को मिली है.

इनमें यौन शोषण के लिए लड़कियों की तस्करी के मामले अधिक सामने आए.

दो बच्चों की माँ, बेलारूस निवासी नतालिया, मानव तस्करों का शिकार बन गई थीं.

पीड़ितों में अधिकतर महिलाएँ 

अध्ययन से यह भी स्पष्ट हुआ कि दुनिया भर में पहचाने गए पीड़ितों में से अधिकाँश, यानि 61 प्रतिशत महिलाएँ व लड़कियाँ हैं. इनमें से भी ज़्यादातर लड़कियों की(यानि 60 प्रतिशत), यौन शोषण के लिए तस्करी की जाती है. लड़कों की बात करें तो लगभग 45 प्रतिशत लड़कों की तस्करी, उनसे जबरन मज़दूरी करवाने के लिए की जाती है. इसके अलावा, अन्य 47 प्रतिशत का शोषण, जबरन आपराधिक गतिविधियों में धकेलने या भीख माँगने जैसे कामों के लिए किया जाता है.

इस बीच, ऑनलाइन घोटाले समेत जबरन आपराधिक गतिविधियों में शामिल करने के लिए की जाने वाली तस्करी के पीड़ितों की संख्या तीसरे स्थान पर रही. यह 2016 में पाए गए एक प्रतिशत पीड़ितों से बढ़कर 2022 में आठ प्रतिशत हो गई है.

अफ़्रीका पर विशेष ध्यान केन्द्रित

रिपोर्ट में अफ़्रीका पर एक विशेष अध्याय शामिल किया गया है. UNODC का कहना है कि अक्सर आँकड़े हासिल करने में मुश्किलें होने की वजह से मानव तस्करी के अध्ययन में इस क्षेत्र की उपेक्षा हो जाती है.

एजेंसी ने महाद्वीप के सभी क्षेत्रों से डेटा इकट्ठा करने के लिए पुरज़ोर प्रयास किए. इसके लिए UNODC के क्षेत्रीय कार्यालयों एवं संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी (IOM), अफ़्रीकी संघ सांख्यिकी संस्थान (STATAFRIC), पश्चिम अफ़्रीकी देशों के आर्थिक समुदाय (ECOWAS), दक्षिणी अफ़्रीकी विकास समुदाय (SADC) और विभिन्न राष्ट्रीय अधिकारियों की मदद ली गई.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है तस्करी के ज़रिए अन्य देश पहुँचने वाले पीड़ितों में अफ़्रीकी लोगों की संख्या सबसे अधिक है. 2022 में विभिन्न राष्ट्रीयता वाले 162 लोगों को तस्करी के ज़रिए 128 देशों में ले जाया गया.

सीमा पार ले जाने वाले लोगों में से 31 प्रतिशत अफ़्रीकी देशों के नागरिक थे. 

विस्थापन, असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे अफ़्रीकी देशों में अधिकाँश पीड़ितों की तस्करी, आन्तरिक रूप से महाद्वीप के भीतर ही की जाती है. UNODC ने चेतावनी दी कि अफ़्रीका के ज़्यादातर हिस्सों में वयस्कों की तुलना में बच्चों की तस्करी के अधिक मामले सामने आते हैं, खासतौर पर जबरन मज़दूरी, यौन शोषण तथा भीख मंगवाने जैसे कार्यों के लिए. 

एजेंसी ने कहा कि उप-सहारा अफ़्रीका में मानव तस्करी के मामलों में विशाल बढ़ोत्तरी हुई है, जिसने विश्व स्तर पर बाल तस्करी का आँकड़ा बढ़ाने में योगदान दिया है.

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