अप्रैल के बाद से केवल 16 शेयरों ने निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स के वैल्यूएशन में 50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा किया है। जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स के वैल्यू में 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़त के लिए सिर्फ 18 शेयर जिम्मेदार हैं। दिलचस्प बात यह है कि मिडकैप के इन 16 में से 7 और स्मॉल कैप के 18 से 8 स्टॉक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के हैं। ये जानकारी ऐस इक्विटीज (Ace Equities) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों पर आधारित है।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि 1 अप्रैल से 19 दिसंबर के बीच निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स का मार्केट कैप (MCap) 32.29 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 49 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि, इसी अवधि में निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स का मार्केट कैप 10.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 18.10 लाख करोड़ रुपये हो गया।
निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स में शामिल अदानी पावर, पावर फाइनेंस कॉर्प, आईआरएफसी, आरईसी, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, मैक्रोटेक डेवलपर्स, पॉलीकैब इंडिया, बीएचईएल, वोडाफोन इंडिया, एफएसीटी, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, अरबिंदो फार्मा, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, प्रेस्टीज एस्टेट प्रोजेक्ट्स, एचडीएफसी एएमसी और ल्यूपिन जैसे स्टॉक ने इस इंडेक्स के मार्केट कैप ग्रोथ में 50 फीसदी से ज्यादा का योगदान दिया है।
इसी तरह निफ्टी स्मॉलकैप 100 में शामिल इंडियन ओवरसीज बैंक, सुजलॉन एनर्जी, आईडीबीआई बैंक, बीएसई लिमिटेड, एसजेवीएन, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कल्याण ज्वैलर्स इंडिया, यूको बैंक, एंजेल वन, एनएलसी इंडिया, साइएंट लिमिटेड, हुडको, एमआरपीएल, बिड़लासॉफ्ट, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस, क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण, अपार इंडस्ट्रीज और केईआई इंडस्ट्रीज जैसे स्टॉक ने इस इंडेक्स के मार्केट कैप ग्रोथ में 50 फीसदी से ज्यादा का योगदान दिया है।
इन दोनों इंडेक्सों ने अप्रैल के बाद से लगभग 66 फीसदी और 51 फीसदी की छलांग लगाई, जबकि बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी में अप्रैल के बाद से 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली है।
कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि मिड और स्मॉलकैप में अबतक काफी तेजी आ चुकी जिसके चलते अब ये शेयर महंगे दिख रहें हैं। ऐसे में अब इनसे सतर्क रहने की जरूरत है। वहीं, कुछ दूसरे एनालिस्ट्स का कहना है कि बेहतर कमाई की संभावनाओं के कारण आगे भी मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
अप्रैल से शुरू हुई भारतीय बाजारों की रैली कई वजहें रही हैं। मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियों में सुधार, तमाम ब्रोकरेज की तरफ से सेंसेक्स और निफ्टी के टारगेट में बढ़त, तीन राज्यों में बीजेपी की हालिया जीत, विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी में बढ़ोतरी और अगले साल यूएस फेड रेट में कटौती की उम्मीद की वजह से बाजार में तेजी देखने को मिली है। एनालिस्ट्स का अनुमान है कि अगर अगले साल होने वाले आम चुनावों में भाजपा की सत्ता में फिर से वापसी होती हो तो फिर बाजार में और तेजी आएगी।
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