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ना दवा, ना कोई उम्मीद: ग़ाज़ा में इसराइली हमलों के तले में बेबस ज़िन्दगी

ना दवा, ना कोई उम्मीद: ग़ाज़ा में इसराइली हमलों के तले में बेबस ज़िन्दगी

अस्पताल प्रबन्धक डॉक्टर हैदर अल-क़ुदरा ने बताया कि ग़ाज़ा में 36 अस्पताल हैं, मगर फ़िलहाल 12 में ही आंशिक रूप से कामकाज हो पा रहा है. ग़ाज़ा पर इसराइल की भीषण बमबारी में कई अस्पताल क्षतिग्रस्त हुए हैं और अब वहाँ स्वास्थ्य सेवाएँ ठप हैं.

ग़ाज़ा में युद्ध अपने पाँचवे महीने में प्रवेश कर रहा है, और इसराइली सैन्य बलों ने कई बार स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर धावा बोला है. ख़ान यूनिस इलाक़े में स्थित अल अमाल अस्पताल की पिछले कई हफ़्तों से घेराबन्दी जारी है.

इसराइल ने इन अस्पतालों में हमास की मौजूदगी होने का दावा किया है, मगर फ़लस्तीनी प्राधिकरण और स्थानीय मेडिकल टीम ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया है.   

फ़लस्तीन में यूएन मानवतावादी टीम के अनुसार, अल अमाल अस्पताल अब तक लगभग 40 बार सीधे हमले की चपेट में आया है, जिसमें कम से कम 25 लोगों की मौत हुई है और स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ा झटका लगा है.

इसराइली निशानेबाज़ इमारतों को अपनी गोलीबारी का निशाना बना रहे हैं, संचार व्यवस्था ठप है, स्वास्थ्यकर्मियों को हिरासत में रखा गया है, जबकि अति आवश्यक सामान की भारी क़िल्लत है.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने बताया है कि अस्पताल परिसर में जीवनरक्षक सामान ले जाने के लिए कुछ पाबन्दियाँ भी लगाई गई हैं.

‘हम पूरी तरह घिरे हुए हैं’

इस वर्ष जनवरी महीने में अल अमाल अस्पताल की इसराइली घेराबन्दी शुरू हुई थी और अब तक आठ हज़ार विस्थापित लोगों को वहाँ से बाहर निकाला जा चुका है. इनमें से अनेक लोगों ने इस इलाक़े में इसराइली बमबारी के दौरान सुरक्षा की तलाश में यहाँ शरण ली थी.

आस-पास के इलाक़े में लड़ाई और बमबारी के कारण स्वास्थ्यकर्मियों को अपने जीवन व सलामती की चिन्ता है. डॉक्टर अल-क़ुदरा ने बताया कि पिछले एक महीने से अधिक समय से स्वास्थ्यकर्मी, अस्पताल परिसर से बाहर नहीं जा पाए हैं.

“हम अब घिर चुके हैं और मरीज़ अस्पताल नहीं पहुँच सकते हैं, चूँकि उन्हें अस्पताल के नज़दीक सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं है.”

“हमारी ऐम्बुलेंस गाड़ियाँ अब अस्पताल के बाहर नहीं भेजी जा सकती हैं.” 

डॉक्टर हैदर अल-क़ुदरा, अल-अमाल अस्पताल के प्रबन्धक.

डॉक्टर हैदर अल-क़ुदरा, अल-अमाल अस्पताल के प्रबन्धक.

असहनीय पीड़ा में मरीज़ 

डॉक्टर अल-क़ुदरा के अनुसार अनेक मरीज़ों की सर्जरी स्थगित कर दी गई है और पाँच महीने बीत चुके हैं और बहुत कम संख्या में ही ऑपरेशन किए गए हैं. 

उन्होंने बताया कि ऐसे कई ऑपरेशन किसी अन्य अस्पताल में भी नहीं किए गए, इसलिए बहुत से मरीज़ों की या तो मौत हो चुकी है या फिर वे अपार पीड़ा से गुज़र रहे हैं.

अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं को नुक़सान पहुँचने की वजह से स्थानीय प्रबन्धन को कई मरीज़ों को देखभाल के लिए अन्य केन्द्रों की ओर रवाना करने पर मजबूर होना पड़ा है. 

बताया गया है कि आस-पास के अस्पतालों में इलाज के लिए क़रीब 35 मरीज़ों को भेजा जाएगा.

मगर, ग़ाज़ा पट्टी के शेष अस्पतालों में भारी भीड़ और स्वास्थ्य सेवाओं पर विशाल बोझ है. रफ़ाह में 77 नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए केवल 20 इन्क्यूबेटर उपलब्ध हैं.

रफ़ाह के अल-हेलाल अल-ऐमिराती अस्पताल में 77 बच्चों के लिए केवल 20 इनक्यूबेटर हैं.

© UNFPA Palestine/Bisan Ouda

रफ़ाह के अल-हेलाल अल-ऐमिराती अस्पताल में 77 बच्चों के लिए केवल 20 इनक्यूबेटर हैं.

‘लम्बे अरसे बाद सूरज देखा’

डॉक्टर वहीद क़ुदीह, अल अमाल अस्पताल में एक सर्जरी चिकित्सक हैं और घेराबन्दी के दौरान वहाँ फँसे हुए थे.

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र का एक साझा मिशन जब बुरी तरह क्षतिग्रस्त अस्पताल में पहुँचा तो उन्होंने बताया कि 21 जनवरी के बाद से वह अस्पताल से बाहर नहीं जा पाए थे.

“यह पहली बार है जब हमें सूरज के दर्शन हुए हैं.” अन्य चिकित्सकों की तरह, उन्होंने भी मरीज़ों की देखभाल के लिए अस्पताल में उपस्थिति बनाए रखी.

“हम घायल मरीज़ों के लिए कई प्रकार की सर्जरी करते हैं जैसेकि आम सर्जरी या फिर ऑर्थोपेडिक्स. हमने कई मरीज़ों की जान बचाई है और हम सीमित सुविधाओं में जो कुछ कर सकते थे, हमने किया.”

राहत मिशन

चिकित्सा केन्द्र की घेराबन्दी होने की ख़बरों के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने अपना एक साझा मिशन, वहाँ के लिए तैनात किया था.

इस मिशन में मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA), विस्फोटक इकाइयाँ हटाने के लिए सेवा (UNMAS), यौन प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA), सुरक्षा व सलामती विभाग (UNDSS) और फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के प्रतिनिधि थे.

अल-अमाल अस्पताल में सर्जन डॉक्टर वहीद क़ुदीह.

घेराबन्दी के बीच अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों के साथ बैठक की गई और मरीज़ों और उनके तीमारदारों की हालत के बारे में जानकारी जुटाई गई. 

इस मिशन का उद्देश्य वहाँ से 24 ऐसे मरीज़ों को बाहर निकालना था, जिन्हें बेहतर इलाज की ज़रूरत थी. साथ ही, भोजन, जल, ईंधन, आपात सामग्री समेत अन्य ज़रूरी सामग्री को वहाँ पहुँचाना था.

यूएन मिशन को 31 ऐसे मरीज़ों को वहीं छोड़ना पड़ा, जिनकी हालत उतनी गम्भीर नहीं थी. यूएन मानवतावादी प्रवक्ता ने बताया कि इसराइली सेना की ओर से अभी यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि ऐम्बुलेंस गाड़ियों को कम से कम सात घंटों के लिए क्यों रोक करके रखा गया.

‘वहाँ मरीज़ अब भी भर्ती हैं’ 

विश्व स्वास्थ्य संगठन में आपात टीम के सदस्य डॉक्टर ऐथेनासियोस गर्गावानिस ने बताया कि जिस स्तर पर यहाँ बर्बादी हुई है वह कल्पना से परे है.

उनके अनुसार, यहाँ मरीज़ अब भी हैं. हमारी शीर्ष प्राथमिकता उनमें से ऐसे लोगों की शिनाख़्त करना और फिर उन्हें केन्द्रों में भेजना है जहाँ उनकी बेहतर देखभाल हो सकेगी.

इस बीच, इसराइल की केरेम शलोम सीमा चौकी पर अब भी देरी हो रही हैं. समाचारों के अनुसार, इसराइली प्रदर्शनकारियों ने ग़ाज़ा में मानवीय राहत के प्रवेश का मार्ग अवरुद्ध किया हुआ है.

इसके मद्देनज़र, कुछ देशों ने इस सप्ताह विमानों के ज़रिये ग़ाज़ा पट्टी में आपात सहायता सामग्री लोगों तक पहुँचाई है. मगर, अल अमाल और ग़ाज़ा के अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में जिस स्तर पर ज़रूरतें हैं, उसकी तुलना में यह मदद बहुत कम है. 

WHO ने अनेक अस्पतालों से अनेक गम्भीर मरीज़ों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानान्तरित करने के मिशन चलाए हैं.

WHO ने अनेक अस्पतालों से अनेक गम्भीर मरीज़ों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानान्तरित करने के मिशन चलाए हैं.

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