पर्यावरण

नारकीय जलवायु स्थिति की ओर जाने वाले रास्ते से हटना होगा – महासचिव

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने बुधवार को न्यूयॉर्क में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘प्राकृतिक इतिहास के अमेरिकी संग्रहालय’ में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह सच्चाई का सामना करने का एक क्षण है, और समाधानों को अपनाया जाना होगा.

“जलवायु मामले में, हम डायनासोर नहीं हैं. हम उल्का पिंड हैं. हम ना केवल ख़तरे में हैं, हम ख़तरा भी हैं. मगर, हम समाधान भी हैं.”

यूएन प्रमुख ने योरोपीय आयोग के कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा की एक नवीनतम रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसके अनुसार इस वर्ष मई का महीना, इतिहास में सर्वाधिक गर्म साबित हुआ है.

यूएन प्रमुख के अनुसार वैश्विक तापमान में वृद्धि की सीमा को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए हर वर्ष कार्बन उत्सर्जन में 9 फ़ीसदी की कटौती करने की ज़रूरत है. लेकिन पिछले साल उनमें एक फ़ीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.

संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बुधवार को बताया कि इस बात की सम्भावना 80 फ़ीसदी है कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य तक सीमित रखने का अवसर अगले पाँच वर्षों में किसी भी समय पहुँच से दूर हो सकता है. 

वर्ष 2015 पेरिस समझौते में इस लक्ष्य को स्थापित किया गया था.

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि हम हमारे ग्रह के साथ मानो जुआ खेल रहे हैं. हमें नारकीय जलवायु की ओर ले जाने वाले मार्ग से हटना होगा. और, सच्चाई यह है कि हमारा अपने इस सफ़र पर नियंत्रण है.

अगले 18 महीने अहम

महासचिव गुटेरेश के अनुसार, कगार से वापिस लौट आना सम्भव है मगर कठोर प्रयासों के ज़रिये ही ऐसा किया जा सकता है. यह इस दशक में राजनैतिक नेताओं द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों पर निर्भर करता है, विशेष रूप से अगले 18 महीनों के दौरान.

“जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता अभूतपूर्व है, लेकिन फिर अवसर भी हैं. केवल जलवायु वादों को पूरा करने के लिए ही नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि और सतत विकास के लिए भी.“

उन्होंने चिन्ता जताई कि 0.5 डिग्री तापमान अन्तर के कारण कुछ लघु द्वीपीय विकासशील देश या तटीय समुदाय हमेशा के लिए विलुप्त हो सकते हैं. 

वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि ग्रीनलैंड पर जमे हुए पानी की चादर और पश्चिमी अंटार्कटिक में जमे हुए पानी की चादर ध्वस्त हो सकती हैं, जिससे समुद्री जलस्तर बढ़ेगा. 

प्रवाल भित्ति (coral reef) पारिस्थितिकी तंत्र को भी गम्भीर नुक़सान पहुँचने की स्थिति में 30 करोड़ लोगों की आजीविका पर असर होगा. इसके मद्देनज़र, यूएन प्रमुख ने 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने का आहवान किया है.

जीवाश्म ईंधन माफ़िया

यूएन प्रमुख ने क्षोभ व्यक्त किया कि विश्व भर में अरबों लोगों के लिए जीवन, जलवायु परिवर्तन के कारण महंगा होता जा रहा है, जबकि जलवायु उथलपुथल के लिए ज़िम्मेदार, जीवाश्म ईंधन का दोहन करने वाली बड़ी कम्पनियाँ रिकॉर्ड मुनाफ़ा कमा रही हैं और करदाताओं के धन से हज़ारों अरब डॉलर की सब्सिडी हासिल कर रही हैं.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि तेल एवं गैस उद्योग ने शर्मनाक ढंग से हरित तौर-तरीक़े अपनाने के दावे किए हैं, जबकि वे जलवायु कार्रवाई में देरी के लिए कोशिशें भी कर रहे हैं और इस काम में उन्हें विज्ञापन व जनसम्पर्क कम्पनियों की मदद मिल रही है. 

उन्होंने इन सभी कम्पनियों से आग्रह किया कि पृथ्वी को तबाह करने में उन्हें अपनी भूमिका से पीछे हटना होगा. “आज से, जीवाश्म ईंधन के नए ग्राहक लेने बन्द कीजिए, और अपने मौजूदा [ग्राहकों] को हटाने के लिए नई योजनाएँ पेश कीजिए.”

इस क्रम में, यूएन महासचिव ने सभी देशों से आग्रह किया है कि जीवाश्म ईंधन कम्पनियों से होने वाले विज्ञापनों पर पाबन्दी लगाई जानी होगी.

वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह, जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल है, जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है.

हमारे पास साधन हैं

यूएन प्रमुख ने न्यूयॉर्क सैन्ट्रल पार्क के नज़दीक स्थित इस म्यूज़ियम में जुटे प्रतिभागियों को कहा कि स्वयं को बचाने के लिए हमें जिसकी ज़रूरत है, वो हमारे पास है. 

वन और महासागर अब भी हानिकारक कार्बन को सोख रहे हैं और इसलिए उनका संरक्षण किया जाना होगा.

नवीकरणीय ऊर्जा व्यवसाय, विश्व भर में बढ़िया प्रदर्शन कर रहा है और क़ीमतों में कमी आ रही है. विश्व में कुल बिजली उत्पादन का क़रीब 30 फ़ीसदी अक्षय स्रोतों प्राप्त हो रहा है. 

इस बीच, स्वच्छ ऊर्जा में निवेश पिछले वर्ष रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया, और पिछले एक दशक के दौरान दोगुना हुआ है.

कार्रवाई का खाका

महासचिव गुटेरेश ने मानवता और पृथ्वी के लिए सुरक्षित भविष्य के इरादे से अहम क़दम उठाने जाने का आहवान किया है:

  • कार्बन उत्सर्जनों में कटौती
  • जलवायु चरम स्थिति से पृथ्वी व आमजन की रक्षा
  • जलवायु वित्त पोषण को बढ़ावा
  • जीवाश्म ईंधन व्यवसाय के साथ सख़्ती

यूएन प्रमुख ने कहा कि जलवायु कार्रवाई का सबसे बड़ा बोझ, धनी देशों व सबसे अधिक उत्सर्जन करने वाले देशों को उठाना होगा, और जी20 समूह की अर्थव्यवस्थाओं को तेज़ी से इस दिशा में आगे बढ़ना होगा.

इस प्रकिया में, विकासशील देशों को तकनीकी व वित्त पोषण समर्थन मुहैया कराने पर बल दिया गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के अनुरूप बनाना होगा, और 2030, 2035 और आगामी दशकों के लिए उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों को स्थापित करना होगा.

“हर देश को यह वादा पूरा करना होगा और अपनी उपयुक्त भूमिका निभानी होगी…हमें सहयोग की ज़रूरत है, एक दूसरे पर उंगली उठाने की नहीं.”

यूएन महासचिव ने जलवायु न्याय सुनिश्चित किए जाने का भी आग्रह किया, और कहा कि विश्व में बेहद सम्वेदनशील हालात का सामना कर रहे कुछ देश, जलवायु संकट के प्रभावों से जूझ रहे हैं, जबकि वे इसके लिए ज़िम्मेदार भी नहीं हैं.

इसके मद्देनज़र, एंतोनियो गुटेरेश ने अनेक विकासशील देशों के लिए कर्ज़ और ऊँची ब्याज़ दरों का अन्त करने की अपील की, और कहा कि यह परोपकार का सवाल नहीं है, बल्कि स्व-हित में है.

जलवायु कार्रवाई के लिए सम्पूर्ण प्रयास

यूएन प्रमुख के अनुसार, जलवायु वित्त पोषण कोई एहसान नहीं है. यह सर्वजन के लिए एक रहने योग्य भविष्य को आकार देने का एक बुनियादी घटक है. 

उन्होंने कहा कि विश्व भर में आम लोग, राजनीतिज्ञों से कहीं आगे हैं. आप अपनी आवाज़ सुनाइए और अपने चयन की अहमियत को दर्शाइए. महासचिव ने कहा कि दुनिया का कोई भी देश या संस्थान, अपने दम पर जलवायु संकट का समाधान नहीं ढूंढ सकता है. यह हर कुछ झोंक देने का क्षण है. 

संयुक्त राष्ट्र पूर्ण रूप से प्रयासरत है और भरोसा निर्माण करने, समाधान ढूंढने और सहयोग को प्रेरित करने में जुटा हुआ है.

महासचिव गुटेरेश ने समाज के सभी स्तरों पर सक्रिय जलवायु कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया, जो कार्रवाई को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.

“आप इतिहास में सही पक्ष के साथ खड़े हैं. आप बहुजन की बात करते हैं. इसे जारी रखिए, हिम्मत मत हारिए, उम्मीद मत खोइए.” 

“यह समय लामबन्द होने का है. यहम कार्रवाई करने का समय है. यह वादे पूरा करने का समय है. यह हमारे लिए सच्चाई का सामना करने का समय है.”

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