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धनी देशों में मानव विकास ‘रिकॉर्ड स्तर पर’, मगर निर्धनतम देशो के लिए गहरा झटका

धनी देशों में मानव विकास ‘रिकॉर्ड स्तर पर’, मगर निर्धनतम देशो के लिए गहरा झटका

2023/24 के लिए मानव विकास रिपोर्ट (HDR), Breaking the GridlockReimagining cooperation in a polarized world, बुधवार को प्रकाशित की गई, जिसमें प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय, शिक्षा, और जीवन प्रत्याशा के आधार पर देशों का विश्लेषण किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे और आइसलैंड, राष्ट्रीय मानव विकास सूचकों में अग्रणी देश हैं, जबकि मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, दक्षिण सूडान और सोमालिया सबसे पीछे हैं. 

एक चिन्ताजनक रुझान के अनुसार, वैश्विक मानव विकास सूचकांक (Human Development Index/HDI) बेहतरी की ओर अग्रसर है, मगर यह अपूर्ण, असमान है और आंशिक वैश्विक स्थिति को ही बयाँ करता है.

2023 HDI बताता है कि 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन अब यह एक ऊँचे स्तर पर पहुँचा है. 

रिपोर्ट के अनुसार, धनी देशों में अभूतपूर्व विकास हुआ है, मगर विश्व के निर्धनतम देशों में से क़रीब आधे देश, कोविड संकट से पहले के स्तर से भी नीचे लुढ़क गए हैं. 

भविष्य के लिए आशा

यूएन महासचिव ने मानव विकास रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर कहा कि इस रिपोर्ट में ध्रुवीकरण की बुनियादी वजहों और टिकाऊ विकास पर होने वाले असर पर नज़र डाली गई है, मगर यह भविष्य के लिए हमारी सर्वोत्तम आशाओं की भी परिचायक है. 

उनके अनुसार ये रिपोर्ट अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की हमारी व्यवस्थाओं में तत्काल विस्तार की अहमियत को रेखांकित करती है. 

उनके अनुसार आम लोगों का प्राथमिकताओं को पूरा करने के नज़रिये से यह महत्वपूर्ण है: टिकाऊ विकास, एक स्वच्छ पर्यावरण, रहने योग्य पृथ्वी, सुरक्षा, और सर्वजन के लिए गरिमा.

इस क्रम में, उन्होंने भविष्य की शिखर बैठक का उल्लेख किया, जोकि इस वर्ष सितम्बर में आयोजित होगी.

“इस शिखर बैठक के लिए हमारी तैयारियों के तहत, मैं एक अहम योगदान के रूप में मानव विकास रिपोर्ट की अनुशन्सा करता हूँ. यह दर्शाती है कि वैश्विक समस्याओं के हमारे समाधान, हमारी पहुँच में हैं, सहयोग की नए सिरे से कल्पना करके और एक बेहतर भविष्य के लिए एकजुट होकर.”

‘लोकतंत्र विरोधाभास’

यूएन विकास कार्यक्रम के प्रशासक एखिम स्टाइनर ने कहा कि, “मानव विकास की चौड़ी होती खाई इस रिपोर्ट से उजागर हुई है, जो दर्शाती है कि सम्पन्न व निर्धन देशों के बीच स्थिर गति से घटती असमानता का दो दशकों पुराना रुझान अब पलट गया है.”

“गहराई तक आपस में जुड़े हमारे वैश्विक समाजों के बावजूद, हमारे प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमारी आत्मनिर्भरता और क्षमताओं का लाभ उठाकर, साझा व अस्तित्व से जुड़ी चुनौतियों से निपटना होगा, ताकि लोगों की आकाँक्षाओं को पूरा किया जा सके.

यूएन विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट में लोकतंत्र व्यवस्था के लिए एक विरोधाभास उभरता भी नज़र आया है. सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 90 प्रतिशत प्रतिभागियों ने लोकतंत्र के लिए समर्थन व्यक्त किया, मगर साथ ही उन नेताओं का भी पक्ष लिया, जिनसे लोकतांत्रिक सिद्धान्त कमज़ोर हो सकते हैं.

रिपोर्ट बताती है कि इस विरोधाभास, शक्तिहीनता के एहसास और सरकारी निर्णयों पर कोई नियंत्रण ना होने की वजह से, राजनैतिक ध्रुवीकरण को बल मिला है और आत्म-केन्द्रित नीतिगत तौर-तरीक़े अपनाए जा रहे हैं.

बढ़ते जलवायु संकट, कृत्रिम बुद्धिमता और नई उभरती हुई टैक्नॉलॉजी समेत अन्य वैश्विक चुनौतियों की पृष्ठभूमि में एकजुट कार्रवाई के रास्ते में यह बाधक है.

चंद अहम निष्कर्ष:

  • 2023 में आर्थिक सहयोग व विकास संगठन (OECD) के सभी 38 सदस्य देशों ने, 2019 की तुलना में बेहतर मानव विकास सूचकांक (HDI) हासिल किया है.
     
  • 2020 और/या 2021 में अपने HDI में गिरावट दर्ज करने वाले 35 सबसे कम विकसित देशों में से 18 देश अभी 2019 के स्तर पर नहीं लौट पाए हैं.
     
  • सभी विकासशील क्षेत्र 2019 से पहले के HDI रुझानों के अनुसार अपनी सम्भावनाओं को पूरा नहीं कर पाए हैं, और भविष्य में भी उनकी विकास प्रक्रिया को झटका लगने का ख़तरा है.
     
  • मानव विकास प्रक्रिया को सबसे अधिक हानि अफ़ग़ानिस्तान व यूक्रेन में हुई है. अफ़ग़ानिस्तान में HDI 10 वर्ष पहले के स्तर पर पहुँच गया है, जबकि यूक्रेन में यह 2004 के बाद से अपने निम्नतम स्तर पर है. 
     
  • लोकप्रियवादी सरकारों वाले देशों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम रहने के रुझान मिले हैं.

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