इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी और उनके विरोधी एन श्रीनिवासन एक बार फिर प्राइवेट क्रिकेट लीग को लेकर सुर्खियों में आ सकते हैं। दोनों ने एक प्राइवेट क्रिकेट लीग को लेकर दिलचस्पी दिखाई है, जिसका दिलचस्प फॉर्मैट इस साल देखने को मिल सकता है। ‘द हंड्रेड’ (The Hundred) क्रिकेट लीग अब काफी हद तक प्राइवेट फॉर्मैट की शक्ल अख्तियार कर सकता है और इसमें एक अरब पौंड का निवेश देखने को मिल सकता है।
इस प्रस्ताव का लागू होना इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) की 18 काउंटी टीमों की मंजूरी पर निर्भर करता है। माना जा रहा है कि 10 से भी ज्यादा काउंटी टीमें पहले ही इस आइडिया को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे चुकी हैं और इस टूर्नामेंट में ‘बदलाव’ के लिए कुछ और टीमों की तरफ से भी इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड को हरी झंडी मिल सकती है।
इस बदले हुए टूर्नामेंट के तहत IPL फ्रेंचाइज मालिकों की अगुवाई में कई भारतीय निवेशकों ने अहम काउंटीज में दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड भारतीय निवेशकों को निवेश की खुली छूट देगा या ‘स्थानीय निवेश’ की शर्त भी जोड़ेगा। इस बात की भी संभावना है कि इस टूर्नामेंट में टीमों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है।
टूर्नामेंट के सिस्टम में क्यों हो रहा है बदलाव
इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड की ज्यादातर काउंटी टीमों के लिए वित्तीय सुरक्षा का मामला काफी अहम हो गया है। कर्ज में बढ़ोतरी, दर्शकों का बदलता नजरिया, नए फॉर्मैट, इंफ्रास्ट्रक्चर मेंटेनेंस आदि चुनौतियां काउंटी टीमों के लिए मुश्किल पैदा कर रही हैं। कई फ्रेंचाइज की वित्तीय हालत खराब है और संबंधित पक्ष इस बात से सहमत हैं कि ‘प्राइवेटाइजेशन’ के जरिये रेवेन्यू हासिल किया जा सकता है।
फॉर्मैट- ‘द हंड्रेड’ के बारे में पहले ही काफी कुछ कहा जा चुका है और इस पर भी चर्चा हो चुकी है कि इसे आगे बनाए रखा जा सकता है या नहीं। ज्यादातर स्टेकहोल्डर्स मौजूदा फॉर्मैट को बनाए रखने के पक्ष में हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो इस फॉर्मैट को बदलने की कोई योजना नहीं है। अगल अगले कुछ साल में यह अनुमान के मुताबिक नहीं चलता है, तो मुमकिन है कि इसमें बदलाव करने पर विचार हो। खबर है कि ब्रॉडकास्टर स्काई (Sky) भी मौजूदा फॉर्मैट के पक्ष में है और निकट भविष्य में इसमें बदलाव को इच्छुक नहीं है।
निवेशकों की दिलचस्पी
इस लीग में निवेश के लिए जबरदस्त लॉबीइंग देखने को मिल रही है। निवेशक कर्ज में फंसी क्लबों को खरीदना चाह रहे हैं या फिर रेवेन्यू शेयरिंग आधार पर पार्टनरशिप भी करने को लेकर उत्सुक हैं। निवेशक इसे बेहतर मौका बनाने के लिए हरमुमकिन कोशिश में जुटे हैं।