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दोहा बैठक में, अफ़ग़ानिस्तान के लिए समावेशी भविष्य सुनिश्चित किए जाने पर बल

शान्तिनिर्माण एवं राजनैतिक मामलों की प्रमुख, यूएन अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने विशेष दूतों की तीसरी बैठक सम्पन्न होने के बाद, अफ़ग़ान महिलाओं व लड़कियों की स्थिति पर गहरी चिन्ता जताई.

उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श के हर बिन्दु के दौरान, विशेष दूतों व उनकी ओर से एक गहरी चिन्ता निरन्तर बनी रही: महिलाओं व लड़कियों पर थोपी गई गम्भीर पाबन्दियाँ.

“अफ़ग़ानिस्तान, अन्तरराष्ट्रीय समूह में वापसी नहीं कर सकता है, और ना ही आर्थिक व सामाजिक रूप से पूर्ण विकसित हो सकता है, यदि इसकी आधी आबादी को उनके योगदान व सम्भावनाओं से वंचित रखा जाए.”

इससे पहले मई 2023 और फ़रवरी 2024 में, अफ़ग़ानिस्तान के लिए विशेष दूतों की बैठक हुई थी. मंगलवार को अफ़ग़ान महिलाओं व नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ विषय केन्द्रित चर्चा होने का कार्यक्रम है.

अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ान महिलाओं और नागरिक समाज की चिन्ताओं व विचारों को बातचीत के केन्द्र में रखा जाना होगा.

“संयुक्त राष्ट्र के लिए, महिलाओं का राजनैतिक व शान्ति प्रक्रियाओं में अर्थपूर्ण समावेश, एक मार्गदर्शक सिद्धान्त है.”

उनके अनुसार, पिछले दो दिनों में महिलाएँ व नागरिक समाज के प्रतिनिधि, सत्तारूढ़ तालेबान प्रशासन के सामने मेज़ पर भले ही नहीं बैठे हों, मगर उन्होंने अपनी आवाज़ को वहाँ तक पहुँचाया.

“अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य को आकार देने में नागरिक समाज को अपनी समुचित भूमिका निभानी है.”

व्यवस्थागत भेदभाव

अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर अगस्त 2021 में तालेबान की वापसी के बाद से महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों पर पाबन्दियाँ थोपी गई हैं, उनके साथ व्यवस्थागत ढंग से भेदभाव हुआ है और लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है.

रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि यह प्रतिबन्ध, हृदयविदारक है.

“अगर आप आधी आबादी को शिक्षा पाने से, अर्थव्यवस्था व अन्य पेशों में शामिल होने से रोकते हैं, तो इसका अर्थ यही है कि इससे अफ़ग़ानिस्तान के विकास में देरी होगी.”

“ज़रा कल्पना कीजिए कि यदि आप केवल छठी कक्षा तक पढ़ी होतीं, तो आप यहाँ पर एक पत्रकार के रूप में नहीं बैठीं होती. मैं यहाँ एक यूएन अधिकारी के रूप में नहीं होती.”

“हमें यह स्पष्ट करना है कि यह कितना महत्वपूर्ण है और यह अफ़ग़ानिस्तान के लिए किस तरह से बेहतर साबित होगा.”

एक कठिन चयन

अवर महासचिव डीकार्लो के अनुसार, यह बैठक आयोजित करना, संयुक्त राष्ट्र के लिए एक कठिन, शायद असम्भव चयन था. उनका मन्तव्य इस बैठक में विशेष दूतों के साथ तालेबान प्रशासन के प्रतिनिधियों की हिस्सेदारी से था.

“यह खेदपूर्ण है कि इस परिपाटी में सत्तारूढ़ प्रशासन अफ़ग़ान नागरिक समाज के साथ मेज़ पर सामने नहीं बैठे. मगर, उन्होंने स्पष्टता से सुना कि सार्वजनिक जीवन के सभी पहलुओं में महिलाओं व नागरिक समाज को शामिल किए जाने की आवश्यकता है.”

रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि बैठक या तालेबान के साथ सम्पर्क व बातचीत का अर्थ, सत्तारूढ़ प्रशासन के साथ सामान्य रिश्ते बहाल करना या उसे मान्यता देना नहीं है.

उन्होंने भरोसा जताया कि अनेक मुद्दों पर आपसी आदान-प्रदान से अफ़ग़ान नागरिकों को हानि पहुँचाने वाले अनेक मुद्दों का निपटारा करने की दिशा में आगे बढ़त हुई है.

अवर महासचिव ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र, सभी अफ़ग़ान नागरिकों की बेहतरी के लिए सैद्धान्तिक तौर पर सम्पर्क व बातचीत की इस प्रक्रिया को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है. 

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