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दूसरे देशों में महिला ख़तना को अंजाम दिया जाना, उन्मूलन प्रयासों के लिए झटका

दूसरे देशों में महिला ख़तना को अंजाम दिया जाना, उन्मूलन प्रयासों के लिए झटका

महिला ख़तना एक ऐसी प्रथा है जिसमें ग़ैर-चिकित्सीय कारणों के लिए, महिला जननांग के एक हिस्से को हटाया या उसे क्षति पहुँचाई जाती है. मुख्य रूप से इसमें बचपन से 15 साल की उम्र तक की लड़कियों को शिकार बनाया जाता है. 

यूएन कार्यालय ने बताया कि अनेक देशों ने महिला जननांग विकृति की प्रथा के उन्मूलन के लिए अपने प्रयास तेज़ किए हैं, मगर अब भी यह दुनिया के अनेक हिस्सों में प्रचलित है. 

इसकी एक वजह, सीमा-पार, अन्य देशों में ले जाकर लड़कियों का गोपनीय ढंग से ख़तना कराया जाना है. योरोप और अमेरिका क्षेत्र में स्थित देशों में लड़कियों को स्कूल में छुट्टियों के दौरान ऐसे देशों में ले जाने के मामले सामने आए हैं, जहाँ इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है. 

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा कि महिला जननांग विकृति, लिंग-आधारित हिंसा का ही एक हिस्सा है और इसका मानवाधिकारों का सम्मान करने वाले जगत में कोई स्थान नहीं है.

“इसका हर रूप में उन्मूलन किया जाना होगा और जो लैंगिक रुढ़िवादिताएँ और पितृसतात्मक मानदंड इसे सहारा देते और आगे बढ़ाते हैं, उनका मिटाना होगा.”

विश्व भर में नागरिक समाज संगठनों और सदस्य देशों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में 43 लाख लड़कियों पर महिला जननांग विकृति का शिकार होने का जोखिम था.

योरोपीय संघ के देशों में क़रीब छह लाख महिलाँए हैं जो महिला जननांग विकृति से होकर गुज़री हैं और उसके प्रभावों का सामना कर रही हैं. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, इस प्रथा से लड़कियों व महिलाओं के लिए कोई लाभ नहीं है. बल्कि इसमें गम्भीर रक्तस्राव होता है, मूत्र विसर्जन में मुश्किलें हो सकती हैं और अन्य संक्रमण या प्रसव के दौरान जटिलताएँ पेश आ सकती हैं. 

स्कूली अवकाश के दौरान ख़तना

रिपोर्ट के अनुसार, योरोप और उत्तरी अमेरिका के देशों में परिवार अपनी बेटियों को स्कूली अवकाश के दौरान अपने मूल देशों व समुदायों में ले जाते हैं, जहाँ उनका ख़तना कराया जाता है.

कुछ मामलों में लड़कियों को ऐसे देशों में ले जाया गया है, जोकि महिला जननांग विकृति के मामले में एक बड़ा केन्द्र बनकर उभरे हैं. ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें महिला ख़तना को अंजाम देने वाले व्यक्ति सीमाओं के पार-जाकर इस हानिकारक प्रक्रिया को पूरा करते हैं. 

रिपोर्ट में दुनिया भर में सीमा-पार या पार-राष्ट्रीय आवाजाही के उन मामलों की शिनाख़्त की गई है, जिनके पीछे वजह महिला ख़तना को अंजाम दिया जाना है. 

इसके अनुसार, सीमावर्ती इलाक़ों में रहने वाली लड़कियाँ और युवा महिलाएँ, विशेष रूप से जोखिम का सामना करती हैं, चूँकि उन इलाक़ों में ऐसे समुदाय बसते हैं, जिनकी संस्कृति और जातीय रिश्ते सीमाओं से परे हैं.

इसके मद्देनज़र, रिपोर्ट में इस चुनौती से निपटने के लिए विशाल स्तर पर क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय सहयोग पर बल दिया गया है. इसके लिए पर्याप्त संसाधन आवंटित किए जाने होंगे, पीड़ितों को समर्थन देना होगा और क्षेत्रीय फ़्रेमवर्क व सहयोग समझौतों को लागू किया जाना होगा.

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