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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बेहद खास, बिहार के रोहतास से नाता, कौन हैं बिभव कुमार?

bibhav and kejriwal- India TV Hindi

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बिभव कुमार और अरविंद केजरीवाल

दिल्ली पुलिस ने शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी और उनका दाहिना हाथ कहे जाने वाले बिभव कुमार को सीएम आवास के भीतर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें आज कोर्ट में भी पेश किया गया, दिल्ली पुलिस उनके लिए रिमांड की पेशकश की है। पुलिस ने बिभव कुमार पर आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। बिभव ने कोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत की याचिका दायर की लेकिन कोर्ट ने खारिज कर दिया। स्वाति मालीवाल के आरोपों के बाद बिभव कुमार ने भी  मालीवाल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि मालीवाल ने हमले के इरादे से उनके साथ खराब बर्ताव किया था।

कौन हैं बिभव, पिता ने क्या कहा

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए रहे बिभव कुमार की गिरफ्तारी को लेकर बिभव के पिता महेश्वर राय ने अपने पुत्र को निर्दोष बताया है। बता दें कि रोहतास के कोचस के खुदरू गांव में विभव कुमार का पैतृक घर है। उनके पिता ने कहा- राजनीति के तहत उनके पुत्र बिभव की गिरफ्तारी हुई है। बिभव कुमार के पिता महेश्वर ने कहा, “वह वहां (दिल्ली में) पत्रकारिता करते थे। बाद में उन्होंने अरविंद केजरीवाल के संगठन में काम किया। उनके (अरविंद केजरीवाल) सरकार बनाने के बाद से वह केजरीवाल के साथ हैं।”

कहा जाता है कि अपने करियर के शुरुआती दिनों में बिभव कुमार ने दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया के एक गैर सरकारी संगठन ‘कबीर’ में काम किया और फिर साल 2015 में वे अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बनाए गए। फिर  2020 में जब आम आदमी पार्टी ने दूसरी बार दिल्ली में सरकार बनाई तो उन्हें फिर से अरविंद केजरीवाल का पीए बनाया गया। बिभव कुमार दिल्ली में हुए शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच के साथ-साथ दिल्ली जल बोर्ड में कथित घोटाले के मामले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं।

बिभव कुमार पर भी लगे हैं कई आरोप

इसी साल अप्रैल में सतर्कता निदेशालय ने उत्पाद शुल्क नीति मामले की जांच के बाद केजरीवाल के पीए के रूप में बिभव कुमार की सेवाएं खत्म कर दीं थीं जबकि बिभव कुमार ने अपनी सेवाओं को खत्म करने के आदेश को चुनौती देते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का रुख किया था। कैट ने यह कहते हुए उनको राहत देने से इनकार कर दिया कि ऐसी राहत देना समय से पहले होगा। क्योंकि बिभव कुमार के खिलाफ बर्खास्तगी आदेश के मुताबिक आरोप गंभीर तरह के थे।

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