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दशकों के प्रयास से शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट को गम्भीर ख़तरा

दशकों के प्रयास से शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट को गम्भीर ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ें बताते हैं कि साल 2023 में, पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु संख्या कम होकर 48 लाख तक आ गई थी, जोकि एक ख़ास उपलब्धि थी. जबकि मृत जन्मे बच्चों की संख्या, मामूली कमी के साथ, लगभग 19 लाख थी. 

यूनीस़ेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) व अन्तर-एजेंसी नैटवर्क – IGME के सदस्यों ने गम्भीर स्थिति की चेतावनी दी है कि बाल जीवन रक्षा में दशकों की मेहनत से हासिल हुई प्रगति, धन-कटौती, स्वास्थ्य व्यवस्था की चुनौतियों और क्षेत्रीय असमानताओं के कारण ख़तरे में है. 

यूनीस़ेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने कहा है, “वैक्सीन, पोषण, साफ़ पानी और बुनियादी स्वच्छता तक पहुँच जैसे उपायों के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता के कारण आज लाखों बच्चे जीवित हैं.”

उन्होंने कहा, “बाल मृत्यु दर को रिकॉर्ड निम्न स्तर पर लाना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. लेकिन कड़ी मेहनत से मिले फायदों को, हम सही नीति विकल्पों और पर्याप्त निवेश के अभाव में गँवा देने के जोखिम में हैं…हम ऐसा होने नहीं दे सकते.” 

बच सकती है बच्चों की जान

आँकड़े बताते हैं कि पाँच साल से कम उम्र के लगभग आधे बच्चों की मृत्यु, जीवन के पहले महीने में हुई. इसके पीछे का मुख्य कारण, समय से पहले जन्म और प्रसव के दौरान जटिलता थी.

शैशवावस्था पार कर पाने वाले बच्चों में, रोके जा सकने वाले संक्रामक रोग – जैसे निमोनिया, मलेरिया और दस्त मृत्यु के प्रमुख कारण रहे.

विशेषज्ञों ने कहा कि इन मौतों को रोकने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली मातृ, नवजात और बाल स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में सुधार करना अहम है.

क्षेत्रीय असमानताएँ

बच्चे किस जगह जन्म लेते हैं, यह कारक उनके बचने की सम्भावनाओं को बहुत प्रभावित करता है. 

कम आय वाले देशों में, आवश्यक सेवाएँ, टीके और उपचार अक्सर मुश्किल होते हैं, जिससे असमान रूप से उच्च मृत्यु दर होती है.

क्षेत्रीय अनुमान

सब-सहारा अफ़्रीका में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की सबसे अधिक मृत्यु दर दर्ज की गई, जिसमें प्रति 1 हज़ार जीवित जन्मों पर 69 मौतें हुईं. 

जबकि, यही आँकड़ा योरोप में चार और उत्तरी अमेरिका में 6 रहा. एशिया में 26 मौतें, लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र में 16 और ओशिनिया में 19 मौतें होने का अनुमान था.

मृत जन्में बच्चों की दरों में भी इसी तरह की असमानता पाई गई. 

भारी धन-कटौती

जीवन रक्षक बाल कार्यक्रमों के लिए वित्त पोषण में कटौती मौजूदा असमानताओं को बद से बदतर बना रही है.

संसाधनों में कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की कमी, क्लीनिक बन्द होना, टीकाकरण अभियान में व्यवधान और मलेरिया उपचार जैसी आवश्यक आपूर्ति की कमी हुई है.

मानवीय संकटों से प्रभावित देश विशेष रूप से प्रभावित हैं. ये देश भारी क़र्ज़ के बोझ या पहले से ही उच्च बाल मृत्यु दर का सामना कर रहे हैं.

WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेब्रेयेसस ने बच्चों के जीवन और उनके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए तत्काल सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया.

उन्होंने कहा, “मलेरिया से निपटने से लेकर मृत जन्मों को रोकने और शिशुओं के लिए साक्ष्य-आधारित देखभाल सुनिश्चित करने तक, हम लाखों परिवारों के लिए बदलाव ला सकते हैं.”

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