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दक्षिण सूडान: निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े अनेक सवाल, अब भी अनुत्तरित

ये चुनाव दिसम्बर महीने में कराए जाने की योजना है. विशेष दूत के अनुसार संक्रमणकालीन अवधि के समाप्त होने में अभी 15 महीने का समय शेष है, और इसे ध्यान में रखते हुए निर्वाचन प्रक्रिया को जल्द पूरा करना होगा. 

यूएन के विशेष प्रतिनिधि के अनुसार अहम सवालों के जवाब अभी नहीं मिल पाए हैं, और उनका हल ढूंढने के लिए भौतिक संसाधनों की ज़रूरत नहीं है. 

केवल राजनैतिक इच्छाशक्ति के ज़रिये ही समझौते और सर्वसहमति पर पहुँचा जा सकता है.

इनमें चुनाव प्रक्रिया, मतदाता पंजीकरण, निर्वाचन क्षेत्रों और चुनावी विवादों के निपटारे समेत अन्य मुद्दे हैं. 

यूएन के विशेष प्रतिनिधि ने बताया कि आरम्भिक चर्चा में मामूली प्रगति हुई है, जैसेकि चुनाव बजट के मुद्दे पर विमर्श हुआ और राष्ट्रीय निर्वाचन क़ानून को पास किया गया है. 

साथ ही, राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग और राजनैतिक दल पंजीकरण व्यवस्था भी स्थापित की गई है. 

समय पर चुनाव की योजना

विशेष प्रतिनिधि ने बताया कि दक्षिण सूडान के राष्ट्रपति सल्वा कीर ने स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त की है कि दक्षिण सूडान, युद्ध के रास्ते पर फिर नहीं लौटेगा और चुनावों को समय पर कराया जाएगा.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान, राष्ट्रपति कीर ने कहा था कि सभी पक्षों को संक्रमणकाल के दौर को समाप्त करने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा.

जुलाई 2011 में दक्षिण सूडान ने एक जनमत संग्रह के बाद, सूडान से स्वाधीनता हासिल की थी. 

मगर, उसके दो सप्ताह बाद ही, परस्पर विरोधी दो गुटों में राजनैतिक लड़ाई, हथियारबन्द संघर्ष में तब्दील हो गई, जिससे एक बड़ा मानवीय संकट उत्पन्न हुआ.

इसके बाद, देश के नेताओं ने सितम्बर 2018 में एक नए शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिनमें राष्ट्रीय चुनाव कराए जाने की समयसीमा भी है.

संघर्षविराम का पालन

दक्षिण सूडान में यूएन मिशन के प्रमुख निकोलस हेसम ने कहा कि चुनावों को समर्थन देने के इरादे से, क्षमता निर्माण और राजनैतिक गतिविधियों का विस्तार और बैलट प्रक्रिया को समर्थन दिया जाएगा. 

इस पृष्ठभूमि में, 2018 में संघर्षविराम पर बनी सहमति अब भी क़ायम है, हालांकि सामुदायिक तनावों और सुरक्षा बलों व शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर ना करने वाले अन्य गुटों के बीच छिटपुट लड़ाई अब भी एक बड़ी बाधा है. 

मानवीय स्थिति

आपात राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय में निदेशक ऐडेम वोसोर्नु ने बताया कि दक्षिण सूडान और पड़ोसी देश सूडान में संकटपूर्ण स्थिति है, और सहायता धनराशि की सीमित उपलब्धता है, जिससे मानवीय हालात और जटिल हो रहे हैं. 

इस वर्ष के आरम्भ में, दक्षिण सूडान में 94 लाख से अधिक लोग, यानि देश की आबादी का क़रीब 76 फ़ीसदी हिस्सा, हिंसा और जलवायु झटकों के कारण मानवीय सहायता पर निर्भर है. 

सूडान में हिंसक टकराव की वजह से दो लाख 60 हज़ार लोग सीमा पार जाने के लिए मजबूर हुए हैं, जिनमें दक्षिण सूडान के अनेक शरणार्थी भी हैं. 

सूडान संकट के कारण, दक्षिण सूडान में व्यापार और अर्थव्यवस्था पर भी असर हुआ है, जिससे खाद्य क़ीमतों में उछाल आया है और भूख की मार झेल रहे लोगों की संख्या बढ़ी है.

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