बेंगलुरु की एक कोडर का सपना था कि वह दिग्गज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी करे। इसके लिए उसने एक, दो या तीन बार नहीं बल्कि 30 से ज्यादा बार अप्लाई किया। आखिरकार वह सफल हुई और अपनी ड्रीम कंपनी में नौकरी पा ली। लेकिन यह साथ ज्यादा देर तक नहीं रहा। एक साल बाद ही इस कोडर ने माइक्रोसॉफ्ट को बाय बोल दिया। यह किस्सा है 24 वर्षीय हैमंतिका मित्रा का। मित्रा ने माइक्रोसॉफ्ट के सेल्फ लर्न स्किल्स प्रोग्राम की मदद से कोडिंग सीखी और जब उन्हें माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी मिली तो यह उनकी जिंदगी के सबसे बड़े पलों में से एक था।
मनीकंट्रोल से बात करते हुए, मित्रा ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट के साथ लगभग एक साल तक काम करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह एक अलग रोल में काम करना चाहती थीं। वह माइक्रोसॉफ्ट के वर्कप्लेस कल्चर की तुलना में तेजी से आगे बढ़ना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने एक साल बाद ही नौकरी छोड़ दी और एक दूसरी कंपनी में डिजायरेबल पोजिशन संभाल ली। लेकिन मित्रा का यह भी कहना है कि अगर उन्हें भविष्य में माइक्रोसॉफ्ट के लिए फिर से काम करने का मौका मिलेगा तो वह जरूर करेंगी।
कैसे शुरू हुआ यह किस्सा
मित्रा सिलीगुड़ी से हैं और वर्तमान में बेंगलुरु में रहती हैं। उनका माइक्रोसॉफ्ट कम्युनिटी से परिचय कोविड के दौरान हुआ था। इंजीनियर और अन्य सीनियर प्रोफेशनल्स समेत माइक्रोसॉफ्ट के कई मेंबर्स से बातचीत करते हुए, मित्रा को भी माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी करने में दिलचस्पी जगी। धीरे—धीरे उन्हें यह अहसास हुआ कि माइक्रोसॉफ्ट उनकी ड्रीम कंपनी है और उन्हें वहां काम करना ही है। इसके बाद उन्होंने जॉब ओपनिंग्स के लिए माइक्रोसॉफ्ट की वेबसाइट पर नजर रखनी शुरू की और विभिन्न रोल्स के लिए अप्लाई करने लगीं। 30 से ज्यादा बार रिजेक्ट होने पर भी उन्होंने कोशिश नहीं छोड़ी, यहां तक कि इंटर्नशिप के लिए भी अप्लाई कर दिया।
फिर आया एक हैकाथॉन
इसके बाद दिसंबर 2020 में उन्हें एक हैकाथॉन के बारे में पता चला। माइक्रोसॉफ्ट, हैकाथॉन पार्टिसिपेंट्स में से सपोर्ट इंजीनियरों की हायरिंग करने वाली थी। मित्रा ने तुरंत इसके लिए आवेदन किया और 11000 आवेदकों में से उन्हें शॉर्टलिस्ट किया गया। वह हैकाथॉन के आखिरी राउंड में नहीं पहुंच पाईं, लेकिन उनके प्रदर्शन से प्रभावित होकर, माइक्रोसॉफ्ट के रिक्रूटर्स मित्रा का इंटरव्यू लेने के लिए राजी हो गए। दो राउंड के इंटरव्यू के बाद उन्हें माइक्रोसॉफ्ट में इंटर्न के रूप में चुन लिया गया। मित्रा के मुताबिक, उन्होंने अप्रैल 2021 में अपनी इंटर्नशिप शुरू की और तीन महीने बाद इंटरव्यू के दो और राउंड हुए। इसके बाद उन्हें एक फुल टाइम एंप्लॉयी नियुक्त किया गया।
मित्रा को एक सपोर्ट इंजीनियर के रूप में काम पर रखा गया। वैसे तो मित्रा ने माइक्रोसॉफ्ट में अपने टाइम को एंजॉय किया लेकिन उनका वर्क रोल वैसा नहीं था जैसा वह चाहती थीं। इसलिए उन्होंने अन्य टीमों के साथ कोलैबोरेट किया और दूसरे रोल्स के लिए इंटरव्यू दिए लेकिन भारत में कोई भी पोजिशन हासिल नहीं हो सकी। कंपनी की नीतियों के कारण, वह अन्य देशों में कोई पोजिशन नहीं ले सकीं।
फिर छोड़ दी कंपनी…
मित्रा का कहना है, ‘मुझे अहसास हुआ कि इस रोल में कुछ वर्षों तक बने रहने के बाद ही मुझे माइक्रोसॉफ्ट में दूसरी और अधिक डिजायरेबल पोजिशंस पर लेने के बारे में सोचा जाएगा। लेकिन मैं तेज गति से आगे बढ़ना चाहती थी और मुझे लगा कि अगर मैं दो-तीन साल तक केवल एक सपोर्ट इंजीनियर बनी रही तो मैं इंडस्ट्री में अपनी रिलीवेंस खो दूंगी। इसीलिए मुझे इस्तीफा देना पड़ा।’ मित्रा वर्तमान में बेंगलुरु में एक अन्य टेक कंपनी के साथ काम कर रही हैं, लेकिन उनका कहना है कि अगर माइक्रोसॉफ्ट में उपयुक्त पद मिलता है तो वह भविष्य में कंपनी में वापस लौटना पसंद करेंगी।