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डिजिटल जगत में प्रगति की तेज़ रफ़्तार, मगर पर्यावरणीय प्रभावों से निपटना भी ज़रूरी

डिजिटल जगत में प्रगति की तेज़ रफ़्तार, मगर पर्यावरणीय प्रभावों से निपटना भी ज़रूरी

व्यापार एवं विकास पर यूएन एजेंसी (UNCTAD) ने डिजिटिल अर्थव्यवस्था पर अपनी एक नई रिपोर्ट में ऐसे ही कईं चिन्ताजनक निष्कर्ष साझा किए हैं.

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि डिजिटल सैक्टर फल-फूल रहा है, मगर उसके पर्यावरणीय असर को और अधिक गम्भीरता से लिए जाने की ज़रूरत है, और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाया जाना होगा.

UNCTAD प्रमुख रैबेका ग्रीनस्पैन ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस (एआई), क्रिप्टोकरेन्सी जैसी टैक्नॉलॉजी उभर रही हैं, और उनके साथ ही ऊर्जा खपत में बड़ी वृद्धि हुई है.

उदाहरणस्वरूप, बिटकॉयन के लिए डेटा खंगालने में ऊर्जा खपत 2015 से 2020 के दौरान, 34 गुना वृद्धि हुई, और यह 121 टैरावॉट घंटे तक पहुँच गया. यह ऊर्जा खपत, बेल्जियम या फ़िनलैंड में प्रति वर्ष इस्तेमाल होने वाली मात्रा से अधिक है.

फ़िलहाल, विश्व में 5.4 अरब लोग इंटरनैट का इस्तेमाल करते हैं और वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था तेज़ी से फल-फूल रही है, जिसमें अनेक लोगों व समुदायों के लिए लाभ निहित हैं.

रैबेका ग्रीनस्पैन ने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि डिजिटल टैक्नॉलॉजी से काग़ज़ के इस्तेमाल में कमी आ सकती है और ऊर्जा दक्षता बेहतर होती है. साथ ही, इससे परिवहन, निर्माण, कृषि व ऊर्जा क्षेत्र में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती की जा सकती है.

“मगर, इसके दूसरे पक्ष के बारे में उतनी बातें नहीं हो रही हैं.” उन्होंने ध्यान दिलाया कि डिजिटलीकरण बहुत हद तक पदार्थों के इस्तेमाल पर निर्भर करता है, और उसे संचालित करने के लिए कार्बन निर्भर बिजली की आवश्यकता है.

डिजिटल सैक्टर के कारण पर्यावरण पर हो रहे असर से निपटने और पर्यावरणीय दृष्टि से ज़िम्मेदार अर्थव्यवस्था के लिए, UNCTAD की रिपोर्ट में अनेक नीतिगत उपायों को साझा किया गया है.

इनमें मोबाइल फ़ोन समेत इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों को तैयार करने में मूल्यवान खनिजों और जल समेत अन्य प्राकृतिक संसाधनों के सतत इस्तेमाल पर बल दिया गया है.

ऊर्जा की अत्यधिक खपत

यूएन एजेंसी के अनुसार, 2022 में वैश्विक डेटा केन्द्रों में क़रीब 460 टैरावॉट घंटों की खपत हुई, जोकि अमेरिका में एक साल में 4.2 करोड़ घरों में प्रयुक्त होने वाली ऊर्जा के समतुल्य हैं. वर्ष 2026 तक यह आँकड़ा दोगुना होने की सम्भावना है.

UNCTAD का अनुमान है कि डिजिटल सैक्टर, 1.5 से 3.2 प्रतिशत वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जनों के लिए ज़िम्मेदार है, जोकि क़रीब वायु परिवहन व जहाज़रानी क्षेत्र जितनी ही मात्रा है.

2018 से 2022 के दौरान, 13 प्रमुख डेटा केन्द्रों पर बिजली की खपत दोगुने से अधिक हो गई है, जोकि इन टैक्नॉलॉजी के पर्यावरणीय असर का मुक़ाबला करने की ओर ध्यान केन्द्रित करता है.

“गूगल ने बताया कि 2022 में, उसके डेटा केन्द्रों व कार्यालयों में 5.6 अरब गैलन (2.12 करोड़ क्यूबिक मीटर) की जल खपत हो रही है. इसी साल, माइक्रोसाफ़्ट ने बताया कि उसकी जल खपत 64 लाख क्यूबिक मीटर थी.”

इन केन्द्रों पर इतनी बड़ी मात्रा में जल का इस्तेमाल होन से अनेक देशों में स्थानीय समुदाय के साथ तनाव भी भड़का है.

अहम खनिज

विश्व बैन्क का अनुमान है कि डिजिटलीकरण प्रक्रिया के लिए खनिजों, जैसेकि ग्रेफ़ाइट, लिथियम, कोबाल्ट की मांग वर्ष 2050 तक 500 प्रतिशत तक बढ़ सकती है.

संक्रमणकालीन खनिजों और धातुओं की वैश्विक आपूर्ति में, विकासशील देशों की अहम भूमिका है, और वे कुछ ही क्षेत्रों में स्थित हैं.

उदाहरणस्वरूप, अफ़्रीका में कोबाल्ट, ताम्बा, लिथियम समेत अन्य खनिजों का अपार भंडार है, जोकि निम्न-कार्बन और डिजिटल टैक्नॉलॉजी की ओर क़दम बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

अफ़्रीकी महाद्वीप पर विश्व भर का 55 प्रतिशत कोबाल्ट, 47.65 प्रतिशत मैंगनीज़, 5.9 प्रतिशत ताम्बा, 5.6 प्रतिशत निकेल और 1 प्रतिशत लीथियम का भंडार है.

घाना में ई-कचरे के इस्तेमाल के लिए पुर्ज़ों को अलग किया जा रहा है.

© WHO/Abraham Thiga Mwaura

घाना में ई-कचरे के इस्तेमाल के लिए पुर्ज़ों को अलग किया जा रहा है.

विकास अवसर

इन महत्वपूर्ण खनिजों की बढ़ती मांग, संसाधन-सम्पन्न देशों के लिए प्रगति का एक विशाल अवसर है. साथ ही, वे दोहन से प्राप्त खनिजों से और लाभ कमा सकते हैं, अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विविधता प्रदान कर सकते हैं और विकास की दिशा में बढ़ सकते हैं.

मगर, यूएन एजेंसी प्रमुख ने सचेत किया है कि इन टैक्नॉलॉजी को पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन उद्देश्यों के नज़रिये से कहीं अधिक दक्ष बनाया जाना होगा.

इस क्रम में, UNCTAD ने नए व्यावसायिक मॉडल और मज़बूत नीतियों को अपनाने का सुझाव दिया है, ताकि डिजिटल क्षेत्र में प्रगति को टिकाऊ रूप दिया जा सके. चँद अहम सिफ़ारिशें:

  • चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल का इस्तेमाल, जिसमें रीसाइक्लिंग, फिर से इस्तेमाल में लाने, कचरे व पर्यावरणीय क्षति में कमी लाने पर ध्यान देना होगा.
     
  • संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल, जिसके तहत कच्चे माल को अधिक दक्षतापूर्ण ढंग से इस्तेमाल में लाने के लिए योजनाएँ बनाई जानी होंगी.
     
  • नियामन को मज़बूती, जोकि सख़्त पर्यावरणीय मानकों व नियमों को लागू करने पर लक्षित होगा, ताकि डिजिटल टैक्नॉलॉजी के पारिस्थितिकी तंत्रों पर असर को कम किया जा सके.
     
  • नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश, जिसके ज़रिये ऊर्जा दक्ष टैक्नॉलॉजी पर शोध व उनके विकास, और सतत डिजिटल तौर-तरीक़ों को समर्थन प्रदान किया जाएगा.
     
  • अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा, जोकि देशों को एक साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, ताकि इन टैक्नॉलॉजी व संसाधनों की समानतापूर्ण सुलभता सुनिश्चित करने के लिए अहम है. 

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