सोमवार से शुरू हुआ इसका नया (55वाँ) सत्र अब तक का सबसे लम्बा सत्र है, जो अप्रैल (2024) तक चलेगा, और इसके व्यस्त एजेंडे में ग़ाज़ा, सूडान व यूक्रेन में चल रहे युद्धों, दुनिया भर में मानवाधिकार पैरोकारों की स्थिति और ऐसे 50 से अधिक देशों के राष्ट्रीय मानवाधिकार रिकॉर्ड शामिल हैं जिनकी निगरानी की जा रही है.
लेकिन, मानवाधिकार परिषद क्या करती है और उसका काम क्यों मायने रखता है?
47-सदस्यीय परिषद, 2006 में अपने वजूद में आने के बाद से विवाद का विषय रही है – जिसमें वर्ष 2018 में संयुक्त राज्य अमेरिका का अस्थाई अलगाव भी शामिल है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन मानवाधिकार ढाँचे में, इस परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है, जो “शान्ति का आधार” है.
मानवाधिकार परिषद वास्तव में करती क्या है?
संक्षेप में, जिनीवा स्थित मानवादिकार परिषद, दुनिया भर में मानवाधिकारों के मुद्दों से सम्बन्धित किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बहुपक्षीय मंच है.
यह परिषद, तथ्य-खोजी मिशन शुरू करने और चिन्ता की विशिष्ट स्थितियों में जाँच आयोगों की स्थापना करने के अलावा, संयुक्त राष्ट्र के साथ राजनैतिक, नागरिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा करने के लिए, स्विट्जरलैंड के पैलैस डेस नेशंस में, साल में तीन बार बैठक करती है. इस चर्चा में संयुक्त राष्ट्र के पदाधिकारी, स्वतंत्र विशेषज्ञ और जाँचकर्ता, सदस्य देशों के प्रतिनिधि और नागरिक समाज संगठन शिरकत करते हैं.
इस वीडियो कुछ जानकारी मिलेगी:
यह परिषद कैसे काम करती है?
मानवाधिकार परिषद की सबसे नवीन विशेषता सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा है. इस अद्वितीय तंत्र में, हर चार साल में एक बार सभी 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड की जाँच करना शामिल है. यह एक राष्ट्रीय मानवाधिकार रिपोर्ट कार्ड की तरह है.
ये आवधिक समीक्षा, इस परिषद के तत्वावधान में एक सहकारी, देश-संचालित प्रक्रिया है, जो प्रत्येक देश को अपने यहाँ, मानवाधिकार की स्थिति में सुधार करने और अपने अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिए उठाए गए क़दमों व चुनौतियों का ब्यौरा प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करती है.
मानवाधिकार परिषद, विशिष्ट देशों और विषयगत क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघनों की जाँच के लिए पैनल भी बनाती है, उदाहरण के लिए, नस्लीय न्याय और क़ानून प्रवर्तन में समानता को आगे बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ तंत्र.
यह परिषद, मानवाधिकार हनन की जाँच और निगरानी करने के लिए, विशेष प्रतिवेदकों (Special Rapporteur) सहित स्वतंत्र विशेषज्ञों की नियुक्ति करती है, जो अपनी व्यक्तिगत क्षमता में कार्य करते हैं और उन्हें अपने काम के लिए संयुक्त राष्ट्र से कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता है. उन्हें कभी-कभी परिषद की “आँख और कान” कहा जाता है.
परिषद, दुनिया भर में मानवाधिकारों के लिए कैसे महत्वपूर्ण है?
मानवाधिकार वैसे तो, सदैव ही सदस्य देशों के लिए एक बहुत ही संवेदनशील मामला रहा है, मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार ढाँचे का एक अनिवार्य हिस्सा बनी हुई है.
परिषद के पास संकल्प अपनाने, तथ्य-खोजी मिशन और जाँच शुरू करने और जाँच आयोग स्थापित करने की शक्ति है. परिषद, विशेष रूप से विशिष्ट मुद्दों पर स्वतंत्र विशेषज्ञों की नियुक्ति कर सकती है. उदाहरण के लिए, 2023 में, परिषद ने रूस में मानवाधिकारों की स्थिति पर पहली बार विशेष प्रतिवेदक की नियुक्ति की और 2021 में, इसने पहली बार स्वच्छ व सुरक्षित वातावरण के अधिकार को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी.
ये सभी तंत्र गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर करने और उन्हें जाँच, चर्चा और जब भी सम्भव हो, कार्रवाई के लिए वैश्विक मंच पर लाने की व्यवस्था करते हैं. इस तरह की कार्रवाई से घटनाओं का रुख़ बदल सकता है.
मानवाधिकार परिषद में कौन सेवा करते हैं?
परिषद के चुनाव प्रतिवर्ष गुप्त मतदान के ज़रिए होते हैं. देश, इस परिषद में बारी-बारी से तीन साल तक सेवा देते हैं, क्योंकि कुछ सीटें हर साल 31 दिसम्बर को समाप्त होती हैं. परिषद में 47 सदस्य सीटें हैं, जो पाँच क्षेत्रीय प्रभागों के अनुसार समान रूप से वितरित हैं.
समझा जाता है कि परिषद केवल अपने सदस्य देशों की तरह ही, प्रभावी हो सकती है, इसकी चुनाव प्रक्रिया सीधे महासभा के हाथों में रखी गई थी, जो संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र ऐसा अंग है जहाँ सभी 193 देशों में से प्रत्येक को समान मतदान का अधिकार है.
भौगोलिक समूह विभाजन और सीट आवंटन का उद्देश्य, केवल कुछ मुट्ठी भर क्षेत्रों और देशों पर असन्तुलित ध्यान को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक देश का उचित मूल्यांकन किया जाए.
ये स्वयं देशों पर निर्भर होता है कि वो मतदान के माध्यम से किस देश को इस परिषद में सेवा करने के लिए चुनते हैं और इसमें किसी भी देश के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.
अब कौन से देश इसके सदस्य हैं?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, 10 अक्टूबर 2023 को गुप्त मतदान के ज़रिए, अल्बानिया, ब्राज़ील, बुल्गारिया, बुरुंडी, चीन, कोटे डी आइवर, क्यूबा, डोमिनिकन गणराज्य, फ्रांस, घाना, इंडोनेशिया, जापान, कुवैत, मलावी और नैदरलैंड को चुना था.
इन, 15 नव-निर्वाचित देशों के राजदूतों ने, 1 जनवरी 2024 को अपना, तीन-वर्षीय कार्यकाल शुरू किया है.
अन्य 32 देशों के नाम हैं – अल्जीरिया, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, बेल्जियम, बेनिन, कैमेरून, चिली, कोस्टा रीका, इरीट्रिया, फ़िनलैंड, गाम्बिया, जियोर्जिया, जर्मनी, होंडूरास, भारत, कज़ाख़स्तान, किरगिज़्स्तान, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, मलेशिया, मालदीव्स, मोंटीनीग्रो, मोरक्को, पैरागुवे, क़तर, रोमानिया, सोमालिया, दक्षिण अफ़्रीका, सूडान, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम.