‘जैविक विविधता पर यूएन सन्धि के सम्बद्ध पक्षों की 16वीं बैठक’ (16th meeting of the Conference of Parties to the UN Convention on Biological Diversity) को, संक्षिप्त में CBD COP16 भी कहा जाता है, जोकि हर दूसरे साल आयोजित होती है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने जैविक विविधता सम्मेलन, कॉप16 में जुटे प्रतिनिधियों से कहा कि प्रकृति जीवन है, मगर फिर भी हमने उसके विरुद्ध युद्ध छेड़ा हुआ है.
“यह एक ऐसा युद्ध है जिसमें कोई भी विजेता नहीं हो सकता है.”
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि हर वर्ष तापमान नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं. “हर दिन, हम और प्रजातियों को खो रहे हैं. हर मिनट, हम प्लास्टिक कचरे से भरे, कूड़े के ट्रक हमारे समुद्रों, नदियों व झीलों में फेंक रहे हैं.”
उन्होंने स्पष्ट किया कि आप किसी ग़लतफ़हमी में मत रहिए – अस्तित्व पर मंडराने वाला संकट ऐसे ही दिखाई देता है.
काली शहर में आयोजित इस सम्मेलन की थीम है: आम नागरिकों का कॉप सम्मेलन. 1 नवम्बर तक जारी रहने वाले इस सम्मेलन में जैवविविधता संरक्षण, पर्यावरणीय न्याय और टिकाऊ भविष्य को आकार देने में आदिवासी व स्थानीय समुदायों की भूमिका पर चर्चा हुई है.
दिसम्बर 2022 में कैनेडा के मॉन्ट्रियाल में कुनमिंग-मॉन्ट्रियाल वैश्विक फ़्रेमवर्क के पारित होने के बाद यह पहला जैवविविधता सम्मेलन है.
कार्रवाई का समय
यूएन प्रमुख ने बताया कि पृथ्वी पर भूमि सतह के 75 फ़ीसदी और महासागरों के 66 प्रतिशत हिस्से में मानव गतिविधियों के कारण बदलाव आया है.
“हर दिन बीतने के साथ, हम विशाल बदलाव लाने वाले ऐसे बिन्दुओं की ओर बढ़ रहा है, जिससे भूख, विस्थापन और सशस्त्र टकरावों को और हवा मिलेगी.”
इसके मद्देनज़र, उन्होंने सभी देशों से कुनमिंग-मॉन्ट्रियाल फ़्रेमवर्क को लागू करने का आग्रह किया है, जिसमें 2030 तक जैवविविधता हानि को रोकने व उसे पुनर्बहाल करने का लक्ष्य रखा गया है.
वादों को साकार करने का समय
महासचिव ने कहा कि चार अहम तरीक़ों से इन वादों को कार्रवाई में बदला जा सकता है. इसके लिए, देशों को वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क के अनुरूप महत्वाकाँक्षी व स्पष्ट योजनाएँ तैयार करनी होंगी.
निगरानी व पारदर्शिता व्यवस्था को मज़बूती देने के रास्तों की तलाश करने के अलावा ज़रूरतमन्द देशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जानी होगी.
यूएन प्रमुख ने कहा कि निजी सैक्टर को भी इस प्रक्रिया में साथ लेकर चलने की ज़रूरत है, चूँकि प्रकृति से मुनाफ़ा कमाने वाले इसके साथ एक मुफ़्त, असीमित संसाधन जैसा बर्ताव नहीं कर सकते हैं. इसके बजाय, उन्हें आगे बढ़कर पर्यावरण संरक्षण व पुनर्बहाली में योगदान देना होगा.
पर्यावरण कार्यकर्ताओं की रक्षा
यूएन महासचिव ने ध्यान दिलाया कि पर्यावरण संरक्षण में आदिवासी लोगों व स्थानीय समुदायों की अहम भूमिका है और वे प्रकृति के संरक्षक हैं. उनके पारम्परिक ज्ञान से जैवविविधता संरक्षण में मदद मिलती है, लेकिन इसके बावजूद, उन्हें हाशिए पर धकेल दिया जाता है या फिर धमकाया जाता है.
उन्होंने जैविक विविधता सन्धि के अन्तर्गत एक स्थाई निकाय स्थापित करने पर बल दिया है, ताकि नीतियाँ बनाते समय आदिवासी समुदाय की आवाज़ों को सुना जा सके.
महासचिव ने अपने सम्बोधन में उन पहल का भी उल्लेख किया, जिनसे जैविक विविधता संरक्षण में मदद मिल रही है. इनमें ब्राज़ील, कोलम्बिया व इंडोनेशिया में वनों की कटाई में कमी लाने के उपाय, राष्ट्रीय न्याय अधिकार क्षेत्र से परे समुद्री जैवविविधता पर ऐतिहासिक समझौता, और प्रकृति की पुनर्बहाली के लिए योरोपीय संघ का क़ानून समेत अन्य पहल हैं.