उद्योग/व्यापार

जून में बड़े पैमाने पर बिजली संकट देखने को मिलेगा, हाइड्रो पावर उत्पादन में गिरावट है मुख्य वजह

जून में देश में बिजली की भारी कमी देखने को मिल सकती है और यह पिछले 14 सालों का रिकॉर्ड तोड़ सकती है। हाइड्रो पावर उत्पादन में भारी गिरावट की वजह से ऐसा हो सकता है। सरकार का कहना है कि वह संबंधित अवधि में प्लांट मेटेनेंस के काम को टालकर और बेकार पड़ी यूनिट्स को फिर से खोलकर इस संभावित संकट को दूर करने की कोशिश करेगी।

बिजली की कमी की एक प्रमुख वजह 3.6 गीगावॉट के नए कोल प्लांट्स के चालू होने में हो रही देरी भी है, जिन्हें मार्च से पहले चालू करने का टारगेट था। पावर सेक्टर की इकाई सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी का कहना है कि जून में सोलर कैपिसिटी ऑफलाइन रहने की स्थिति में यानी रात के दौरन 14 गीगावॉट तक की कमी देखने को मिल सकती है। अथॉरिटी के मुताबिक, कंपनी संकटकालीन स्थितियों को ध्यान में रखकर योजना तैयार कर रही है।

आंकड़ों के मुताबिक, बिजली की डिमांड-सप्लाई का यह अंतर 2009-10 के बाद सबसे ज्यादा हो सकता है। 31 मार्च को खत्म साल के दौरान भारत में हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी के उत्पादन में गिरावट पिछले 4 दशकों में सबसे ज्यादा रही, जबकि इस दौरान रिन्यूएबल एनर्जी का उत्पादन फ्लैट रहा। सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने इस स्थिति का जायजा लेने के लिए पिछले हफ्ते एमरजेंसी बैठक बुलाई थी और जून के दौरान पावर प्लांट्स के मेंटेनेंस का काम टालने का फैसला किया था। साथ ही, बेकार पड़े कोयले प्लांट्स की क्षमता का इस्तेमाल किया जाएगा।

ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘ संबंधित अवधि में बिजली का उत्पादन बढ़ाने के लिए हरमुमकिन कोशिश की गई है और कई उपायों के जरिये यह उम्मीद की जा रही है कि जून 2024 में बिजली की मांग को दिन और रात में पर्याप्त तरीके से पूरा कर लिया जाएगा।’

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