निहॉन हिदायनको 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम के हमलों में जीवित बचे लोगों का संगठन है, जिन्हें हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है. ये लोग एक परमाणु मुक्त विश्व की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध हैं, जोकि संयुक्त राष्ट्र की भी एक शीर्ष प्राथमिकता है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने हिबाकुशा को, “परमाणु हथियारों की मानवीय जीवन पर विशालकाय भीषण क़ीमत के स्वार्थहीन और मज़बूत आत्माओं वाले गवाह क़रार दिया है.”
उन्होंने साथ ही ये भी कहा है कि अलबत्ता हर साल उनकी संख्या में वृद्धि मामूली नज़र आती है, मगर उनका अथक और सहनशीलता वाला कार्य, वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण आन्दोलन की रीढ़ की हड्डी है.
यूएन महासचिव ने कहा कि वो बीते वर्षों के दौरान बहुत से हिबाकुशा के साथ उनकी मुलाक़ातों को कभी नहीं भूलेंगे.
एक वैश्विक प्रेरणा
यूएन महासचिव ने कहा, “उनकी चिकरालीन स्मृतियाँ विश्व को याद दिलाती हैं कि परमाणु ख़तरा, इतिहास की किताबों में ही सिमटा हुआ नहीं है. परमाणु हथियार आज भी मानवता के लिए स्पष्ट ख़तरा बने हुए हैं, जोकि अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों में लगभग हर दिन भड़काऊ नारों में नज़र आता है.”
“ये सटीक समय है कि विश्व नेतागण भी, हिबाकुशा की ही तरह, स्पष्ट नज़र रखें और परमाणु हथियारों को उनके असली रूप में ही देखें: मतलब कि वो मृत्यु के ऐसे उपकरण हैं जो कोई सुरक्षा, संरक्षण या हिफ़ाज़त मुहैया नहीं कराते. परमाणु हथियारों के ख़तरे को ख़त्म करने का केवल एक ही उपाय है और वो है तमाम परमाणु हथियारों को पूरी तरह ख़त्म कर देना.”
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र गर्व के साथ हिबाकुशा के साथ समर्थन में मुस्तैद है जो “एक परमाणु मुक्त विश्व के निर्माण के लिए हमारे साझा प्रयासों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं.”