सोमवार को प्रकाशित ‘The State of Global Water Resources’ नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में, नदी के प्रवाह के लिए परिस्थिति सामान्य स्तर से कम है, और जल पहले की तुलना में कम मात्रा में जलाशयों तक पहुँच रहा है.
जल उपलब्धता में कमी की वजह से समुदायों, कृषि व पारिस्थितिकी तंत्रों के लिए कम मात्रा में जल की आपूर्ति हो रही है.
फ़िलहाल, दुनिया भर में 3.6 अरब लोगों को हर वर्ष, महीने में कम से कम एक बार पर्याप्त स्तर पर जल उपलब्ध नहीं हो पाता है.
जल से जुड़े मामलों पर यूएन की संस्था (UN Water) ने आशंका जताई है कि 2050 तक यह आँकड़ा 5 अरब तक पहुँच सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, हिमनदों को भीषण नुक़सान पहुँच रहा है और पिछले पाँच दशकों में अपने सबसे बड़े स्तर पर है.
विश्व के हर उस क्षेत्र में जहाँ ग्लेशियर मौजूद हैं, वहाँ जमे हुए पानी की मात्रा घटी है.
इस वजह से छह लाख गीगाटन जमा हुआ पानी पिघला है, जिसकी अधिकाँश मात्रा महासागर और कुछ नदियों तक पहुँची है.
2023 ने अब तक का सर्वाधिक गर्म साल होने का भी रिकॉर्ड बनाया है – तापमान में उछाल आया है और व्यापक पैमाने पर शुष्क परिस्थितियाँ उपजी हैं, जिससे सूखा पड़ने की अवधि में भी वृद्धि हुई है.
अभूतपूर्व दबाव
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी की महानिदेशक सेलेस्ते साउलो ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के विषय में, जल के ज़रिए आगामी जोखिमों का सबसे पहले पता चलता है.
उन्होंने कहा कि अत्यधिक वर्षा, बाढ़ और सूखे के रूप में हमें दबाव भरे संकेत नज़र आते हैं, जिसका ज़िन्दगियों, पारिस्थितिकी तंत्रों और अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर होता है.
रिपोर्ट बताती है कि विश्व भर में, ताज़ा जल के संसाधनों की मौजूदा स्थिति ख़राब है, वे बेहद दबाव में हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण यह स्थिति बिगड़ रही है और मांग बढ़ती जा रही है.
चरम मौसम घटनाएँ
रिपोर्ट में दुनिया के अनेक हिस्सों में जानलेवा बाढ़ की घटनाओं का भी ब्यौरा दिया गया है. जनहानि की दृष्टि से अफ़्रीका सर्वाधिक पीड़ितों में हैं.
लीबिया में सितम्बर 2023 में दो बाँध ध्वस्त होने के बाद भीषण बाढ़ आई, जिसमें 11 हज़ार से अधिक लोगों की जान गई और आबादी का कुल 22 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित हुआ.
बाढ़ का असर ग्रेटर हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के अलावा रवांडा, मोज़ाम्बीक़ और मलावी में भी देखने को मिला है.
वहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी हिस्से, मध्य अमेरिका क्षेत्र, अर्जेन्टीना, उरुग्वे, पेरू और ब्राज़ील में व्यापक पैमाने पर सूखे की परिस्थितियाँ हैं. ऐमेज़ोन वन क्षेत्र में और बोलिविया व पेरू की सीमा पर जल स्तर बेहद नीचे है.
इसके मद्देनज़र, हालात की बेहतर ढंग से निगरानी करने, डेटा को साझा किए जाने, सीमा-पार सहयोग को बढ़ाने और समीक्षा जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
समय पूर्व चेतावनी
जल-सम्बन्धी चुनौतियों से निपटने के इरादे से, दुनिया में हर किसी को समय पूर्व चेतावनी प्रणाली के दायरे में लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहल शुरू की है, और यह रिपोर्ट उसी को आगे बढ़ाती है.
इस वैश्विक प्रयास के ज़रिए डेटा गुणवत्ता में बेहतरी लाने, जल-सम्बन्धी जोखिमों की निगरानी करने, पूर्वानुमान लगाने के प्रयास किए जाएंगे. 2027 तक सर्वजन को इन प्रणालियों के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है.
यूएन एजेंसी ने जल-सम्बन्धी चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल क़दम उठाने, वैश्विक जल संसाधनों को बेहतर ढंग से समझने और उनका उचित प्रबन्धन करने का आग्रह किया है.