विश्व

जलवायु परिवर्तन से लड़ाई और ज़िन्दगियों की रक्षा के लिए, स्वच्छ वायु में निवेश पर बल

जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ, वायु प्रदूषण को सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ा ख़तरा माना गया है.

यूएन महासभा ने वर्ष 2019 में एक प्रस्ताव पारित करके, वायु प्रदूषकों के ख़तरों के प्रति आगाह और आम लोगों के जीवन में स्वच्छ वायु की अहमियत को रेखांकित करते हुए, हर वर्ष 7 दिसम्बर को यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी.

इस वर्ष की थीम स्वच्छ वायु में तुरन्त निवेश करने पर केन्द्रित है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सचेत किया कि प्रदूषण एक ख़ामोश हत्यारा है, जिसे रोका जा सकता है, और इसके लिए दुनिया को अभी निवेश करना होगा, ताकि हम सभी चैन से साँस ले सकें.

स्वच्छ वायु में निवेश

महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि 99 फ़ीसदी मानवता, प्रदूषित हवा में साँस लेने के लिए विवश है, जिससे हर साल लाखों असामयिक मौतें होती हैं.

“प्रदूषण अर्थव्यवस्थाओं का दम घोंट रहा है, हमारी पृथ्वी को तपा रहा है और जलवायु संकट की आग में ईंधन झोंक रहा है. इसका ग़ैर-आनुपातिक असर, समाज में सर्वाधिक निर्बलों पर होता है, जिनमें महिलाएँ, बच्चे और वृद्धजन हैं.”

उन्होंने कहा कि स्वच्छ वायु में निवेश के लिए देशों की सरकारों, व्यवसायों, विकास संगठनों समेत अन्य हितधारकों को क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर क़दम उठाने होंगे.

इस क्रम में, यूएन प्रमुख ने जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी लाने, खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने और वायु गुणवत्ता की निगरानी बढ़ाने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि स्वच्छ वायु में निवेश से ज़िन्दगियों को बचाना, जलवायु परिवर्तन से लड़ना, अर्थव्यवस्थाओं को मज़बूती प्रदान करने, न्यायोचित समाजों का निर्माण करना और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ना सम्भव होगा.

वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन

हाल ही में, यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी ने अपने एक आकलन में, वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन के बीच सम्बन्ध की पड़ताल करते हुए आगाह किया था कि अनियंत्रित जलवायु परिवर्तन, जंगलों में आग लगने की घटनाओं, और वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्रों और कृषि पर नकारात्मक असर बढ़ता जा रहा है.

यूएन एजेंसी के अनुसार, पृथ्वी पर लगभग हर कोई, यानि क़रीब हर 10 में से 9 व्यक्ति ऐसी वायु में साँस ले रहे हैं, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है.

प्रदूषित वायु का मौजूदा स्तर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से अधिक है और उसमें प्रदूषक तत्वों का ऊँचा स्तर है. निम्न- और मध्य-आय वाले देश सर्वाधिक प्रभावितों में हैं.

इस बुलेटिन के अनुसार, उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध में वर्ष 2023 में बड़े पैमाने पर जंगलों में आग लगने की घटनाएँ हुई हैं, जिनमें जान-माल की हानि हुई. विशेष रूप से कैनेडा में आग की चपेट में आए इलाक़े ने पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड बनाया है.

जंगलों में आग लगने की घटनाओं से पूर्वी कैनेडा और पूर्वोत्तर अमेरिका में वायु गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ा.

इसके मद्देनज़र, विश्व मौसम विज्ञान संगठन की उपमहासचिव को बैरेट ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन और वायु गुणवत्ता से एक साथ निपटा जाना होगा.

जलवायु कार्रवाई का हिस्सा

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने वायु प्रदूषण को मौजूदा दौर का सबसे बड़ा पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिम क़रार दिया है, जिससे जलवायु परिवर्तन की स्थिति बिगड़ती है, कृषि उत्पादकता कम होती है और आर्थिक क्षति पहुँचती है.

यूनेप की कार्यकारी निदेशक ने कहा कि पृथ्वी पर हर एक व्यक्ति के पास स्वच्छ वायु में साँस लेने का अधिकार है, इसके बावजूद क़रीब हर किसी के इस अधिकार का हनन हो रहा है.

उन्होंने स्वच्छ वायु में निवेश करने, नवीकरणीय ऊर्जा व सतत परिवहन को बढ़ावा देने, उत्सर्जन मानकों का कड़ाई से पालन करने और वायु गुणवत्ता को जलवायु कार्रवाई का हिस्सा बनाए जाने की अपील की है.

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