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जलवायु अनुकूलन प्रयासों में तेज़ी लाने, वित्तीय संसाधन मुहैया कराने पर बल

जलवायु अनुकूलन प्रयासों में तेज़ी लाने, वित्तीय संसाधन मुहैया कराने पर बल

अज़रबैजान की राजधानी बाकू में यूएन का वार्षिक जलवायु सम्मेलन अगले सप्ताह आरम्भ हो रहा है, जिससे ठीक पहले यूएन पर्यावरण कार्यक्रम ने जलवायु अनुकूलन के विषय पर अपनी नई रिपोर्ट जारी की है.

Adaptation Gap Report 2024: Come Hell and High Water’ नामक इस रिपोर्ट में, यूएन एजेंसी ने चेतावनी दी है कि निर्बल समुदाय, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, चरम मौसम घटनाओं, बाढ़, तूफ़ान जैसी आपदाओं का सामना कर रहे हैं.

यूएन विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो वैश्विक तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाने की आशंका है और यह इस सदी के अन्त तक पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में 2.6-3.1°C तक पहुँच सकती है.

UNEP की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने कहा, “जलवायु परिवर्तन पहले से ही विश्व भर में समुदायों को तहस-नहस कर रहा है, विशेष रूप से सर्वाधिक निर्धनों व निर्बलों को.”

“उफ़नते तूफ़ानों से घर ध्वस्त हो रहे हैं, जंगलों में आग लगने से वन बर्बाद हो रहे हैं, भूमि क्षरण हो रहा है और सूखे के कारण भूदृश्य को नुक़सान पहुँच रहा है.”

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से लोगों की आजीविकाओं के साथ-साथ प्रकृति की रक्षा की जानी होगी, जिन पर वे निर्भर हैं.

“कार्रवाई के अभाव में यह एक झांकी है कि हमारे भविष्य में क्या छिपा है. दुनिया के पास अब अनुकूलन के लिए गम्भीर ना होने के लिए कोई बहाना नहीं बचा है.”

इन चुनौतियों की पृष्ठभूमि में, जलवायु अनुकूलन प्रयासों का दायरा व स्तर बढ़ाने पर बल दिया गया है ताकि जलवायु प्रभावनों से निपटा जा सके. मगर, अनुकूलन प्रयासों के लिए आवश्यक धनराशि व मौजूदा रक़म की उपलब्धता में गहरी खाई है और इसलिए वित्तीय संसाधनों की कमी को भरने की ज़रूरत है.

अनुकूलन प्रयास अहम

बाकू में 11 नवम्बर से शुरू हो रहे कॉप29 जलवायु सम्मेलन में दुनिया के हर कोने से प्रतिनिधि, यूएन अधिकारी, नागरिक समाज व अन्य क्षेत्रों के हितधारक प्रगति का आकलन करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के सर्वोत्तम प्रयासों पर चर्चा करेंगे.  

अनुकूलन प्रयासों के लिए यह अहम है कि बाढ़, तूफ़ान के ख़तरों से बचाव के लिए समुद्री दीवारों (seawalls) व बुनियादी ढाँचों को खड़ा किया जाए, समय पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश हो, और भूमि के इस्तेमाल में बदलाव समेत अन्य क़दम उठाए जाएं.

वर्ष 2022 में विकासशील देशों के लिए अन्तरराष्ट्रीय अनुकूलन धनराशि 28 अरब डॉलर तक पहुंच गई थी, मगर यह ज़रूरी स्तर से अब भी बेहद कम है. इस खाई को भरने के लिए एक अनुमान के अनुसार, हर साल 187 अरब डॉलर से लेकर 359 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी. 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने कहा कि कॉप29 वार्ता के दौरान जलवायु वित्त पोषण के लिए एक सामूहिक लक्ष्य निर्धारित किया जाना होगा. साथ ही ब्राज़ील में 2025 में होने वाले जलवायु सम्मेलन कॉप30 में अनुकूलन के लिए जलवायु संकल्प लिया जाना होगा.

नवाचारी समाधानों को समर्थन

रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु वित्त पोषण को मज़बूती देने में बहुपक्षीय विकास बैन्कों की अहम भूमिका है, और इसमें नए समाधान ढूंढे जाने होंगे.

निजी सैक्टर के लिए, UNEP ने जोखिमों में कमी लाने वाली व्यवस्थाओं पर बल दिया है ताकि अनुकूलन के लिए ज़्यादा निवेश आकर्षित किया जा सके.

विशेषज्ञों का मानना है कि वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता ही पर्याप्त नहीं है. इस क्रम में, देशों से आग्रह किया गया है कि क्षमता विकास और टैक्नॉलॉजी के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना होगा ताकि जल, खाद्य व कृषि क्षेत्र में अनुकूलन प्रयासों को बढ़ावा मिले.

यूएन एजेंसी का कहना है कि अनुकूलन के लिए धनराशि मुहैया कराए जाने की प्रक्रिया में बदलाव लाना होगा, और इसे कम अवधि वाली, परियोजना-आधारित पहल से हटाकर रणनैतिक, पूर्व अनुमान के साथ निवेश के दायरे में लाना होगा.

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