राजनीति

छत्तीसगढ़ में किसी भी समय हो सकता है मुख्यमंत्री पद का ऐलान, पर्यवेक्षकों की बैठक जारी

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अब मुख्यमंत्री पद को लेकर का घमासान जारी है। छत्तीसगढ़ में किसी भी समय नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो सकती है। पर्यवेक्षकों की बैठक में विधायकों के साथ मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा हो रही है। विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम पर एक फैसला होने के बाद दिल्ली से भी मुहर लगवाई जाएगी। विधायक दल की बैठक में केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, दुष्यंत कुमार गौतम और अर्जुन मुंडा भी मौजूद है। इनके अलावा छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर भी इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं।

बता दें कि इस अहम बैठक में भाजपा के नवनिर्वाचित 54 विधायक हिस्सा ले रहे है, जो जल्द ही विधायक दल का नेता चुनेंगे। इस बैठक के बाद राज्य के अगले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो जाएगी। बता दें कि इस बार आयोजित हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने किसी भी राज्य में चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी। इस कारण मुख्यमंत्री पद को लेकर अनिश्चिंताओं का दौर जारी है। मगर बैठक के बाद सभी अटकलों का दौर खत्म होगा और ये सामने होगा की मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी और राज्य की कामन किसके हाथ में होगी।

पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अरुण साव ने शनिवार को कहा कि पार्टी विधायक दल की बैठक का आयोजन रविवार को होना है। पार्टी के तीन पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और सर्बानंद सोनोवाल तथा पार्टी महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम बैठक विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और राज्य के लिए पार्टी के सह-प्रभारी नितिन नबीन भी वहां मौजूद रहेंगे। माथुर शनिवार शाम को रायपुर में स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा पहुंचे। भाजपा विधायकों की बैठक के बारे में पूछे जाने पर माथुर ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी के पर्यवेक्षक आ रहे हैं और हम उनके (रविवार की बैठक में) निर्णय का इंतजार कर रहे हैं।’’ एक प्रश्न के उत्तर में माथुर ने कहा कि मुख्यमंत्री चुनने का कोई ‘‘फॉर्मूला’’ नहीं है। 

इन नेताओं को चुना जा सकता है

अनुमान है कि अगर भाजपा 2003 से 2018 तक तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह को नहीं चुनती है तो वह किसी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) या आदिवासी समुदाय से मुख्यमंत्री को चुनेगी। आदिवासी समुदाय से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय, विधायक चुने जाने के बाद केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाली रेणुका सिंह, राज्य के पूर्व मंत्री रामविचार नेताम और लता उसेंडी तथा विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा देने वाली गोमती साय दावेदारों में शामिल हैं। राज्य की आबादी में आदिवासी समुदाय की हिस्सेदारी 32 फीसदी है और भाजपा ने इस बार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 29 सीट में से 17 सीट जीती हैं। भाजपा ने 2018 में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट में केवल तीन सीट जीती थीं। उसने इस बार आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग में सभी 14 सीट पर जीत हासिल की है। कांग्रेस ने 2018 में संभाग की सभी 14 सीट जीती थीं। विष्णुदेव साय, रेणुका सिंह, रामविचार नेताम और गोमती साय इसी संभाग से हैं। विधायक चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे चुके साव और नौकरशाह से नेता बने ओ पी चौधरी दोनों अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं तथा मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। साव प्रभावशाली साहू (तेली) समुदाय से आते हैं जिनकी दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर संभागों में बड़ी उपस्थिति है। राज्य की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है।

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