उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण साझेदारी को अपना समर्थन प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संगठन प्रतिबद्ध है. इस शिखर बैठक में 50 से अधिक अफ़्रीकी देशों के नेताओं के शिरकत करने की सम्भावना है, जोकि वर्ष 2000 के बाद से हर तीन वर्ष में आयोजित की जाती है.
महासचिव गुटेरेश ने बताया कि यह बैठक चीन में ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया में भूराजनैतिक तनाव उभार पर हैं, हिंसक टकराव गहरा रहे हैं और भूख व निर्धनता संकट बढ़ता जा रहा है.
उन्होंने यूक्रेन, ग़ाज़ा, सूडान समेत अन्य हिंसक टकरावों, बदतरीन रूप धारण करते जलवायु संकट, गहराती विषमताओं समेत अन्य चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनसे विश्व और अफ़्रीकी देशों में टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयासों को झटका लगा है.
बहुत से अफ़्रीकी देश कर्ज़ में डूबे हुए हैं और उनके लिए टिकाऊ विकास में निवेश कर पाना बेहद चुनौतीपूर्ण है.
पुरातन व्यवस्थाओं में सुधार पर बल
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने पुराने, बेअसर और अन्यायपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय ताने-बाने में सुधार लाने पर बल दिया. इसके समानान्तर, विकासशील देशों को एक आर्थिक स्फूर्ति पैकेज प्रदान करना अहम होगा, ताकि 2030 एजेंडा को साकार किया जा सके.
इन उपायों में, बहुपक्षीय विकास बैन्कों की कर्ज़ देने की क्षमता में वृद्धि करना और विकास के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने की क्षमता को मज़बूत बनाना है.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि इन पहल को आगे बढ़ाने के लिए चीन और अफ़्रीकी देशों का समर्थन महत्वपूर्ण है.
साझा लक्ष्यों पर प्रगति
उनके अनुसार, क्षमताओं का निर्माण करने और साझा विकास लक्ष्यों पर प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग आवश्यक है. मगर, इसका अर्थ यह नहीं है कि वैश्विक उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित अपेक्षाकृत धनी देशों की ज़िम्मेदारी कम हो जाती है.
दक्षिण-दक्षिण सहयोग से तात्पर्य, वैश्विक दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित देशों के बीच टैक्नॉलॉजी और कौशल का आदान प्रदान को प्रोत्साहन देना है. महासचिव ने कहा कि चीन और अफ़्रीका महाद्वीप के बीच साझेदारी इस सहयोग का एक अहम स्तम्भ है.
“विकास में चीन का असाधारण रिकॉर्ड, जिसमें निर्धनता उन्मूलन भी है, अनुभव और विशेषज्ञता का भंडार है.”
“चीन और अफ़्रीका की साझेदारी, नवीकरणीय ऊर्जा क्रान्ति को आगे ले जा सकती है. यह खाद्य प्रणालियों और डिजिटल कनेक्टिविटी में प्रमुख बदलावों के लिए उत्प्रेरक हो सकती है.”
महासचिव ने ध्यान दिलाया कि अफ़्रीका महाद्वीप पर, विश्व की गतिशील अर्थव्यवस्थाएँ मौजूद हैं और चीन के समर्थन से, व्यापार से लेकर डेटा प्रबन्धन, वित्त पोषण और टैक्नॉलॉजी समेत अन्य क्षेत्रों में लाभ उठाया जा सकता है.
मौजूदा चुनौतियाँ
यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में ऐतिहासिक अन्यायपूर्ण निर्णयों को सुधारने पर भी बल दिया. उदाहरणस्वरूप, उन्होंने कहा कि यह क्षोभपूर्ण है कि अफ़्रीकी महाद्वीप को यूएन सुरक्षा परिषद में कोई स्थाई सीट उपलब्ध नहीं है.
इस क्रम में, उन्होंने यूएन मुख्यालय में सितम्बर में आयोजित होने वाली भविष्य की शिखर बैठक का उल्लेख किया, जोकि एकजुटता व न्याय की आधारशिला पर नवीनीकरण और सुधार का एक अहम अवसर हो सकता है.
महासचिव गुटेरेश ने वैश्विक सुरक्षा के लिए पनपते ख़तरों की रोकथाम और उनसे निपटने के लिए साझा प्रयासों पर बल दिया. उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ ग्रह पर शान्ति, टिकाऊ विकास व मानवाधिकारों के साझा लक्ष्यों को पाने पर केन्द्रित चीन-अफ़्रीका साझेदारी के लिए संयुक्त राष्ट्र सदैव तत्पर है.