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ग़ाज़ा: 18 लाख से अधिक फ़लस्तीनी, चरम स्तर पर भूख का शिकार

ग़ाज़ा: 18 लाख से अधिक फ़लस्तीनी, चरम स्तर पर भूख का शिकार

खाद्य अभाव पर नज़र रखने के लिए एकीकृत सुरक्षा चरण वर्गीकरण (Integrated Security Phase Classification / IPC) नामक पैमाने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें खाद्य असुरक्षा को पाँच चरणों में विभाजित किया गया है.

ग़ाज़ा से प्राप्त आँकड़े दर्शाते हैं कि एक लाख 33 हज़ार लोग, यानि ग़ाज़ा की आबादी का 6 फ़ीसदी हिस्सा, पहले से ही ‘चरण 5’ की खाद्य असुरक्षा से जूझ रहा है. खाद्य असुरक्षा का यह स्तर भोजन के चरम अभाव को दर्शाता है, जिससे प्रभावित आबादी के कुपोषण का शिकार और मौत होने का जोखिम बढ़ जाता है.

विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यह संख्या नवम्बर 2024 से अगले वर्ष अप्रैल महीने तक बढ़कर तीन लाख 45 हज़ार तक पहुँच सकती है, जोकि कुल आबादी का 16 फ़ीसदी होगी.

आकलन में कहा गया है कि अकाल का जोखिम, पूरी ग़ाज़ा पट्टी में बरक़रार है. हाल के दिनों में टकराव में तेज़ी आने के कारण, ये चिन्ता बढ़ रही है कि यहाँ बदतरीन स्थिति उभर सकती है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ग़ाज़ा में विशाल विस्थापन और मानवीय सहायता पर थोपी गई पाबन्दियों के बीच, IPC रिपोर्ट के निष्कर्षों पर गहरी चिन्ता जताई है.

उनके प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने गुरूवार को यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि हिंसक टकराव का एक वर्ष बीत चुका है, और अकाल मंडरा रहा है. यह असहनीय है.

यूएन प्रमुख ने इसराइल से तुरन्त सभी सीमा चौकियों को खोलने की अपील की है. उनके अनुसार, लालफ़ीताशाही सम्बन्धी अड़चनों को भी दूर किया जाना होगा और वहाँ क़ानून व्यवस्था बहाल की जानी होगी ताकि यूएन एजेंसियाँ ज़रूरतमन्द आबादी तक मानवीय सहायता पहुँचा सके.

अहम सिफ़ारिशें

IPC आकलन में ज़ोर देकर कहा गया है कि ग़ाज़ा पट्टी में पर्याप्त मात्रा में भोजन, चिकित्सा आपूर्ति, जल व बुनियादी सेवाओं के ज़रिये ही अकाल के ख़तरे को थामा जा सकता है.

इसके मद्देनज़र, ग़ाज़ा में तुरन्त, बिना किसी शर्त के युद्धविराम लागू किया जाना होगा, खाद्य व्यवस्था को बहाल करना होगा, और बढ़ते कुपोषण मामलों की रोकथाम की जानी होगी.

विशेषज्ञों का मानना है कि नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए सेहतमन्द आहार कार्यक्रम को मज़बूती देने की आवश्यकता है, जिसके तहत स्तनपान को भी बढ़ावा देना होगा.

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियाँ, मौजूदा चुनौतियों के बावजूद सभी ग़ाज़ावासियों तक सहायता पहुँचाने में जुटी हैं. इन प्रयासों में उन्हें असुरक्षा, ज़रूरतमन्द आबादी तक पहुँचने में पेश आने वाली मुश्किलों, बेदख़ली आदेश व लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है.

स्थानीय आबादी की सहायता

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने स्थानीय खाद्य उत्पादन को फिर से बहाल करने के लिए प्रयास किए हैं. साथ ही, सर्दी के मौसम से पहले पोषक आहार की उपलब्धता पर बल दिया जा रहा है. युद्ध से पहले भी, ग़ाज़ा में ठंड के मौसम में अक्सर भूख व कुपोषण मामलों में उछाल देखा गया है.

यूएन एजेंसी का मानना है कि केवल मानवीय सहायता पर्याप्त नहीं है, और स्थानीय आबादी के लिए ताज़ा, पोषक भोजन की व्यवस्था की जानी अहम होगी. इसके तहत, फ़लस्तीनी किसानों को समर्थन दिया जाएगा ताकि वे खाद्य उत्पादन को फिर से शुरू कर सकें.

FAO ने बड़ी संख्या में मवेशियो के मारे जाने पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की है, जोकि ग़ाज़ा में स्थानीय आबादी के लिए आजीविका व गुज़र-बसर का स्रोत थे.

यूएन एजेंसी ने 30 हज़ार से अधिक भेड़-बकरियों की सुरक्षा के लिए एक कार्यक्रम स्थापित किया है और रफ़ाह, ख़ान यूनिस व डेयर अल बालाह में परिवारों को मवेशियों के लिए चारा व अन्य सामग्री मुहैया कराई गया है. 

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