मानवीय व्यवस्था बिखराव के निकट: वैनेसलैंड
मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टोर वैनेसलैंड ने इस बैठक को सम्बोधित करते हुए ध्यान आकर्षित किया कि ग़ाज़ा में इसराइल और हमास के बीच युद्ध जैसे-जैसे लम्बा खिंच रहा है, उससे नज़र आता है कि “वर्ष 2023 इस टकराव के इतिहास में सबसे घातक वर्षों में से एक के रूप में समाप्त होगा, जिसमें लगभग सभी मोर्चों पर स्थिति बिगड़ रही है.”
उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी में गम्भीर मानवीय स्थिति की ओर भी ध्यान आकर्षित किया.
टोर वैनेसलैंड ने कहा, “ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता की आपूर्ति, लगभग दुर्गम चुनौतियों का सामना कर रही है. अकल्पनीय पैमाने पर विस्थापन और सक्रिय युद्ध के बीच, मानवीय सहायता प्रणाली अपनी क्षमता समाप्त होन के निकट है.
टोर वैनेसलैंड ने इसराइल द्वारा क़ाबिज़ पूर्वी येरूशेलम और पश्चिमी तट में बढ़ते तनाव पर “गहरी चिन्ता” व्यक्त की.
उन्होंने साथ ही कहा कि फ़लस्तीनियों और इसराइली सुरक्षा बलों के बीच “सशस्त्र झड़पों में तेज़ी होने” के कारण, बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए है और बहुत से लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है. यह स्थित विशेष रूप में, इसराइली अभियानों के सन्दर्भ में उत्पन्न हुई है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “मैं दोहराता हुए कहता हूँ सुरक्षा बलों को अधिकतम संयम बरतना होगा, और घातक विकल्प का प्रयोग केवल तभी करना चाहिए जब जीवन की रक्षा के लिए यह सख़्ती से अपरिहार्य हो.”
उन्होंने फ़लस्तीन बस्तियों में बसने वाले इसराइली निवासियों द्वारा फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ और फ़लस्तीनियों द्वारा पश्चिमी तट क्षेत्र में और इजरायल में लोगों के ख़िलाफ़ किए गए घातक हमलों पर भी चिन्ता व्यक्त की.
उन्होंने कहा, “हिंसा के सभी अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और तुरन्त न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.”
संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक ने कहा कि वह अधिकारियों द्वारा हिंसा का महिमामंडन करने और आम लोगों की मौत को प्रोत्साहित करने की कई घटनाओं पर स्तब्ध हैं.
“इस तरह की बयानबाज़ी घृणित है और इसे सभी पक्षों के नेताओं द्वारा स्पष्ट रूप से ख़ारिज किया जाना चाहिए. नेताओं का दायित्व है कि वे नागरिकों के खिलाफ आतंक और हिंसा के कृत्यों की स्पष्ट रूप से निन्दा करें.”
यथास्थिति जारी नहीं रह सकती: संयुक्त अरब अमीरात
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राजदूत और उप स्थाई प्रतिनिधि मोहम्मद ईस्सा अबूशहाब ने, अपना सम्बोधन इन शब्दों के साथ शुरू किया कि, जैसे-जैसे वर्ष 2023 का अन्त करीब आ रहा है, यह साल पहले ही, इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र के इतिहास में सबसे घातक वर्ष रहा है.
उन्होंने कहा, “यह एक चेतावनी होनी चाहिए कि मौजूदा यथास्थिति को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और इसकी शुरुआत ग़ाज़ा की मौजूदा स्थिति से होती है.”
उन्होंने पिछले सप्ताह, सुरक्षा परिषद के अनेक सदस्य देशों के राजदूतों की रफ़ाह सीमा चौकी की यात्रा को याद करते हुए कहा कि उन्होंने “मानवीय सहायता प्रणाली को टूटने के बिन्दु पर पहुँचे हुए देखा.”
उन्होंने कहा, “उन्होंने दुनिया भर के लोगों और सरकारों की सहायता से भरे, हज़ारों ट्रक और गोदाम देखे, जो ग़ाज़ा के लोगों के साथ उनकी एकजुटता की भौतिक अभिव्यक्ति थी.”
उन्होंने कहा, “इस बीच, सीमा पर, 22 लाख लोग फँसे हुए हैं, जिनमें से हर दस में से नौ लोग, पूरा दिन बिना भोजन के बिता रहे हैं. ग़ाज़ावासी अभूतपूर्व स्तर की भूख और प्यास का सामना कर रहे हैं.”
“डॉक्टरों के पास घायलों के इलाज के लिए सबसे बुनियादी चिकित्सा सामग्री की भी कमी है और संक्रमण का ख़तरा बढ़ रहा है – हमें पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.”
उन्होंने केरेम शलॉम में सीमा चौकी खोले जाने का ज़िक्र करते हुए कहा, “इसराइल को ग़ाज़ा के लिए सहायता आपूर्ति पर लगी पाबन्दी को हटाना चाहिए, और ग़ाज़ा पट्टी में जीवन रक्षक सहायता सामग्री दाख़िल होने की अनुमति देनी चाहिए.”
हमास के हमलों की निन्दा हो: अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के राजदूत और उप स्थाई प्रतिनिधि रॉबर्ट वुड ने इस बैठक में कहा कि 7 अक्टूबर के हमास के हमलों की “निन्दा की जानी चाहिए” और इस चरमपंथी समूह को भविष्य में ग़ाजा पर नियंत्रण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि इसराइल को भी अपने लोगों की रक्षा करने की अनुमति दी जानी चाहिए और अन्तरराष्ट्रीय नौवहन के ख़िलाफ़, यमन के तट पर हूथी विद्रोही समूह के हमलों का मुक़ाबला किया जाना चाहिए.
उन्होंने सुरक्षा परिषद से कहा कि सभी को दो-देश समाधान की दिशा में काम करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि घृणित बयानबाज़ी के मामलों में वृद्धि हुई है “और हमें इस ख़तरनाक अमानवीयकरण को रोकने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए”.
रॉबर्ट वुड ने कहा कि ग़ाज़ा युद्ध के दौरान अग्रिम पंक्ति के पत्रकारों का हताहत होना अस्वीकार्य है: “इस क्षण में उनकी सुरक्षा के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए”.
ब्रिटेन का, प्रतिबन्ध लगाने का संकल्प:
ब्रिटेन के उप स्थाई प्रतिनिधि जेम्स करियुकी ने कहा कि “एक मानवीय आपदा और भी विकट हो रही है” और निर्दोष फ़िलस्तीनियों की तीव्र पीड़ा कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस बीच, ग़ाज़ा के अन्दर 130 से अधिक लोगों को अब भी बन्धकों बनाकर रखा हुआ है और इसराइल अब भी हमास के आतंकवादी हमलों की “क्रूर भयावहता” को झेल रहा है.
उन्होंने कहा, “एक ऐसा स्थाई युद्धविराम होना चाहिए जो हिंसा के चक्र को तोड़ दे. हमास को इसराइल में रॉकेट दागना बन्द करना होगा, सभी बन्धकों को रिहा करना होगा और ग़ाज़ा में सहायता पहुँचाई जानी होगी.”
ब्रितानी राजदूत ने कहा कि यह “दो-देश समाधान पर आधारित स्थाई शान्ति हासिल करने का एकमात्र तरीक़ा है, जिसमें इसराइल और फ़लस्तीनी लोग, शान्ति व सुरक्षा के साथ रह सकते हैं.”
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन तीन क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है: “पहला, बहुत सारे नागरिक मारे गए हैं. इसराइल को, हमास द्वारा उत्पन्न ख़तरे से निपटने के लिए, अपने प्रयासों में लक्षित और सटीक होना चाहिए.
दूसरा, “हमें यथासम्भव प्रत्यक्ष मार्गों के माध्यम से, ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की मात्रा बढ़ाने पर काम करना जारी रखना होगा.”
तीसरा, उन्होंने कहा, पश्चिमी तट में, फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के जवाब में “हम उन इसराइली बाशिन्दों के, ब्रिटेन में बसने पर पाबन्दियाँ लगा रहे हैं, जो इस हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारा देश ऐसे लोगों के लिए घर नहीं बन सकता है, जो डराने-धमकाने वाले ऐसे कृत्यों को अंजाम देते हैं.”
उन्होंने कहा कि इसराइल को, फ़लस्तीनी इलाक़ों में अपने बाशिन्दों को जवाबदेह ठहराने के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे.
जेम्स करियुकी ने कहा, “हम इसराइल से पूर्वी येरूशेलम और उसके निचले इलाक़े सहित, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में, यहूदी बस्तियाँ बसाए जाने सम्बन्धी तमाम गतिविधियों को तुरन्त और पूरी तरह से रोकने के लिए अपना आहवान दोहराते हैं.”
चीन: केवल युद्धविराम ही आगे की आपदा को रोकेगा
चीन के राजदूत और स्थाई प्रतिनिधि झांग जून ने कहा कि ग़ाज़ा में आम लोगों को पानी, बिजली और जीवित रहने के लिए ज़रूरी अन्य बुनियादी चीज़ों तक पहुँच नहीं है, जबकि सहायता सामग्री से भरे ट्रक, मिस्र में इंतजार कर रहे हैं.
“इससे भी अधिक चिन्ता की बात यह है कि इसराइल की अन्धाधुन्ध बमबारी के कारण, पूरा सहायता नैटवर्क “ठप होने के कगार पर” है.
उन्होंने कहा कि इस आधार पर संयुक्त अरब अमिरात के मसौदा प्रस्ताव को, सुरक्षा परिषद के अधिकांश सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, और किसी भी देश को प्रस्ताव का समर्थन करने में संकोच नहीं करना चाहिए.
चीन के राजदूत ने कहा, “हम एक रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाए जाने का आग्रह करते हैं. यह ग़ाज़ा में संकट से निपटने के लिए, एक “आपातकालीन पहल” थी.
और सुरक्षा परिषद को पश्चिमी तट में हिंसा जारी रहने और वहाँ लगी पाबन्दियों के मद्देनज़र, उस पर अपनी भूमिका निभानी चाहिए और निष्पक्षता व न्याय को क़ायम रखना चाहिए
उन्होंने कहा, “केवल युद्धविराम ही बन्धकों की रिहाई सहित, बड़ी संख्या में आम लोगों को हताहत होने से रोक सकता है” या क्षेत्रीय संघर्ष को नियंत्रण से बाहर होने से रोक सकता है.
उन्होंने कहा, और केवल युद्धविराम ही “राजनैतिक समाधान की सम्भावनाओं को पूरी तरह ख़त्म होने से रोक सकता है”.
रूस: ग़ाज़ा में हताहतों और विस्थापितों की भारी संख्या
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत और स्थाई प्रतिनिधि वैसिली नेबेंज़िया ने कहा कि ग़ाज़ा में अब तक 19 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएँ और बच्चे हैं, जबकि 20 लाख से अधिक ग़ाज़ावासी, आन्तरिक रूप से विस्थापित हो गए हैं.
उन्होंने कहा, “अन्धाधुन्ध इसराइली युद्धक कार्रवाइयों के पीड़ितों में इसराइली बन्धक भी हैं.”
उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी एन्क्लेव की पूर्ण नाकाबन्दी, ख़राब इंटरनेट पहुँच के साथ, संचार बाधित होने और मानवीय सहायता पर कठोर प्रतिबन्धों का भी ज़िक्र किया.
रूसी राजदूत ने कहा, “ग़ाज़ा पट्टी में पानी, ईंधन, दवाओं की भारी कमी है – और नागरिक व्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर है.”
उन्होंने कहा कि अनेक यूएन और मानवीय सहायता कर्मी मारे गए हैं और बहुत सी सुविधाएँ ध्वस्त हो गई हैं.
वैसिली नेबेंज़िया ने कहा कि मीडिया ख़बरों के अनुसार, इसराइल ने ग़ाज़ा में लगभग 29 हज़ार बम गिराए हैं, जो वर्ष 2003 में, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा, इराक़ में अपने पूरे सैन्य अभियान के दौरान गिराए गए बमों की संख्या के बराबर हैं.
राजदूत नेबेंज़िया ने पश्चिमी तट में भी हत्याओं सहित हिंसा की ख़बरों का ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, “इस सन्दर्भ में, हम इस तथ्य को रेखांकित करना चाहेंगे कि पश्चिमी तट को आबादी से मुक्त करने की कार्रवाई कुछ ऐसी है जो इसराइल लम्बे समय से कर रहा है, यहाँ तक कि 7 अक्टूबर के हमलों से पहले भी, जब आतंकवादी ख़तरों या सुरक्षा मुद्दों से कोई सम्बन्ध नहीं था.”
‘निष्क्रियता कोई समाधान नहीं है’: फ्रांस
फ़्रांस की उप स्थाई प्रतिनिधि, नथाली एस्टिवल-ब्रॉडहर्स्ट ने कहा कि उनका देश इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्रों के इसराइल द्वारा “अवैध क़ब्जे को कभी मान्यता नहीं देगा”, ना ही पश्चिमी तट में इसराइली उद्दंड बस्तियों के वैधीकरण को.
उन्होंने हाल ही में इसराइली सरकार द्वारा, फ़लस्तीनी इलाक़ों में नई यहूदी बस्ती के निर्माण और फ़लस्तीनी परिवारों को बेदख़ल किए जाने की घोषणा की कड़ी निन्दा की.
उन्होंने कहा, ऐसे फ़ैसले दो-देश समाधान की सम्भावना को ख़तरे में डालते हैं. पश्चिमी तट में “पूर्ण दंडमुक्ति” का माहौल, हिंसा में वृद्धि का कारण बन रहा है.
उन्होंने दोहराया, “हम उन दुर्व्यवहारों को स्वीकार नहीं कर सकते जो फ़लस्तीनियों को उनके अधिकारों और उनकी ज़मीन से वंचित करते हैं… हमें दो-देश समाधान को लागू करने के लिए, राजनैतिक क्षितिज की सम्भावनाओं को तत्काल बहाल करना होगा.”
फ़्रांसीसी राजदूत ने ज़ोर देते हुए कहा कि उनका देश इसराइल के लोगों के साथ मज़बूती से खड़ा है, और 7 अक्टूबर के हमलों में, हमास द्वारा की गई क्रूर लैंगिक हिंसा की निन्दा करता है.
उन्होंने कहा कि हमास द्वारा अब भी बन्धक बनाकर रखे गए लोगों की रिहाई और ग़ाज़ा की आबादी को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए, “हम एक नए तत्काल, स्थाई मानवीय युद्धविराम का आहवान करते हैं, जिससे एक स्थाई युद्धविराम का रास्ता निकले.”
उन्होंने कहा कि राजनैतिक प्रक्रिया की बहाली अत्यावश्यक है.
“हमें फ़लस्तीनियों के लिए एक देश स्थापित करने की दिशा में गम्भीरता से काम करना होगा. और इस प्रक्रिया में, पश्चिमी तट की ही तरह, ग़ाज़ा में भी, फ़लस्तीनी प्राधिकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है.
उन्होंने कहा कि “जड़ता (निष्क्रियता) कोई समाधान नहीं है.”