15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद में इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 सदस्य देशों ने मतदान किया, ब्रिटेन ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, मगर अमेरिका द्वारा अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल किए जाने के बाद यह प्रस्ताव पारित होने में विफल रहा.
सुरक्षा परिषद में किसी मसौदा प्रस्ताव को पारित होने के लिए 9 मतों की आवश्यकता होती है और इसके ख़िलाफ़ कोई भी वीटो मत नहीं पड़ना चाहिए.
युद्धविराम शब्द पर प्रकट मतभेद नज़र आए हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका, पहले भी, संयुक्त अरब अमीरात द्वारा पेश किए गए इसी तरह के प्रस्ताव को वीटो कर चुका है.
ग़ौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में पाँच सदस्यों को वीटो का अधिकार हासिल है – चीन, फ़्राँस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका.
अल्जीरिया का प्रस्ताव
अल्जीरिया द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव में, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करते हुए, फ़लस्तीनी आबादी के जबरन विस्थापन को रोकने की पुकार लगाई गई है. साथ ही इस तरह के उल्लंघन को तत्काल रोके जाने और तमाम बन्धकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का भी आहवान किया गया.
इस प्रस्ताव में, पूरे ग़ाज़ा पट्टी इलाक़े में, मानवीय सहायता की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने का भी आहवान किया गया.
ग़ाज़ा संकट पर, सुरक्षा परिषद की एक दर्जन से भी अधिक बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें जनवरी में हुई एक बैठक भी शामिल है. उसमें 70 से अधिक सदस्य देशों ने, ग़ाज़ा में जारी अति गम्भीर मानवीय आपदा पर बहुत गम्भीर चिन्ताएँ व्यक्त की थीं.
अनेक सदस्य देशों ने, सुरक्षा परिषद से, ग़ाज़ा युद्ध को समाप्त करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आहवान किया था.
यह युद्ध, 7 अक्टूबर को, हमास द्वारा इसराइल के दक्षिणी हिस्सा में किए गए आतंकवादी हमले से भड़का था, जिसमें लगभग 1200 लोग मारे गए थे और 240 लोगों को बन्धक बना लिया गया था.
उसके बाद ग़ाज़ा पर शुरू हुए इसराइली हमले में, ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, लगभग 30 हज़ार फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं और 60 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.