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ग़ाज़ा: सहायता पाबन्दी का दूसरा महीना, आम फ़लस्तीनियों के लिए बढ़ती हताशा

ग़ाज़ा: सहायता पाबन्दी का दूसरा महीना, आम फ़लस्तीनियों के लिए बढ़ती हताशा

यूएन सहायता एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने सोमवार को एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कि ग़ाज़ा में युद्धक तौर-तरीक़ों में मानव जीवन के लिए पूर्ण बेपरवाही दर्शाई जा रही है. इसराइली सैन्य बलों द्वारा जगह खाली करने के आदेशों की वजह से लाखों लोगों को भागना पड़ रहा है, मगर उनके पास जाने के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं है.

“ग़ाज़ा पर सख़्त इसराइली नाकेबन्दी का यह दूसरा महीना है. हम विश्व नेताओं से क़दम उठाने की अपील करते हैं, तत्काल, पुख़्ता व निर्णायक ढंग से, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के बुनियादी सिद्धान्त सर्वोपरि रखे जाएंगे.”

यूएन के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि आम नागरिकों की रक्षा कीजिए, सहायता के लिए समर्थन दीजिए और युद्धविराम को नए सिरे से लागू कीजिए.

ग़ाज़ा पट्टी की क़रीब 21 लाख आबादी फिर से हिंसक टकराव, बमबारी की चपेट में है और भूख का शिकार हो रही है. यूएन एजेंसियों का कहना है कि ग़ाज़ा में हर एक व्यक्ति का पेट भरने के लिए पर्याप्त भोजन होने का कोई भी दावा, ज़मीनी वास्तविकता से कोसों दूर है.

बीते सप्ताहांत, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने ग़ाज़ा में 21 कुपोषण उपचार केन्द्रों के बन्द होने की घोषणा की थी. इसकी वजह, लड़ाई का फिर शुरू होना और इसराइली सेना द्वारा उन इलाक़ों को खाली करने का आदेश देना है, जहाँ ये केन्द्र स्थित थे.

समाचार माध्यमों ने ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रशासन के हवाले से बताया कि रविवार को इसराइली हमले में कम से कम 32 लोग मारे गए हैं, जिनमें क़रीब 12 बच्चे व महिलाएँ हैं.

वहीं, इसराइली सेना पर राफ़ाह में लगभग सभी घरों को ध्वस्त कर देने का आरोप भी है, और ग़ाज़ा के दक्षिण में स्थित यह शहर अब बाक़ी हिस्सों से कट गया है.

सहायता पाबन्दी से बढ़ी मुश्किलें

यूनीसेफ़ ने आगाह किया है कि मानवीय सहायता पर इसराइली पाबन्दी से 10 लाख से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं. बताया गया है कि हज़ारों की संख्या में सहायता पैकेट ग़ाज़ा पहुँचाए जाने के लिए तैयार हैं, मगर राहत क़ाफ़िलों को अनुमति नहीं मिल पा रही है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने बताया कि इसराइल द्वारा ग़ाज़ा में सहायता आपूर्ति व बाज़ारों के लिए सामान पर थोपी गई पाबन्दी को एक महीने से अधिक समय हो चुका है. सामान ख़त्म होता जा रहा है और स्थानीय आबादी में हताशा बढ़ रही है.

संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसियाँ मौजूदा सामान से ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने के कार्य में जुटी हैं. हालांकि यह कठिन साबित हो रहा है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने शुक्रवार को बताया कि सब्सिडी प्राप्त 25 बेकरियों को बन्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. सामान की कमी की वजह से ग़ाज़ा की दुकानों में क़ीमतें बढ़ रही हैं.

इस बीच, रविवार को फ़लस्तीनी लड़ाकों द्वारा ऐशकेलॉन समेत इसराइली शहरों पर रॉकेट हमले किए जाने की ख़बर है. इसराइली सेना ने बताया कि कम से कम 10 रॉकेट दागे गए, जिनमें से अधिकाँश को पहले ही ध्वस्त कर दिया गया.

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