विश्व

ग़ाज़ा: संयुक्त राष्ट्र किस तरह कर रहा है लोगों की मदद?

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यकर्ता, दुनिया भर के संघर्षरत क्षेत्रों में विषम परिस्थितियों में काम करते हैं, लेकिन ग़ाज़ा में उनके सामने आने वाले जोखिमों को बयान करना मुश्किल है, जहाँ अस्पताल, स्कूल और शरणार्थी शिविर तक बमबारी के ख़तरे से अछूते नहीं हैं.

इसराइल द्वारा ग़ाज़ा की आबादी को लगातार निकासी के आदेश दिए जाने के कारण, अधिक से अधिक लोग सुरक्षा हेतु दक्षिणी इलाक़े की ओर पलायन कर रहे हैं. जगह-जगह अस्थाई निवास स्थल खड़े होने के कारण, बहुत सी सड़कें पार करना असम्भव होता जा रहा है. साथ ही, तेज़ हवाओं और मूसलाधार बारिश के साथ कड़ाके की ठंड का मौसम, ज़रूरतमन्द लोगों तक सहायता सामग्परी ले जाने वाले संयुक्त राष्ट्र के क़ाफ़िलों के लिए एक नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहा है.

संयुक्त राष्ट्र, ग़ाज़ा में सहायता प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है, और अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय ग़ैर सरकारी संगठनों समेत सभी मानवीय भागीदारों के साथ मिलकर कार्रवाई में लगा है.

राहत सहायता की निगरानी

संयुक्त राष्ट्र सहायता समन्वय कार्यालय (OCHA)  को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है कि कार्रवाई अच्छी प्रकार से हो, दोहराव से बचा जाए और सहायता वितरण को ज़रूरत के अनुसार, सही जगह पहुँचाने को प्राथमिकता दी जाए.

स्थिति भयावह है: भोजन और पानी की आपूर्ति की कमी है और उत्तरी ग़ाज़ा में तो जल आपूर्ति लगभग नहीं के बराबर है. ग़ाज़ा पट्टी के कुछ बचे हुए स्वास्थ्य केन्द्रों में  रोगियों की भारी भीड़ है. 

सहायता सामग्री उपलब्ध है, लेकिन क़ाफ़िलों को इसराइली चौकियाँ पार करने में बहुत देर लगती है, जिन मार्गों के ज़रिए जाने पर सहमति बनी है, वो बमबारी के कारण अगम्य हो चुके हैं, और इसराइली अधिकारियों पहुँच की अनुमति देने से बार-बार इनकारकिया जाता है. परिणामस्वरूप, नियोजित सहायता वितरण के थोड़े हिस्से की आपूर्ति ही हो पाती है.

हज़ारों विस्थापित लोग ग़ाज़ा स्थित UNRWA स्कूलों में शरण ले रहे हैं.

आश्रयों स्थलों को निशाना

संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी एजेंसियों में से एक UNRWA को सात दशक पहले फ़लस्तीनी शरणार्थियों को राहत प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था. फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA, स्कूलों, राहत एवं सामाजिक कार्यक्रम व स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन करती है.

इस संकट से ग़ाज़ा पट्टी में UNRWA के सभी कामकाज गम्भीर रूप से प्रभावित हुए हैं: 10 जनवरी तक, लगभग 17 लाख लोग, UNRWA की 155 सुविधाओं में या उसके आस-पास शरण लिए हुए थे, जो “उनकी क्षमता से कहीं अधिक” है, और उन्हें बमबारी का निशाना बनाया गया: एजेंसी का कहना है कि उनके प्रतिष्ठानों पर 60 से अधिक सीधे हमले हुए हैं, 7 अक्टूबर से एजेंसी के आश्रयों में शरण लेने वाले कम से कम 319 विस्थापित लोग मारे गए हैं और 1,135 से अधिक घायल हुए हैं. इसके अलावा, अब तक UNRWA के 140 से अधिक कर्मचारियों के भी मारे जाने की ख़बर है.

WHO द्वारा आयोजित चिकित्सा आपूर्ति, ग़ाज़ा के एक गोदाम में उतारी जा रही है.

‘उच्च जोखिम’ वाले मिशन

अक्टूबर के बाद से, संयुक्त राष्ट्र की टीमों ने आपूर्ति पहुँचाने के लिए उच्च जोखिम वाले सहायता मिशन शुरू किए हैं, और बेहद सीमित संसाधनों के साथ, मरीज़ों से भरी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त स्वास्थ्य सुविधाओं का दौरा किया है: ग़ाज़ा शहर में, पूरी क्षमता में काम करने वाला एक भी अस्पताल नहीं बचा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि एजेंसी, अपने सहयोगियों के साथ मिलकर, सहायता देने के लिए “पूरी तरह से तैयार” है, लेकिन पहुँच से जुड़े मुद्दों और जारी संघर्ष के कारण इसमें गम्भीर बाधाएँ आ रही हैं: 10 जनवरी को, WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस  ने कहा कि 26 दिसम्बर के बाद से उत्तरी ग़ाज़ा के लिए नियोजित 6 मिशनों को रद्द करना पड़ा है.

ख़ान यूनिस के नासिर अस्पताल में, प्रजनन स्वास्थ्य किट पहुँचाई जा रही हैं.

युद्धक्षेत्र में प्रसव 

यूएन प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी UNFPA, ग़ाज़ा मेंपरिवार नियोजन सुविधाएँ पहुँचाने का एकमात्र साधन है, और इसके लिए सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय कर रही है. नवम्बर 2023 के अन्त में चार दिवसीय मानवीय युद्धविराम दौरान, ग़ाज़ा में संयुक्त राष्ट्र प्रजनन और मातृ स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA), जीवन रक्षक प्रजनन स्वास्थ्य किटें पहुँचा सकी.

तब से, यूएनएफ़पीए की सहायता आपूर्ति बेहद सीमित रही है, लेकिन यूएनएफ़पीए अन्य एजेंसियों के साथ उच्च जोखिम वाले मिशनों में भाग लेना जारी रखे हुए है, और इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में अति आवश्यक सहायता पहुँचाने के लिए हर सम्भव प्रयास जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

नक़दी, कपड़े और बाल सुरक्षा

अक्टूबर में उभरे संकट से पहले भी, लगभग एक तिहाई फ़लस्तीनी जन, ग़रीबी में जी रहे थे, और पर्याप्त भोजन, कपड़े या आवास से महरूम थे. 

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, UNICEF, युवाओं को बचपन से लेकर किशोरावस्था तक शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल संरक्षण और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में अमूल्य सहायता प्रदान करता है. ‘सेव द चिल्ड्रन’ संस्था के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से, ग़ाज़ा में इसराइली हवाई हमलों और ज़मीनी अभियानों में लगभग 10 हज़ार बच्चे मारे गए हैं.

एजेंसी ने इलाक़े में हज़ारों लीटर ईंधन उपलब्ध करवाया है, जिससे स्वच्छ पानी का उत्पादन करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी जल कुओं और अलवणीकरण संयंत्रों को चालू किया जा सका है; पीने का पानी; जाड़ों के कपड़े; टीके; तथा नक़दी सहायता भी प्रदान की गई है. हालाँकि, ज़रूरतों को देखते हुए, ईंधन की यह मात्रा समुद्र में एक बून्द के बराबर ही है.

9 जनवरी को, उत्तरी ग़ाज़ा में यूनीसेफ़ cash-for-work पायलट परियोजना शुरू की गई, जिसके तहत अगले तीन महीनों के लिए ठोस अपशिष्ट की साफ़-सफ़ाई के लिए 100 श्रमिकों को पारिश्रमिक दिया जाएगा.

अपने घर पर हुए मिसाइल हमले में घायल होने के बाद, ग़ाज़ा की इस लड़की का हाथ काटना पड़ा.

22 लाख लोग खाद्य संकट में

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा में लगभग 22 लाख लोग गम्भीर खाद्य असुरक्षा के संकट, या उससे भी बदतर स्थिति से जूझ रहे हैं.

डब्ल्यूएफ़पी ने युद्ध की शुरुआत के बाद से ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में 8 लाख, 56 हज़ार 700 से अधिक लोगों को आपातकालीन भोजन और नक़दी सहायता प्रदान की है. लेकिन एजेंसी ने बताया है कि मानवतावादी अभियान “विध्वंस के कगार पर” हैं. 

डब्ल्यूएफ़पी ने तत्काल मानवीय युद्धविराम की अपील करते हुए कहा है कि राहत प्रदान करने और लोगों की पीड़ा ख़त्म करने के लिए समस्त सीमा चौकियों को खोला जाए, और व्यवसायिक सामान की आवाजाही दोबारा शुरू की जाए.

फ़लस्तीन में संयुक्त राष्ट्र संस्थाएँ

फ़लस्तीन में रेज़िडेंट कोऑर्डिनेटर के नेतृत्व में, कुल मिलाकर 23 संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, कोष और कार्यक्रम मौजूद हैं. फ़लस्तीन में संयुक्त राष्ट्र की देशीय टीमों (UNCT) में, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र (OPT) में काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के सभी प्रमुख शामिल हैं.

इन संस्थाओं के अलावा, OPT में अन्य कई प्रमुख एजेंसियाँ भी शामिल हैं जैसेकि अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था ( UN Women), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), और यूनेस्को. 

फ़लस्तीन में मौजूद संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं की पूरी सूची यहाँ देखी जा सकती  है.

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