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ग़ाज़ा: वैक्सीन ख़ुराकें पिलाए जाने के अभाव में, पोलियो के फैलाव का ख़तरा बढ़ा

ग़ाज़ा: वैक्सीन ख़ुराकें पिलाए जाने के अभाव में, पोलियो के फैलाव का ख़तरा बढ़ा

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA की प्रवक्ता लुइस वॉटरिज ने गुरूवार को कहा है कि ग़ाज़ा में इससे पहले कि और अधिक बच्चे अपंग हों और पोलियो वायरस अपने पैर और पसारे, इस बीमारी के फैलाव को रोका जाना बहुत ज़रूरी है.

उन्होंने कहा, “उत्तरी ग़ाज़ा में युद्ध में मानवीय ठहराव के ज़रिए, पोलियो वैक्सीन अभियान पूरा किए जाने के लिए रास्ते आसान किया जाना बहुत ज़रूरी है.”

ध्यान रहे कि हर एक समुदाय और बस्तियों में पोलियो के फैलाव को रोकने के लिए वहाँ रहने वाले सभी बच्चों की कम से कम 90 संख्या को पोलियो वैक्सीन की पहली ख़ुराक पिलाए जाने के बाद, दूसरी ख़ुराक पिलाया जाना भी बहुत ज़रूरी है.

पहली ख़ुराकें पिलाने का अभियान, सितम्बर में काफ़ी हद तक सफल रहा है.

पोलियो वैक्सीन अभियान अधर में

ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में पोलियो वैक्सीन अभियान का तीसरा और अन्तिम चरण कम से कम 24 घंटे पहले शुरू होना निर्धारित था, मगर हिंसा में तेज़ी, सघन होती इसराइली बमबारी, इसराइल द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को बेदख़ली के आदेश जारी किए जाने और युद्ध में मानवीय ठहराव के भरोसे के अभाव के कारण, अन्तिम चरण को स्थगित करना पड़ा है.

UNRWA की प्रवक्ता लुइस वॉटरिज का कहना है, “सिविल ढाँचे पर इसराइली हमलों के जारी रहने सहित मौजूदा हालात के कारण लोगों की सुरक्षा और उनका आवागमन ख़तरे में पड़ रहा है, जिससे परिवारों के लिए अपने बच्चों को पोलियो निरोधक वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने के लिए, सुविधा केन्द्रों पर लाना कठिन साबित हो रहा है. साथ ही ऐसे हालात में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी काम करना मुश्किल हो रहा है.”

इस चरण में पूरे उत्तरी ग़ाज़ा में लगभग एक लाख 20 हज़ार बच्चों को पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने का लक्ष्य है.

इस अभियान का दूसरा चरण 14 अक्टूबर को शुरू हुआ था जिसमें ग़ाज़ा के मध्यवर्ती और दक्षिणी इलाक़ों में अभी तक 10 वर्ष की आयु के लगभग 4 लाख 42 हज़ार 855 बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाई गई हैं.

यह संख्या इन इलाक़ों में कुल लक्ष्य की 94 प्रतिशत है.

बद से बदतर होती जा रही हैं पीड़ाएँ

UNRWA की प्रवक्ता लुइस वॉटरिज ने आगाह करते हुए कहा है कि “उत्तरी ग़ाज़ा में लोगों की तकलीफ़ें लगातार भीषण हो रही हैं. हम लगभग तीन सप्ताहों से लगातार चेतावनी देते रहे हैं कि इसराइल के निरन्तर सैन्य हमले, लाखों लोगों को गम्भीर ख़तरे में डाल रहे हैं.”

चार लाख से अधिक लोग, उत्तरी ग़ाज़ा में फँसे हुए हैं, जहाँ इसराइल ने यह कहते हुए अपने हमले तेज़ किए हैं कि वहाँ हमास के चरपमंथी स्वयं को फिर से संगठित कर रहे हैं.

UNRWA की प्रवक्ता ने कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा में लोगों को अत्यन्त भीषण तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें मृत्यु, घायल होना और बड़े पैमाने पर विध्वंस शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “आम लोग मलबे में फँसे हुए हैं, घायलों और बीमारों का जीवनरक्षक उपचार नहीं हो पा रहा है, परिवार भोजन से वंचित हो गए हैं, उनके घर हमलों में तबाह हो गए हैं, उनके पास ना तो कोई आश्रय है और ना ही जाने के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना.”

मौतों का हो रहा है ‘सीधा प्रसारण’

UNRWA की प्रवक्ता लुइस वॉटरिज ने कहा कि तीन सप्ताह से, उत्तरी ग़ाज़ा में भोजन या अन्य सहायता बिल्कुल भी नहीं पहुँचे हैं, और खाने-पीने की चीज़ें बेचने के लिए कोई बाज़ार या दुकानें भी नहीं हैं.

इसराइली सेना के हमलों ने, जीने के लिए ज़रूरी सेवाओं तक पहुँच को भी ख़त्म कर दिया है, इनमें पानी की आपूर्ति का ठप होना भी शामिल है.

प्रवक्ता ने बताया कि UNRWA और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने 15 अक्टूबर को एक खाद्य क़ाफ़िला ग़ाज़ा सिटी में पहुँचाया मगर, इसराइली घेराबन्दी के कारण, पिछले तीन सप्ताहों से, वहाँ लोगों तक नहीं पहुँच पाया जा रहा है.

“उत्तरी ग़ाज़ा में भीषण तबाही और तकलीफ़ों के कारण विस्थापित परिवारों में असीम हताशा और नाउम्मीद भरी हुई है, जिसे उन्होंने उनकी मौतों और तकलीफ़ों का सीधा प्रसारण बताया है. हमें उत्तरी ग़ाज़ा में स्थित हमारे सहकर्मियों और दोस्तों से, मदद के लिए पीड़ाजनक गुहारें मिल रही हैं.”

UNRWA के स्टाफ़ और परिसरों पर हमले

यूएन एजेंसी के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी ने गुरूवार को, लेबनान संकट पर पेरिस में एक सम्मेलन ममें कहा कि ग़ाज़ा में इसराइली हमलों में UNRWA के 232 कर्मचारी मारे गए हैं और उसके 200 से अधिक परिसरों को इसराइली हमलों का निशाना बनाया गया है.

इसके अलावा, इसराइली संसद – क्नेसेट में पेश किए गए विधेयक का मक़सद, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में इस एजेंसी के सहायता अभियानों को बन्द करना है.

UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने आगाह करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र को डराए-धमकाए जाने और उसकी अनदेखी किए जाने के विरुद्ध असरदार नहीं किए जाने से, एक ख़तरनाक चलन शुरू हुआ है.”

उन्होंने बताया कि ये हमले केवल UNRWA को निशाना बनाए जाने तक ही सीमित नहीं रहे है, बल्कि “वो हमारी साझा बहुपक्षीय व्यवस्था पर हमले हैं.”

फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा, “यूएन चार्टर में वर्णित सिद्धान्तों के अनुरूप, बहुपक्षीय व्यवस्था और हमारे साझा मूल्यों के लिए नवीन प्रतिबद्धता से, लेबनान और पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में हमारी सहायता कार्रवाई का मार्गदर्शन होना चाहिए.”

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