ग़ाज़ा युद्ध में मृतक संख्या 40 हज़ार हो जाने के बीच, ऐसी ख़बरें भी मिल रही हैं कि ग़ाज़ा युद्ध को रोके जाने और मध्य पूर्व क्षेत्र में व्यापक युद्ध भड़कने से रोकने के नए प्रयासों के तहत, वार्ताकार क़तर में एकत्र हो रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने गुरूवार को बताया है कि ग़ाज़ा युद्ध में मारे गए लोगों में अधिकतर संख्या महिलाओं और बच्चों की है. “यह हृदयविदारक स्थिति, इसराइली सेनाओं द्वारा युद्ध के नियमों का पालन करने में बार-बार नाकाम रहने के कारण उत्पन्न हुई है.”
वोल्कर टर्क ने ग़ाज़ा पट्टी के स्वास्थ्य अधिकारियों के आँकड़ों का सन्दर्भ देते हुए कहा कि पिछले 10 महीनों के दौरान ग़ाज़ा युद्ध में हर दिन औसतन 130 लोगों की मौतें हुई हैं.
उन्होंने इस युद्ध में इसराइली सेना द्वारा घरों, अस्पतालों, स्कूलों और प्रार्थना स्थलों को बड़े पैमाने पर तबाह किए जाने का ख़ाका पेश करते हुए उसे गहरे सदमे वाली कार्रवाई और स्थिति बताया है.
वोल्कर टर्क ने बताया कि उनके कार्यालय ने इसराइली सेना और फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के गम्भीर उल्लंघन के मामलों के दस्तावेज़ तैयार किए हैं, जिनमें 7 अक्टूबर को इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में, हमास के लड़ाकों द्वारा किए गए हमले भी शामिल हैं. उन हमलों में लगभग 1200 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बन्धक बना लिया गया था.
उसके बाद इसराइल ने ग़ाज़ा पर चौतरफ़ा हमले किए हैं, जिनमें 40 हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और 91 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं. हताहतों में अधिकतर महिलाएँ और बच्चे हैं.
बेशक़ीमती राहत
इस बीच ग़ाज़ा में भीषण तबाही के बीच, कुछ राहत देने वाली ख़बर भी मिली है और वो ये कि ख़ान यूनिस में पानी के उस पम्प संयंत्र को बहाल कर लिया गया है, जिसे कुछ महीने पहले इसराइली बमबारी में भारी नुक़सान हुआ था. स्थानीय लोगों ने इस संयंत्र ने बड़ी राहत महसूस की है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA की प्रवक्ता लुइस वॉटरिज का कहना है कि उन्होंने पिछली बार इस जल संयंत्र का दौरा, अप्रैल के अन्त में किया था, और उस समय ये संयंत्र ध्वस्त हो चुका था, उसके चारों तरफ़ बमबारी होने के निशान और अवशेषों के साथ-साथ सम्भावित अनफटी विस्फोटक सामग्री भी नज़र आ रहे थे.
लुइस वॉटरिज ने कहा, “मैंने बहुत सारे बच्चों को ना केवल अपने परिवारों के लिए पीने का पानी भरकर ले जाते हुए देखा है, बल्कि उन्हें पानी के ज़रिए गरमी से राहत पाने और उस पानी में खेलकूद का आनन्द लेते हुए भी देखा है जो एक बड़ा टैंक अधिक भर जाने से बाहर निकल रहा था… यह एक ऐसा आनन्द है जो वहाँ कुछ ही लोगों को मयस्सर है.”
ग़ाज़ा में युद्ध शुरू होने के समय से पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में स्वच्छ पानी की भारी क़िल्लत ने, परिवारों की मुसीबतों को और भी गहरा कर दिया है और उनके सामने बीमारियों व कुपोषण का जोखिम उत्पन्न कर दिया है.
यह जल संयंत्र, ख़ान यूनिस क्षेत्र में सबसे बड़ा जल स्रोत है जिससे परिवारों को पानी मिलता है और यह हर दिन 8 घंटे काम करता है.
लुइस वॉटरिज ने बताया कि पूरे ग़ाज़ा पट्टी में क्षेत्र में जल स्रोत इतने कम हैं कि बहुत से परिवारों को पानी लेने के लिए, भारी गर्मी में, बहुत लम्बा सफ़र करना पड़ता है. “कुछ लोगों को तो स्वच्छ पानी बिल्कुल भी नहीं मिल पाता है, जिससे वो गन्दे पानी पर जीवित रहने को विवश हैं.”
इसराइली बमबारी में कोई कमी नहीं
UNRWA अधिकारी लुइस वॉटरिज ने बताया कि इसराइल की लगातार भीषण बमबारी जारी रहने के बावजूद, इस जल संयंत्र में आने वाले लोगों को पानी मुहैया कराए जाने के अतिरिक्त, उन लोगों व परिवारों के लिए भी टैंक भरे जा रहे थे, जो यहाँ आने में असमर्थ हैं.
एक तरफ़ तो मानवीय सहायता एजेंसियों ने इस जल संयंत्र का संचालन शुरू होने का स्वागत किया है, वहीं मीडिया ख़बरों में संकेत मिलते हैं कि इसराइली सेना ने लोगों को अन्यत्र स्थानों पर चले जाने के लिए बेदख़ली आदेश जारी किए हैं जिनसे ख़ान यूनिस के आसपास के अल-क़रारा और अल-साथर इलाक़ों में रहने वाले लोग प्रभावित हुए हैं.
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