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ग़ाज़ा युद्ध में बच्चों की एक पूरी पीढ़ी का नुक़सान, यूनीसेफ़

ग़ाज़ा युद्ध में बच्चों की एक पूरी पीढ़ी का नुक़सान, यूनीसेफ़

यूनीसेफ़ के मानवीय कार्रवाई मामलों के उप कार्यकारी निदेशक टैड चायबन ने बुधवार को यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अक्टूबर (2023) में, इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में, हमास सहित कुछ फ़लस्तीनी गुटों के हमले,  बच्चों के लिए भारी तबाही साबित हुए और उसके बाद ग़ाज़ा में भी बच्चों के लिए भीषण तकलीफ़ें निरन्तर जारी रही हैं.

टैड चायबन हाल ही में इसराइल और फ़लस्तीनी इलाक़ों का दौरा करने के बाद, वीडियो लिंक के ज़रिए पत्रकारों के सवालों के जबाव दे रहे थे.

बच्चों की तकलीफ़ें महसूस की जाएँ

टैड चायबन ने 7 अक्टूबर के हमलों से प्रभावित, इसराइली बच्चों और परिवारों के साथ अपनी मुलाक़ात का ज़िक्र करते हुए कहा कि “उन्होंने मुझसे, तकलीफ़ों का सामना कर रहे बच्चों की आवाज़ बनने के लिए कहा है.”

टैड चायबन ने कहा कि यूनीसेफ़, इसराइल में सम्बन्धित मंत्रालयों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए काम करता रहेगा कि बच्चों को आवश्यक समर्थन मिलता रहे.

उन्होंने इसराइली अधिकारियों से, विशेष रूप से ताज़ा भोजन और पोषण सामग्री के साथ-साथ सहायता सामग्री और व्यावसायिक सामग्री की आसान पहुँच व अधिक मात्रा में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी कहा.

टैड चायबन ने कहा, “मैंने बच्चों के संरक्षण, बेहतर सुरक्षा उपाय, और मानवीय सहायता कर्मचारियों के संचालन के लिए मानक प्रक्रियाएँ निर्धारित किए जाने और अपने माता-पिता व अभिभावकों से अलग हुए बच्चों की चहल-पहल को आसान बनाए जाने की हिमायत की है.”

एक पूरी पीढ़ी का नुक़सान

यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी ने आगाह करते हुए कहा है कि ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में, बच्चों की एक पीढ़ी का नुक़सान हुआ है, जिनकी स्कूली शिक्षा के अनेक महीनों का नुक़सान हुआ है और उन्हें भीषण पीड़ा से गुज़रना पड़ा है.

टैड चायबन ने उत्तरी ग़ाज़ा के कमाल अदवान अस्पताल का दौरा किया, जोकि उस इलाक़े में बाल चिकित्सा के लिए अकेली चिकित्सा सुविधा बची है. वहाँ उन्होंने एक ऐसे शिशु को देखा जो गोलाबारी और बमों के छर्रों से ज़ख़्मी हुआ और उसकी माँ ही, हमले में बचने वाली केवल अकेली इनसान है.

गन्दगी के बीच निवास

टैड चायबन ने ये भी बताया कि परिवारों को किस तरह अत्यधिक भीड़ वाले आश्रय स्थलों में, बहुत ही दयनीय परिस्थितियों में जीवन जीना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा, “मैंने एक ऐसे स्कूल का दौरा किया जिसे आश्रय स्थल बनाया गया था. वहाँ लोगों ने स्कूल के बीचो-बीच मैदान में एक गड्ढा खोदा है, ताकि गन्दे पानी की निकासी की जा सके – लोग व बच्चे, दरअसल उस गन्दे पानी के बीच रह रहे हैं.”

चायबन ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि ये हालात बीमारियों के फैलाव के लिए बहुत अनुकूल हैं.

बिल्कुल अभी युद्धविराम लागू हो

टैड चायबन ने बच्चों की ज़िन्दगियों के संरक्षण, आवश्यक सहायता आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने, और तमाम बन्धकों की बिना शर्त रिहाई के लिए, तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.

उन्होंने कहा, “युद्धविराम की अनुपस्थिति में, हमें एक ऐसे युद्ध ठहराव की ज़रूरत है जिसमें पोलियो वैक्सीन अभियान की अनुमति दी गई थी.”

“ग़ाज़ा की भीषण तबाही जारी रहने और पश्चिमी तट में बढ़ती हिंसा से, क्षेत्र में शान्ति या सुरक्षा बहाल नहीं होगी – यह शान्ति व सुरक्षा बातचीत पर आधारित एक राजनैतिक समाधान के ज़रिए ही हासिल की जा सकती है, एक ऐसा समाधान जिसमें इसराइली और फ़लस्तीनी बच्चों की मौजूदा व भविष्य की पीढ़ियों के अधिकारों और बेहतर कल्याण को प्राथमिकता दी जाए.”

मृत बच्चों की बढ़ती संख्या पर चिन्ता

इस बीच जिनीवा स्थिति कुछ स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ग़ाज़ा में युद्ध के कारण मारे गए बच्चों की उच्च संख्या और इसराइल द्वारा बन्धक बनाकर रखे गए फ़लस्तीनी किशोरों पर विध्वंक प्रभाव पर चिन्ता व्यक्त की है.

बाल अधिकारों पर समिति ने इसराइल की समीक्षा करने के बाद इस तथ्य की निन्दा की है कि ग़ाज़ा में इसराइल के ताबड़तोड़ और अनुपात से अधिक शक्ति वाले हमलों के परिणामस्वरूप, बच्चे मारे गए हैं, अपंग हुए हैं और घायल हुए हैं, या लापता हैं, विस्थापित हैं, अनाथ हुए हैं और अकाल, कुपोषण व बीमारियों की चपेट में धकेले गए हैं.

फ़लस्तीनी अधिकारियों के अनुसार, ग़ाज़ा में 7 अक्टूबर को, हमास के हमलो के बाद शुरू हुई इसराइली बमबारी में 11 हज़ार 300 से अधिक बच्चे मारे गए हैं.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि वो इसराइली बलों द्वारा बड़ी संख्या में फ़लस्तीनी बच्चों के लगातार अपहरण, मनमानी गिरफ़्तारियों और लम्बी अवधि तक हिरासत में रखे जाने पर बहुत चिन्तित हैं, और इनमें से अधिकतर बच्चों को, अभियोग निर्धारित किए बिना, मुक़दमा चलाए बिना या उन्हें क़ानूनी सहायता उपलब्ध कराए बिना लम्बी अवधि तक हिरासत में रखा जाता है.

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