ग़ाज़ा में हिंसक टकराव के दौरान घायल हुए ये व्यक्ति अपंगता, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में चोट, गम्भीर रूप से जलने से हुए घाव समेत अन्य समस्याओं का शिकार हैं.
7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इसराइल में हमास के आतंकी हमलों के बाद, इसराइली सैन्य बलों ने बड़े पैमाने पर ग़ाज़ा में कार्रवाई शुरू की है, जिसमें हज़ारों फ़लस्तीनी हताहत हुए हैं.
क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में, यूएन एजेंसी के प्रतिनिधि डॉक्टर रिचर्ड पीपरकोर्न ने बताया कि पुनर्वास आवश्यकताओं में वृद्धि एक ऐसे समय में हो रही है, जब ग़ाज़ा में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल ढाँचा पूरी तरह से दरक चुका है.
उनके अनुसार, मरीज़ों को ज़रूरत के अनुरूप देखभाल नहीं मिल पा रही है, पहले से उपलब्ध पुनर्वास सेवाओं में व्यवधान आया है और जटिल चोटों के लिए विशेषीकृत उपचार नहीं है.
इसके मद्देनज़र, विशाल पुनर्वास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तत्काल, लम्बे समय के लिए इन सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी होगी.
WHO ने बताया कि घाव की मरहम पट्टी, थेरेपी, मनोसामाजिक समर्थन समेत अन्य स्वास्थ्य सेवाओं तक या तो पहुँच नहीं है या फिर वे पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं हैं. इससे हज़ारों लोगों के और जटिलता का शिकार होने, विकलांगता का शिकार होने या फिर मौत होने का जाखिम बढ़ा है.
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी में 36 अस्पतालों में से केवल 17 में ही आंशिक रूप से कामकाज हो पा रहा है. प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और सामुदायिक स्तर पर सेवाओं को अक्सर असुरक्षा, हमलों या जगह ख़ाली करने के आदेशों की वजह से स्थगित कर दिया जाता है.
इसराइल और हमास के बीच में लड़ाई जारी रहने की वजह से प्रशिक्षित फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की कमी हो गई है, और इस वजह से भी पुनर्वास प्रयासों को धक्का पहुँचा है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने ये आँकड़े, Estimating Trauma Rehabilitation Needs in Gaza using Injury Data from Emergency Medical Teams, नामक रिपोर्ट में पेश किए हैं, जोकि 23 जुलाई तक के डेटा पर आधारित है.
हाल ही में घायल हुए फ़लस्तीनियों के अलावा, हज़ारों लोग लम्बे समय से बीमारी या स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित थे और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की क़िल्लत से उनके लिए जोखिम बढ़ेगा.
इसके मद्देनज़र, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सुरक्षित मार्ग मुहैया कराने पर बल दिया है, ताकि और पीड़ा को टाला जा सके. इसमें पीड़ितों के लिए पुनर्वास व्यवस्था भी है.
WHO ने मानवीय सहायता प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए तुरन्त युद्धविराम लागू करने, स्वास्थ्य व्यवस्था को फिर से खड़ा करने की अपील दोहराई है ताकि आम नागरिकों के जीवन की रक्षा की जा सके.
आर्थिक तबाही
मौजूदा हिंसक टकराव का ग़ाज़ा पट्टी की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर हुआ है. व्यापार एवं विकास के लिए यूएन सम्मेलन (UNCTAD) ने गुरूवार को प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि ग़ाज़ा के सकल घरेलू उत्पाद में, 81 फ़ीसदी की गिरावट आई है, जिससे यह क्षेत्र अभूतपूर्व आर्थिक संकट में फँस सकता है.
बड़े पैमाने पर नौकरियों ख़त्म होने और बढ़ती बेरोज़गारी के कारण निर्धनता की स्थिति बिगड़ी है, जिससे बड़ी संख्या में परिवार मानवीय सहायता पर आश्रित हैं.
अंकटाड के अनुसार, पश्चिमी तट की अर्थव्यवस्था पर भी हिंसा, इमारतों के ध्वस्तीकरण, ज़ब्त करने और बस्तियों का विस्तार किए जाने का असर हुआ है.
यूएन एजेंसी ने सचेत किया कि फ़लस्तीनी सरकार की वित्तीय स्थिरता पर विशाल दबाव है, जिससे उसके कारगर रूप से काम करने और अति-आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने की क्षमता पर असर हो रहा है.
रिपोर्ट में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल क़दम उठाने की अपील की गई है, ताकि अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाई जा सके, बुनियादी ढाँचे को फिर से खड़ा किया जाए और क्षेत्र में लम्बे समय के लिए शान्ति प्रयासों को समर्थन दिया जा सके.