विश्व

ग़ाज़ा युद्ध की सघनता बढ़ी, विस्थापित जन के लिए शरण स्थलों की कमी

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों का कहना है कि हज़ारों लोगों को UNRWA के स्कूलों… और सरकारी इमारतों में पनाह लेनी पड़ रही है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA ने बताया है कि बहुत से लोग पहले ही वापिस लौटने को मजबूर हैं क्योंकि उन्हें अन्य इलाक़ों में पनाह लेने के लिए स्थान की कमी है.

UNRWA ने इन चेतावनियों को भी दोहराया है कि सड़कों व रास्तों के किनारे और अस्थाई आश्रय स्थलों के आसपास, कूड़े-कचरे के पहाड़ जैसे ढेर जमा होने के कारण, रहन-सहन की परिस्थितियाँ “असहनीय से भी परे” बन चुकी हैं.

यूएन एजेंसी ने बताया है कि ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी इलाक़े में स्थित पूर्वी ग़ाज़ा सिटी के शुजाइयाह ज़िले में, बीते सप्ताह के दौरान लगभग 85 हज़ार लोग पहले ही विस्थापित हो चुके हैं. 

जबकि ताज़ा आँकड़ों से संकेत मिलता है कि इसराइल के हालिया बेदख़ली आदेशों के बाद, मंगलवार तक, लगभग 66 हज़ार 700 लोग, पूर्वी ख़ान यूनिस और रफ़ाह इलाक़ों से विस्थापित हुए हैं.

आश्रय स्थलों की दयनीय हालत

UNRWA ने बताया है कि बहुत से परिवार अब आश्रय स्थलों में तब्दील किए जा चुके यूएन स्थानों के साथ-साथ, इसराइली बमबारी में तहस-नहस हो चुकी इमारतों के खंडहरों और कूड़े-कचरे के ढेरों के बीच रहने के विवश हैं.

UNRWA ने साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की उन चेतावनियों को भी दोहराया है कि ग़ाज़ा में संचारी बीमारियों का फैलाव उछाल पर है जिनमें डायरिया और हैपेटाइटिस भी शामिल हैं.

UNRWA ने ज़ोर देकर कहा है, “ख़ान यूनिस में इसराइल की सैन्य कार्रवाई से, लोगों को सुरक्षित पानी तक पहुँच में और भी कठिनाइ हो सकती है, वो भी ऐसे समय में जब स्वच्छता में क़िल्लत के कारण, बीमारियाँ पहले ही तेज़ी से फैल रही हैं.”

…जारी…

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